बसौड़ा का दिन शीतला माता को समर्पित है। यह त्यौहार हर साल चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर मनाया जाता है। यह आमतौर पर होली के आठ दिन बाद मनाया जाता है।
भारत के राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में यह त्यौहार सबसे लोकप्रिय है। इन सभी राज्यों में से राजस्थान में शीतला अष्टमी (sheetala ashtami 2024) का सबसे अधिक महत्व है। इस अवसर पर विशेष लोक कार्यकर्मों और मेलों जगह-जगह आयोजित किए जाते हैं।
शीतला अष्टमी को बासोड़ा (Basoda 2024) के नाम से भी जाना जाता है। बासोड़ा प्रथा के अनुसार, इस दिन खाना पकाने के लिए चूल्हा नहीं जलाते हैं। इसलिए इस अवसर पर परिवार के सभी लोग बासी खाना खाते हैं। माना जाता है कि देवी शीतला चेचक, खसरा आदि से रक्षा करती हैं। यही कारण है भक्त इन बीमारियों के प्रकोप को रोकने के लिए भी उनकी पूजा करते हैं।
शीतला अष्टमी पर्व हर साल चैत्र मास की कृष्ण अष्ठमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल मंगलवार, अप्रैल 2, 2024 (Sheetala Ashtami 2023 Date) के दिन मां शीतला को समर्पित इस व्रत को रखा जाएगा।
शीतला अष्टमी के दिन (what is sheetala ashtami in hindi) माता शीतला की विधिवत पूजा की जाती है और ठंडे व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। । भोग लगाने वाले इन खाद्य पदार्थों की तैयारी एक या दो दिन पहले शुरू हो जाती है। अगले दिन, उस बासी भोजनों को देवी मां को भोग लगाया जाता है। यही कारण है कि शीतला अष्ठमी को बासोड़ा भी कहते हैं। बासोड़े में गर्म खाना खाना और चूल्हा जलाना मना है
ऐसा माना जाता है कि इस दिन चूल्हा जलाने से शीतला माता नाराज हो जाती हैं, जिसका असर आपके परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है।
शीतला अष्टमी 2024 (Sheetala Ashtami 2024 date and time) का समय व शुभ मुहूर्त इस प्रकार से है-
शीतला अष्ठमी 2024 | मंगलवार, अप्रैल 2, 2024 |
अष्ठमी तिथि प्रारंभ | 01 अप्रैल, 2024 को 21:09 बजे |
अष्टमी तिथि समापन | 02 अप्रैल, 2024 को 20:08 बजे |
शीतला अष्ठमी पूजा मुहूर्त | प्रातः 06:31 से शाम 06:53 तक |
पूजन अवधि | 12 घण्टे 21 मिनट्स |
माता शीतला को चेचक और संक्रामक रोगों से बचाने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। इस दिन (sheetala ashtami 2024 rituals) भक्त विभिन्न बीमारियों से बचने के लिए स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा की देवी मां की पूजा करते हैं और अपने परिवार के स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करते हैं।
शीतला अष्टमी (sheetala ashtami significance) का उत्सव उत्तर भारत के प्रमुख राज्यों जैसे राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन महिलाएं सुबह-सुबह स्नान करके पकवानों से भरी थाली सजाती हैं, पूरे विधि-विधान से देवी मां की पूजा करती हैं और उन्हें सभी चीजें अर्पित करती हैं। इस दिन बिंदौरी को अलग-अलग स्थानों पर ले जाने का भी रिवाज है।
शीतला अष्टमी (sheetala ashtami 2024) के इस पवित्र दिन पर, माँ शीतला की पूजा करें और इस दिन के सभी अनुष्ठानों का भक्तिपूर्वक पालन करें। इस प्रकार, देवी निश्चित रूप से आपको सुख-समृद्धि देंगी और आपको आशीर्वाद प्रदान करेंगी।
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