भक्ति साहित्य के प्रख्यात कवी श्री नरसी मेहता द्वारा लिखा गया भजन मूल रूप से 15वी सदी में गुजराती में लिखा गया था। कुछ वर्षों के बाद यह भजन महात्मा गाँधी का प्रिय भजन होने के कारण लोकप्रिय भजनो में से एक हो गया और आज भी यह भजन गुजरात में सुना जाता है।