गणेश चतुर्थी 2024 , जिसे विनायक चतुर्थी (about vinayaka chaturthi 2024) भी कहा जाता है, भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व हिन्दू धर्म में विशेष स्थान रखता है और इसे बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, बुद्धि और समृद्धि के देवता माना जाता है। इस दिन उनकी आराधना करने से सभी विघ्नों का नाश होता है और जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त होती है।
जहां पूरे देश में गणेश चतुर्थी (about ganesh chaturthi 2024 festival) बड़े उत्साह से मनाई जाती है, वहीं महाराष्ट्र में इस त्योहार का एक अलग ही रूप देखने को मिलता है। महाराष्ट्र में गणपति जी को बप्पा कहकर संबोधित किया जाता है। यह गणेश चतुर्थी उत्सव दस दिनों तक चलता है। इसका समापन अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन के साथ होता है। इस दौरान लोग ढोल-नगाड़ों के साथ बप्पा को घर लाते हैं। आइए जानते हैं 2024 में गणेश चतुर्थी पूजा की तिथि, महत्व और शुभ मुहूर्त और गणेश पूजा का समय।
गणेश चतुर्थी आमतौर पर 10 दिनों का त्यौहार है जो भारतीय कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद महीने में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी (चन्द्रमा के चौथे दिन) से शुरू होता है। यह आमतौर पर अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 19 अगस्त से 20 सितंबर के बीच पड़ता है। गणेश चतुर्थी उत्सव भाद्रपद शुक्ल पक्ष के चौदहवें दिन अनंत चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है। इस वर्ष 2024 में गणेश चतुर्थी का त्यौहार 7 सितंबर 2024 शनिवार को मनाया जायेगा।
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 06, 2024 को 03:01 PM से
चतुर्थी तिथि समाप्त - सितम्बर 07, 2024 को 05:37 PM तक
मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त - 11:09 AM से 01:40 PM
समय - 02 घण्टे 30 मिनट्स
गणेश विसर्जन मंगलवार, सितम्बर 17, 2024 को
एक दिन पूर्व, वर्जित चन्द्रदर्शन का समय - 03:01 PM से 08:24 PM, सितम्बर 06
समय - 05 घण्टे 23 मिनट्स
वर्जित चन्द्रदर्शन का समय - 09:34 AM से 08:53 PM
समय - 11 घण्टे 19 मिनट्स
मूर्ति स्थापना: सबसे पहले भगवान गणेश की मूर्ति (about ganesh puja) को एक स्वच्छ और पवित्र स्थान पर स्थापित करें। मूर्ति की स्थापना के लिए एक साफ और रंग-बिरंगी चौकी का उपयोग करें।
स्नान: भगवान गणेश की मूर्ति को दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से स्नान कराएं। इसके बाद उन्हें साफ पानी से स्नान कराएं।
वस्त्र और आभूषण: स्नान के बाद भगवान गणेश को नए वस्त्र पहनाएं और फूलों की माला और आभूषण से सजाएं।
पूजन सामग्री: पूजा के लिए नारियल, दूर्वा (दूब), मोदक, लड्डू, फूल, धूप, दीपक, कपूर, रोली, अक्षत, और पंचामृत तैयार रखें।
मंत्रोच्चार: भगवान गणेश की आराधना करते समय "ॐ गण गणपतये नमः" मंत्र का जाप करें। इससे पूजा का महत्व बढ़ जाता है।
आरती: पूजा के अंत में भगवान गणेश की आरती करें और उन्हें भोग अर्पित करें।
गणेश चतुर्थी (about ganpati festival) भगवान गणेश के जन्म की याद में मनाई जाती है, जो बुद्धि, धन और भाग्य के देवता हैं। यह त्यौहार नई शुरुआत का प्रतीक है और एक नई सुबह का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसा कहा जाता है कि नई शुरुआत से पहले भगवान गणेश की पूजा करना ज़रूरी है। उनका आशीर्वाद न केवल आगे बढ़ने के लिए शक्ति और बुद्धि प्रदान करता है, बल्कि यह सफलता की सभी बाधाओं को भी दूर करता है।
गणेश चतुर्थी (about the ganesh chaturthi 2024) के दौरान विभिन्न प्रकार की परंपराएँ निभाई जाती हैं। इस दिन लोग भगवान गणेश की प्रतिमा को घरों और पंडालों में स्थापित करते हैं। दस दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में हर दिन गणपति बप्पा की पूजा, आरती और भोग अर्पित किया जाता है। गणेश चतुर्थी के अंतिम दिन, जिसे अनंत चतुर्दशी कहते हैं, भगवान गणेश की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है।
भगवान गणेश को भाग्य, समृद्धि और ज्ञान का देवता माना जाता है। ऐसे समय में गणेश जी की पूजा करने से घर में सौभाग्य और समृद्धि आती है। यह भी माना जाता है कि गणेश उत्सव के 10 दिनों तक भगवान गणेश पृथ्वी पर रहते हैं और भक्तों के कष्टों को दूर करते हैं। ऐसे में भक्त भी बाबा को प्रसन्न करने की पूरी कोशिश करते हैं.
यह त्यौहार महाराष्ट्र, गोवा और तेलंगाना जैसे राज्यों में बहुत लोकप्रिय है। इन राज्यों में भगवान गणेश के विशाल पंडाल लगाए जाते हैं। इस दिन हर घर में भगवान गणेश की प्रतिमाओं (ganesh murti for ganesh chaturthi 2024) का धूमधाम से स्वागत किया जाता है। गणेश चतुर्थी का व्रत भी रखा जाता है. इस दिन व्रत रखकर श्रद्धालु जीवन में सुख, समृद्धि और कई लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
गणेश चतुर्थी 2024 केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस पर्व पर लोग अपने घरों को सजाते हैं, मिठाइयाँ बनाते हैं और परिवार तथा दोस्तों के साथ मिलकर उत्सव मनाते हैं। इस समय का उपयोग लोग सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए भी करते हैं।
(यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Dharmsaar इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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