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Guru Govind Singh Jayanti 2022: जानें गुरु गोविन्द सिंह के जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य, और इस पर्व की तिथि

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सिख धर्म के दसवें गुरु के रूप में पहचाने वाले गुरु गोविन्द सिंह जी की जयंती का, सिख धर्म में विशेष महत्व माना जाता है। उन्होंने अपना जीवन सदा लोगों की सेवा-भाव और सिख समुदाय को पहचान दिलाने में व्यतीत किया।

Guru Govind Singh Jayanti 2022: जानें गुरु गोविन्द सिंह के जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य, और इस पर्व की तिथि

वीर योद्धा, गुरु, कवि न जाने कितने ही नामों से सम्बोधित किये जाने वाले, गुरु गोविन्द सिंह जी की यह जयंती, बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। इस दिन गुरुद्वारे में विशेष पूजा-अर्चना के साथ ही लंगर, अरदास एवं कीर्तन का भी आयोजन किया जाता है। सिख समुदाय के लोगों इस दिन को बड़ी धूमधाम से मानते है। इस दिन भारी संख्या में लोग गुरूद्वारे मत्था टेकने के लिए जाते है और प्रार्थना करते है। आइये जानते है गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती की तिथि व उनसे जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य-


गुरु गोबिंद सिंह जयंती 2022 डेट (Guru Govind Singh Jayanti 2022 Date)

पौष महीने की शुक्ल सप्तमी के दिन गुरु गोविन्द सिंह जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस साल 29 दिसंबर 2022 के दिन यह पर्व पुरे देश में मनाया जाएगा। इस पर्व के उपलक्ष्य में गुरुद्वारों की सजावट देखते ही बनती है। इसके साथ ही यहां विशेष कार्यक्रमों का भी आयोजन कराया जाता है।


गुरु गोबिंद सिंह के जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य -

• सिख धर्म के दसवें गुरु, गोविन्द सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी।
• 'वाहे गुरु की खालसा, वाहेगुरु की फतह' वाणी देने वाले गुरु गोविन्द सिंह जी ही थे।
• गुरु गोविन्द सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना कर, सिख समुदाय को मुगलों के शासन से मुक्ति दिलाई थी।
• गुरु गोविन्द सिंह योद्धा होने के साथ ही कई भाषाओं के भी ज्ञाता थे। इन भाषाओं में पंजाबी, फारसी, अरबी समेत अन्य बहुत सी भाषाएं शामिल है।
• गुरु गोविन्द सिंह जी का तीन बार विवाह हुआ था, जिनसे उन्हें चार संताने प्राप्त हुई थी। इन चार संतानों का नाम जुझार सिंह, जोरावर सिंह, फतेह सिंह और अजीत सिंह था।
• गोविन्द सिंह जी ने खालसा पंथ के पांच सिद्धांत बताये थे। इन सिद्धातों को पंच ककार के नाम से जाना जाता है। इन पंच ककार में केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कच्छा शामिल है।

इन पंच ककार के बारे में एक मान्यता यह बताई जाती है की इनका पालन हर सिख के लिए अनिवार्य है।

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