रंगों के त्यौहार होली में अब कुछ समय शेष है। इस साल होली 25 मार्च (सोमवार) को मनाई जाएगी। इस साल होली 25 मार्च, सोमवार को मनाई जाएगी। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, होली से कुछ दिन पहले गृहप्रवेश, विवाह, अनुष्ठान सहित कई शुभ कार्य नहीं किये जाते है। होली से पहले के ये आठ दिन अशुभ दिन माने जाते है, जिसे होलाष्टक के नाम से जाना जाता है।
हर साल फाल्गुन महीने में, होलाष्टक शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन शुरू होता है (Holashtak 2024) और हेलिका दहन की पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है। हिंदू धर्म में होलाष्टक कोई व्रत नहीं, बल्कि आठ से नौ दिनों तक चलने वाला त्योहार है। होलाष्टक के दौरान सभी प्रकार के शुभ कार्यों पर प्रतिबंध लग जाता है। इस अवधि में भूमि पूजन, गृह प्रवेश, मुंडन, सगाई, विवाह आदि समारोह नहीं होते है।
आइए जानते हैं कि इस साल होलाष्टक 2024 कब शुरू होगा, इसका क्या महत्व है और इस दौरान कौन से विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं।
साल 2024 में होलाष्टक प्रारंभ और समाप्ति की तिथियां इस प्रकार से है-
होलाष्टक प्रारंभ तिथि (Holashtak 2024 Start Date) -
17 मार्च 2024, दिन रविवार
होलाष्टक समापन तिथि (Holashtak 2024 End Date)-
24 मार्च 2024, दिन रविवार
होलिका दहन का पर्व 24 मार्च 2024 (Holika Dahan 2024 Date) को मनाया जाएगा। इस साल, होलिका दहन का शुभ समय रात 11:13 बजे से 12:27 बजे तक है। ऐसे में होलिका दहन की कुल अवधि 1 घंटा 14 मिनट की रहेगी।
होलाष्टक के दौरान सभी शुभ कार्य रुक जाते हैं क्योंकि इस दौरान आठ ग्रह अत्यंत उग्र स्थिति में रहते हैं।
होलाष्टक (significance of Holashtak in Hindi) के दौरान सभी ग्रहों का स्वभाव उग्र होता है। अष्टमी में चंद्रमा, नवमी में सूर्य, दशमी में शनि, एकादशी में शुक्र, द्वादशी में बृहस्पति, त्रयोदशी में बुध, चतुर्दशी में मंगल और पूर्णिमा में राहु रहता है।
इसीलिए इन आठ दिनों को होलाष्टक (What is Holashtak in Hindi) कहा जाता है। इस दौरान व्यापारिक लेन-देन, वाहनों की बिक्री, गृहप्रवेश, फाउंडेशन सेवाएँ, शादियाँ, आदि पर प्रतिबंध होता है।
यही कारण है कि इस दौरान कोई भी शुभ कार्य वर्जित माना जाता है।
• होलाष्टक के दौरान अपनी बेटी या बहू का विदाई समारोह न करें। यह समारोह होलाष्टक के बाद ही किया जाना चाहिए।
• इस दौरान किया गया दान एक अच्छा शगुन माना जाता है। इस दिन जरूरतमंदों को खुशी देने के लिए उन्हें भोजन, कपड़े और पैसे का दान करें।
• फाल्गुन पूर्णिमा पर देवी लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा करें। साथ ही, अपने घर को गंगा जल से शुद्ध करें। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है।
• होलाष्टक भगवान विष्णु की पूजा और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने का सबसे अच्छा समय है। बीमारियों से राहत के लिए लोग यज्ञ, वैदिक अनुष्ठान और भगवद-भजन भी कर सकते हैं।
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