देवों के देव महादेव भगवान शिव के बहुत से अवतार हमारे धर्म में बताएं गए है। इन सभी अवतारों में से काल भैरव को उनके रौद्र अवतार में से एक माना जाता है। वैसे तो हर महीने में कालाष्टमी के दिन भगवान शिव के इस रौद्र रूप की विधि विधान से पूजा की जाती है। लेकिन, मार्गशीर्ष मास में आने वाली अष्टमी बहुत खास मानी जानती है।
दरअसल मार्गशीष माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन ही भगवान शिव ने रौद्र रूप धारण किया था। जिस कारण से इस दिन को काल भैरव जयंती के रूप में मनाया जाता है। माना जाता है की इस दिन काल भैरव की श्रद्धापूर्वक पूजा करने से जीवन से सभी प्रकार की दुःख- बाधाएं दूर हो जाती है। आइये जानते है, इस साल काल भैरव की यह जयंती कब मनाई जाएगी और इस दिन काल भैरव की पूजा का क्या महत्व होता है-
कार्तिक माह का महीना धार्मिक दृश्टिकोण से बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस माह के समाप्त होने के बाद मार्गशीष माह प्रारंभ हो जाता है। इस माह में आने वाली अष्टमी के दिन काल भैरव जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस साल बुधवार, 16 नवंबर 2022 (Kaal Bhairav Date 2022) के दिन यह जयंती मनाई जाएगी, जिसका प्रांरभ और समापन समय इस प्रकार है-
अष्टमी तिथि प्रारंभ | 16 नवंबर 2022, सुबह 05 बजकर 49 मिनट से |
अष्टमी तिथि समापन | 17 नवंबर 2022, सुबह 07 बजकर 57 मिनट तक |
काल भैरव की इस दिन पूजन करने से सभी प्रकार की बुरी शक्तियों का नाश होता है।
भगवान काल भैरव सभी प्रकार के आकस्मिक दुर्घटनाओं से अपने भक्तों की रक्षा करते है।
इस दिन काले कुत्ते को भोजन खिलाना चाहिए, ऐसा करने से भगवान काल भैरव प्रसन्न होते है।
इस दिन पूजन के साथ श्री भैरव चालीसा का पाठ करने का बहुत अधिक महत्व बताया जाता है।
काल भैरव जयंती के दिन विधि-विधान से पूजन करने से भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है।
इस दिन काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए सरसों के तेल का चौमुखी दीपक जलाना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही आप भैरव बाबा को इस दिन काले तिल और उड़द सवा मीटर काले कपड़े में बांधकर चढ़ा सकते है। इसके अलावा भगवान भैरव को जलेबी भी अर्पित करनी चाहिए और जलेबी का कुछ भाग काले कुत्तों को खिलाना चाहिए। ऐसा करने से आपके परिवार में न सिर्फ सुख-शांति आएगी बल्कि आर्थिक विकास में भी वृद्धि होगी।
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