हर साल, परिवर्तिनी एकादशी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन मनाई जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर में एकादशी अगस्त और सितंबर के बीच आती है। इस एकादशी को आमतौर पर 'वामन एकादशी' के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत की यह मान्यता है कि जो व्यक्ति भौतिक बंधन से मुक्ति की इच्छा रखता है उसे हर साल भक्ति के साथ इस शुभ एकादशी व्रत का पालन करना चाहिए।
पौराणिक मान्यता के अनुसार परिवर्तिनी-एकादशी (Parivartini-Ekadashi 2023) के दिन भगवान विष्णु ने योग निद्रा चातुर्मास में शयन करते हुए पहली करवट ली थी। भगवान विष्णु के शयन मुद्रा बदलने के कारण इसे परिवर्तिनी-एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भक्त श्रद्धापूर्वक व्रत रखते है और भगवान विष्णु के वामन अवतार का विधि विधान से पूजन करते है। शास्त्रों के अनुसार इस एकादशी के दिन सच्चे मन से व्रत करने से देवी महालक्ष्मी प्रसन्न होती है और उनके घर में कभी अन्न-धन की कमी नहीं आती है।
आइये जानते है, परिवर्तिनी-एकादशी (Parivartini-Ekadashi 2023) की तिथि, समय, पूजन का मुहूर्त व धार्मिक महत्व-
साल 2023 में सोमवार, 25 सितम्बर 2023 (parivartini ekadashi 2023 date) के दिन परिवर्तिनी-एकादशी का व्रत रखा जाएगा। परिवर्तिनी-एकादशी का शुभ समय व पूजन मुहूर्त इस प्रकार से है-
एकादशी तिथि आरंभ | 25 सितंबर 2023 को सुबह 07:55 बजे |
एकादशी तिथि समाप्त | 26 सितंबर 2023 को प्रातः 05:00 बजे |
परिवर्तिनी एकादशी पारण मुहूर्त | 26 सितंबर 2023, दोपहर 01:25 बजे से दोपहर 03:49 बजे तक |
हिन्दू परंपराओं के अनुसार, जो कोई भी परिवर्तिनी एकादशी व्रत का पालन करता है, उनपर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है। पुराणों के अनुसार, परिवर्तिनी एकादशी का व्रत करने से वाजपेय यज्ञ के बराबर फल की प्राप्ति होती है। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है।
परिवर्तिनी एकादशी व्रत से व्यक्ति को नाम, यश की प्राप्ति होती है और उसकी मनोकामनाएं सिद्ध होती हैं। इसके अलावा इस व्रत को रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसा मान्यता है कि जो कोई भी इस व्रत का पालन करता है उसे अपने जीवन के पापों और गलत कार्यों से छुटकारा मिल जाता है। इसके अलावा भक्तों को तीनों लोकों में प्रसिद्धि भी मिल सकती है।
• परिवर्तिनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी स्नान कर, पीले स्वच्छ कपड़े पहनें और सूर्य देव को जल चढ़ाएं।
• फिर पूजा स्थल को साफ करें और भगवान विष्णु और गणेश जी की मूर्ति रखें।
• भगवान विष्णु और गणेश जी को प्रसाद, दूर्वा घास, पीले फूल, पंचामृत और तुलसी अर्पित करें।
• पूजन संपन्न होने के बाद भगवान के मंत्रो का जाप करें और परिवार सहित आरती गाएं।
• अब सभी में प्रसाद वितरित करे।
• इस दिन जरूरतमंद लोगों को भोजन, कपड़े, जूते, छाते आदि दान करना चाहिए।