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Annapurna Jayanti 2025: कब है अन्नपूर्णा जयंती 2025? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और मां अवतरण की पौराणिक कथा

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अन्नपूर्णा जयंती का पर्व मां अन्नपूर्णा के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि जो भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और मां अन्नपूर्णा का पूजा करते हैं। उनका घर सदा धन-धान्य से भरा रहता है। देवी अन्नपूर्णा को अन्न की देवी माना जाता है। यही कारण है कि घर का रसोईघर, मां अन्नपूर्णा का निवास स्थान माना जाता है।

Annapurna Jayanti 2025: कब है अन्नपूर्णा जयंती 2025? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और मां अवतरण की पौराणिक कथा

आइए जानते हैं, इस साल कब मनाई जाएगी अन्नपूर्णा जयंती (annapurna jayanti 2025 date) और मां अन्नपूर्णा से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य-

About Annapurna Jayanti Vrat : क्या है अन्नपूर्णा जयंती व्रत?

अन्नपूर्णा जयंती (annapurna jayanti 2025) व्रत एक महत्वपूर्ण तिथि है। मां अन्नपूर्णा को भोजन, पोषण और खुशहाली की देवी माना जाता है। मान्यता है कि मां अन्नपूर्णा के आशीर्वाद से घर में कभी भी भोजन की कमी नहीं होती।

इस दिन रसोई और चूल्हे की पूजा करने से घर धन-धान्य से भरा रहता है। साथ ही, देवी अन्नपूर्णा की कृपा भी बनी रहती है।


Annapurna Jayanti 2025 Date and Time: अन्नपूर्णा जयंती 2025 डेटा और समय

पंचांग के अनुसार, अन्नपूर्णा जयंती हर साल मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा को मनाई जाती है। 2025 में यह तिथि गुरुवार, 4 दिसंबर (Annapurna Jayanti 2025 Date) को पड़ रही है।शास्त्रों के अनुसार, इस दिन अन्न दान करना और जरूरतमंदों को भोजन कराना अत्यधिक कल्याणकारी है। इस दिन की शुरुआत और समापन समय निम्नलिखित है-

मार्गशीर्ष पूर्णिमा शुरुआत तिथि

04 दिसंबर 2025, सुबह 08:37 बजे से

मार्गशीर्ष पूर्णिमा समापन तिथि

05 दिसंबर 2025, सुबह 04:43 बजे तक


Annapurna Jayanti 2025 Shubh Muhurat: अन्नपूर्णा जयंती 2025 शुभ मुहूर्त

अन्नपूर्णा जयंती 2025 शुभ एवं चौघड़िया मुहूर्त इस प्रकार है-

अन्नपूर्णा पूजा मुहूर्त सुबह 10:53 बजे से दोपहर 01:29 बजे तक
शुभ उत्तम मुहूर्त सुबह 06:59 से 08:17 PM तक
अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त शाम 05:24 से 07:06 PM तक

Annapurna Jayanti Puja Vidhi : अन्नपूर्णा जयंती पूजा विधि

• सबसे पहले, भक्तों को सुबह जल्दी पूजा क्षेत्र और रसोई को अच्छे से साफ करना चाहिए।

• इसके बाद, घर, पूजा स्थल और रसोई में गंगा जल छिड़कें। ताकि शुद्धता बनी रहे।

• फिर हल्दी, कुमकुम, अक्षत और फूलों से रसोई के गैस स्टोव की पूजा करें।

• पूजा स्थल पर देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति रखें। एक धागा लें और उसमें 17 गांठ लगाएं।

• अब उस धागे में चंदन और कुमकुम मिलाएं। इसे देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति या तस्वीर के पास रखें।

• पूजा के बाद देवी अन्नपूर्णा से प्रार्थना करें। फिर मां अन्नपूर्णा की आरती गाएं।

• अंत में, 'ओम ह्रीं अन्नपूर्णाय नमः' मंत्र का 108 बार जाप करें।


Maa Annapurna Katha : देवी अन्नपूर्णा के अवतरण से जुड़ी पौराणिक कथा

एक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने एक बार कहा था कि यह संसार केवल भ्रम है। खाना भी इसी माया का हिस्सा है। यह सुनकर देवी पार्वती ने खाने और पोषण के महत्व को समझाने का निर्णय लिया।

उन्होंने दुनिया से सारा अनाज और खाना वापस ले लिया। इसके बाद धरती पर भूख और अन्न की कमी का संकट गहराने लगा।

जब इंसान, जानवर और सभी जीव-जंतु भूख और परेशानी से जूझ रहे थे। भगवान शिव को अपनी गलती का एहसास हुआ।

उन्होंने विनम्रता से देवी पार्वती के पास जाकर अपनी बात के लिए माफी मांगी। तभी देवी पार्वती मां अन्नपूर्णा के रूप में प्रकट हुई। जिन्हे अन्न और पोषण देने वाली देवी के रूप में पूजा गया।

माना जाता है कि मां अन्नपूर्णा काशी में प्रकट हुई थीं। जहां उन्होंने लोगों को भोजन दान किया। तभी से मार्गशीर्ष पूर्णिमा को अन्नपूर्णा जयंती के रूप में मनाया जाने लगा।

यह दिव्य कथा जीवन में भोजन के महत्व को दर्शाती है। साथ ही, यह भी याद दिलाती है कि पोषण जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है।

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