कार्तिक मास में आने वाली पहली एकादशी को रमा एकादशी (rama ekadashi) के नाम से जाना जाता है। रमा एकादशी, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष में आती है। यह एकादशी, दिवाली से ठीक चार दिन पहले आती है। मान्यता है कि इस दिन एकादशी व्रत रखने से भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है।
रमा एकादशी का नाम देवी लक्ष्मी के एक रूप 'रमा' के नाम पर रखा गया है। देवी लक्ष्मी, भगवान विष्णु की पत्नी है। जिन्हें धन-सौभाग्य की देवी भी माना जाता है। यही कारण है रमा एकादशी (Rama Ekadashi 2025) के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की साथ में पूजा करने का विधान है। रमा एकादशी का व्रत करना बहुत फलदायक माना जाता है।
आइए जानते है, इस साल यह रमा एकादशी व्रत (Rama Ekadashi Vrat 2025) कब रखा जाएगा, इस व्रत का महत्व है और शुभ चौघड़िया मुहूर्त-
देश के कुछ हिस्सों में रमा एकादशी को ‘रम्भा एकादशी’ के नाम से भी जाना जाता है। इस साल यह व्रत शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2025 (Rama Ekadashi 2025 Date) को रखा जाएगा। रमा एकादशी तिथि का शुरुआत व समापन समय (Rama Ekadashi 2025 Timings) इस प्रकार है-
एकादशी तिथि आरंभ (Rama Ekadashi Begins)
16 अक्टूबर 2025, सुबह 10:35 बजे से
एकादशी तिथि समाप्त (Rama Ekadashi Ends)
17 अक्टूबर 2025, सुबह 11:12 बजे तक
रमा एकादशी व्रत पारण दिवस समय (Rama Ekadashi Parana Time)
18 अक्टूबर, प्रातः 05:40 AM से 07:58 AM तक
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प्रातः 06:23 बजे से 07:49 AM तक
दोपहर 12:06 से 01:32 PM तक
रात्रि 08:58 से 10:32 PM तक
01:41 से 03:15 AM तक (18 अक्टूबर 2025)
रमा एकादशी का व्रत रखने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस दिन उपवास रखने से पिछले जन्मों के सभी पाप और गलत कर्मों से मुक्ति मिलती हैं।
इस व्रत को करने से विशेष रूप से महिलाओं को जीवन में सुख-शांति और समृद्धि मिलती है।
रमा एकादशी व्रत से भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी धन एवं सौभाग्य का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी की पूजा करने से आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलती हैं।
1. सबसे पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और घर के मंदिर की साफ-सफाई करें।
2. भगवान श्री हरि विष्णु का जल, गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करें।
3. अब भगवान विष्णु को पीला चंदन, पीले फूल अर्पित करें।
4. मंदिर में घी का दीपक जलाएं और भोग-प्रसाद में तुलसी के पत्ते अवश्य रखें।
5. रमा एकादशी की व्रत कथा पढ़ें और 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का 21 या 108 बार जाप करें।
6. ध्यान रखे की भगवान विष्णु के मंत्र जाप के लिए तुलसी जाप माला का ही प्रयोग करें।
7. अब परिवार के सभी लोग मिलकर भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की आरती करें।
8. पूजन के अंत में भगवान से प्रार्थना करें और अनजाने में हुई भूल चूक के लिए क्षमा मांगे।