भाद्रपद शुक्ल पंचमी को ऋषि पंचमी के नाम से जाना जाता है और इसे आमतौर पर हरतालिका तीज के दो दिन बाद और गणेश चतुर्थी के एक दिन बाद मनाया जाता है। वर्तमान में, ऋषि पंचमी दिवस अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अगस्त या सितंबर में पड़ता है। ऋषि पंचमी कोई त्यौहार नहीं है, बल्कि महिलाओं द्वारा सप्त ऋषियों यानी सात ऋषियों को श्रद्धांजलि देने और रजस्वला दोष से शुद्ध होने के लिए मनाया जाने वाला व्रत है।
दिन सप्तऋषियों की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। ऋषि पंचमी (Rishi Panchami 2024) व्रत का मुख्य उद्देश्य ऋषियों के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करना है। यह पर्व महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसे पापों की शुद्धि और स्वास्थ्य लाभ के लिए किया जाता है। आइए जानते हैं ऋषि पंचमी 2024 की पूजा विधि, महत्व, तिथि और व्रत कथा के बारे में विस्तार से।
सप्त ऋषियों को समर्पित यह व्रत हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष ऋषि पंचमी 8 सितंबर 2024, रविवार (Rishi Purnima Date 2024) को मनाई जाएगी। 2024 में ऋषि पंचमी की पूजा का शुभ मुहूर्त और समय इस प्रकार है:
पञ्चमी तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 07, 2024 को 05:37 PM
पञ्चमी तिथि समाप्त - सितम्बर 08, 2024 को 07:58 PM
ऋषि पञ्चमी पूजा मुहूर्त - 11:09 ए एम से 01:39 PM
अवधि - 02 घण्टे 30 मिनट्स
• प्रातःकाल स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें। घर के पूजा स्थल को स्वच्छ करें और वहाँ सप्तऋषियों की मूर्तियों या तस्वीरों को स्थापित करें।
• एक कलश में जल भरकर उसमें आम के पत्ते, सुपारी और नारियल रखें। यह कलश पूजा स्थल पर रखें।
• पूजा (rishi panchami puja samagri) के लिए धूप, दीप, फूल, अक्षत, चंदन, रोली, मौली, पंचामृत और ऋषि पंचमी व्रत कथा की पुस्तक रखें।
• सप्तऋषियों का ध्यान करते हुए उन्हें फूल, अक्षत, चंदन और पंचामृत अर्पित करें। ऋषियों की प्रतिमाओं को पंचामृत से स्नान कराएं और फिर स्वच्छ जल से धोएं।
• ऋषि पंचमी व्रत कथा का पाठ करें। कथा सुनने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
• सप्तऋषियों की आरती उतारें और प्रसाद बांटें। प्रसाद में विशेष रूप से दूध, दही, फल और मिठाई का प्रयोग करें।
• पूजा के बाद ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को दान करें। यह दान विशेष फलदायी माना जाता है।
• मान्यता है कि महिलाएं सप्त ऋषियों का आशीर्वाद पाने, मासिक धर्म के दौरान किए गए पापों से छुटकारा पाने और सुख, शांति और समृद्धि की मनोकामना पूरी करने के लिए ऋषि पंचमी (Rishi Panchami 2024) के दिन इस तरह व्रत करती हैं। ऐसा माना जाता है कि ऋषि पंचमी का व्रत रखने से यदि किसी महिला से मासिक धर्म के दौरान कोई गलती हो जाती है तो वह इस व्रत के माध्यम से अपनी गलती सुधार सकती है।
• पंचमी (Significance of Rishi Panchami fast) के दिन सुबह जल्दी उठकर विधि-विधान से इस व्रत को करने से मनुष्य सुखी रहता है। इस दिन सप्तऋषियों की पूजा करने की परंपरा है। इन सात ऋषियों के नाम हैं कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदानी और वशिष्ठ। इन संतों ने समाज कल्याण के लिए कार्य किया। इसलिए उनकी मर्यादा में यह व्रत और यह सेवा की जाती है।
• ऋषि पंचमी व्रत (Rishi Panchami 2024 Vrat) का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के समस्त पापों का नाश होता है और वह पवित्रता प्राप्त करता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सप्तऋषियों की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। विशेष रूप से महिलाएं इस व्रत को अपने और परिवार के स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए करती हैं।
(यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Dharmsaar इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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