आज के ब्लॉग में हम आपको श्रावण पुत्रदा एकादशी की तारीख (Shravanputrada ekadashi date 2024), शुभ समय,और इस एकादशी के बारे में कई अन्य जानकारी बताएंगे। अंत तक जरूर पढ़ें.
श्रावण पुत्रदा एकादशी का धार्मिक महत्व बहुत गहरा है। इसे पुत्रदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ है 'संतान देने वाली एकादशी'। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन व्रत करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और दंपतियों को संतान सुख का आशीर्वाद मिलता है।
श्रावण पुत्रदा एकादशी, जो हर साल श्रावण मास में आती है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत के रूप में मानी जाती है। इस दिन व्रत करने से संतान सुख और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह एकादशी विशेष रूप से उन दंपतियों के लिए महत्वपूर्ण है जो संतान प्राप्ति की कामना रखते हैं।
यह पुत्रदा एकादशी व्रत साल में दो बार रखा जाता है। पहला व्रत दिसंबर या जनवरी में होता है, जिसे पौष पुत्र एकादशी के नाम से जाना जाता है। दूसरा एकदशी व्रत जुलाई या अगस्त में मनाया जाता है और इसे श्रावण पुत्रदा एकादशी (Shravan Putrada Ekadashi 2024) कहा जाता है। उत्तर भारतीय राज्यों में पौष माह में पुत्रदा एकादशी अधिक लोकप्रिय है, जबकि अन्य राज्यों में श्रावण माह में पुत्रदा एकादशी को अधिक महत्व दिया जाता है।
आज के ब्लॉग में हम आपको श्रावण पुत्रदा एकादशी की तारीख (Shravanputrada ekadashi date 2024), शुभ समय,और इस एकादशी के बारे में कई अन्य जानकारी बताएंगे। अंत तक जरूर पढ़ें.
श्रावण पुत्रदा एकादशी का यह व्रत हर साल श्रावण शुक्ल एकादशी तिथि या 11वें दिन मनाया जाता है। इस वर्ष यह पुत्रदा एकादशी 16 अगस्त 2024 (Shravan Putrada Ekadashi 2024) दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी।
इस दिन, लोग पूरे दिन उपवास करते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, खासकर उन जोड़ों में जो शादी के कई सालों बाद भी निःसंतान हैं।
एकादशी तिथि प्रारम्भ - अगस्त 15, 2024 को 10:26 AM
एकादशी तिथि समाप्त - अगस्त 16, 2024 को 09:39 AM
श्रावण पुत्रदा एकादशी के व्रत की पूजा विधि बहुत ही सरल है, लेकिन इसे विधिवत रूप से करने से ही इसका पूर्ण फल प्राप्त होता है। आइए जानते हैं व्रत की पूजा विधि के बारे में:
इस दिन प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
एक साफ और पवित्र स्थान पर पूजा की तैयारी करें।
भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें।
पूजा सामग्री में पुष्प, धूप, दीपक, तुलसी के पत्ते, फल और मिठाई शामिल करें।
भगवान विष्णु की प्रतिमा को गंगा जल से स्नान कराएं।
पुष्प, धूप और दीपक अर्पित करें।
भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें, जैसे:
"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः"
श्रावण पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
भगवान विष्णु की आरती करें और प्रसाद चढ़ाएं।
प्रसाद को सभी के साथ बांटें और खुद भी ग्रहण करें।
प्राचीन काल में महिष्मति नगरी में महिजीत नामक एक राजा राज्य करता था। राजा महिजीत अत्यंत धर्मनिष्ठ, प्रजापालक और वीर था। उसका राज्य सुख-समृद्धि से भरा हुआ था, किंतु राजा को एक चिंता सताती थी - उसके कोई संतान नहीं थी। इस कारण वह अत्यंत दुखी और निराश रहता था।
राजा महिजीत ने अपने राज्य के सभी विद्वानों, ऋषि-मुनियों और पंडितों को बुलाया और अपनी समस्या बताई। उसने कहा, "मुझे बताइए, ऐसी कौन सी पूजा या उपाय है जिससे मुझे संतान सुख प्राप्त हो सके?"
राजा की बात सुनकर सभी विद्वान और ऋषि-मुनि चिंतन करने लगे। उनमें से एक विद्वान ने सुझाव दिया कि राजा को महान मुनि लोमश के पास जाना चाहिए, क्योंकि वे इस समस्या का समाधान बता सकते हैं। राजा ने तुरंत मुनि लोमश के आश्रम की ओर प्रस्थान किया।
मुनि लोमश ने राजा का स्वागत किया और उसकी समस्या सुनी। राजा की व्यथा सुनकर मुनि लोमश ने उसे श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा, “हे राजन, श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी (Shravan Putrada Ekadashi Vrat Story) के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रत करने से आपको संतान सुख की प्राप्ति होगी। यदि आप इस व्रत को सही तरीके से करेंगे तो आपकी सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी और आपको संतान का सुख मिलेगा।"
राजा महिजीत ने मुनि लोमश के कथनानुसार श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत किया। उसने पूरे विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की और व्रत का पालन किया। व्रत के प्रभाव से राजा महिजीत को संतान सुख की प्राप्ति हुई और उसके राज्य में पुनः खुशहाली और समृद्धि लौट आई।
श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। यह व्रत न केवल संतान सुख देता है, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि और शांति भी लाता है। आइए जानते हैं इस व्रत के कुछ प्रमुख लाभ:
जिन दंपतियों को संतान सुख की प्राप्ति नहीं हो रही है, वे इस व्रत को करके संतान का आशीर्वाद पा सकते हैं।
इस व्रत से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
श्रावण पुत्रदा एकादशी के व्रत से जीवन के सभी कष्ट और परेशानियाँ दूर होती हैं।
इस व्रत से घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।
इस व्रत से धार्मिक लाभ भी प्राप्त होते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
यदि आप भी संतान सुख की कामना रखते हैं या जीवन में सुख-समृद्धि चाहते हैं, तो श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत अवश्य करें और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करें। इस शुभ अवसर पर व्रत और पूजा विधि का पालन कर अपने जीवन को सुखमय बनाएं। पुत्रदा एकादशी (Shravana Putrada Ekadashi 2023) के अगले दिन सूर्योदय के बाद एकादशी व्रत समाप्त होता है। द्वादशी तिथि के दौरान पारण अनुष्ठान करना आवश्यक है। द्वादशी तिथि के बाद व्रत खोलने की परंपरा उचित नहीं मानी जाती है।
यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Dharmsaar इसकी पुष्टि नहीं करता है.
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