जैसे की नाम से ही स्पष्ट है विनायक चतुर्थी या गणेश चतुर्थी का यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाए जाने वाले इस त्यौहार के दिन सुखकर्ता व दुखहर्ता भगवान गणेश की पूजा- अर्चना आदि की जाती है।
किसी भी पूजा को संपन्न करने के लिए मंत्रोच्चारण बहुत ही आवश्यक माना जाता है। ऐसे ही विनायक चतुर्थी की पूजा भी मंत्रो के बिना पूर्ण नहीं होती है। नीचे दिए गए कुछ खास मंत्रो को आप पूजा के दौरान उच्चारित कर सकते है।
ॐ गं गणपतयै नमः
ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश।
ग्लौम गणपति, ऋद्धि पति, सिद्धि पति, करो दूर क्लेश॥
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात॥
ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।
एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्॥
ऊं श्रीं ह्रीं क्लें ग्लौम गं गणपतये वर वरद सर्वजन जनमय वाशमनये स्वाहा॥
वक्रतुंडा महाकाय सूर्यकोटि सम्प्रभा:।
निर्विघ्न कुरु में देव सर्व कार्येशु सर्वदा॥
दिन: 3 जून 2022, शुक्रवार
शुरुआत समय: सुबह 10:55 बजे से
समापन समय : दोपहर 01:37 बजे तक
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह कहा जाता है की भगवान गणेश को चतुर्थी तिथि बहुत प्रिय है और यही कारण है की चर्तुथी के दिन गणेश जी की पूजा को बहुत ही कल्याणकारक माना जाता है। जो भी व्यक्ति पूरे मन से इस व्रत को विधि-विधान से रखता है, उसकी सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है।
इसके साथ ही मान्यता तो यह भी है की गणेश जी पूजा करने से न सिर्फ ज्ञान और ऐश्वर्या में बल्कि व्यापार में भी वृद्धि होती है। विनायक चतुर्थी के दिन दान का भी बहुत अधिक महत्व बताया गया है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Dharmsaar इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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