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त्यौहार

Jagannath Rath Yatra 2025: भगवान जगन्नाथ के भव्य उत्सव के महत्वपूर्ण अनुष्ठान, तिथि एवं महत्व!

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ओडिशा के पुरी धाम में इस समय भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। भगवान जगन्नाथ की यह भव्य रथ यह यात्रा हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को प्रारंभ होती है। यह पर्व भगवान जगन्नाथ का सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है। इस यात्रा के दौरान, भगवान जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र के साथ पूरे नगर की सैर करते हैं। आइए, जानते हैं जगन्नाथ यात्रा 2025 तिथि और इस पर्व से जुड़े कुछ रोचक तथ्य।

Jagannath Rath Yatra 2025: भगवान जगन्नाथ के भव्य उत्सव के महत्वपूर्ण अनुष्ठान, तिथि एवं महत्व!

About Jagnnath Rath Yatra: क्या है जगन्नाथ रथ यात्रा?

पुरी धाम में हर साल लाखों श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने और रथ यात्रा में भाग लेने के लिए पहुंचते है। रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलराम विशाल रथों पर बैठकर पूरे नगर की सैर करते हैं। यह मनमोहक दृश्य हर किसी को आकर्षित करता है। रथ यात्रा की शुरुआत 'आषाढ़ स्नान' से होती है, जिसे 'रथ यात्रा का स्नान' भी कहा जाता है।

बता दें की इस दिन भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र की मूर्तियों को विशेष स्नान कराया जाता है। स्नान के बाद, तीनों देवता अपने रथों पर सवार होकर यात्रा के लिए तैयार हो जाते हैं।


Jagnnath Rath Yatra 2025 Date: इस साल कब है जगन्नाथ रथ यात्रा?

पुरी रथ यात्रा हर साल जून और जुलाई में धूमधाम से मनाई जाती है। पंचांग के अनुसार, इस साल द्वितीया तिथि 26 जून 2025 को दोपहर 1:25 बजे शुरू होगी। वही इस तिथि का समापन अगले दिन 27 जून को सुबह 11 बजकर 19 मिनट पर होगा। ऐसे में इस साल पुरी रथ यात्रा की शुरुआत 27 जून 2025, (Jagnnath Rath Yatra 2025 Date) शुक्रवार को होगी।

यह यात्रा मुख्य रूप से पुरी के जगन्नाथ मंदिर (Puri Rath Yatra 2025) से गुंडिचा देवी मंदिर तक जाती है। गुंडिचा को भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है। हर साल, भगवान जगन्नाथ अपने भाई-बहनों के साथ यहां विश्राम के लिए आते हैं।


Jagannath Rath Yatra History: जगन्नाथ रथ यात्रा का इतिहास

जगन्नाथ रथ यात्रा हिंदू धर्म की पुरानी परंपरा से जुड़ी है। मान्यता है की यह त्यौहार एक हजार साल से ज्यादा समय से मनाया जा रहा है। तो आइए जानते है इस पर्व जुड़ें कुछ रोचक (jagannath rath yatra history in hindi) ऐतिहासिक तथ्य-

भगवान जगन्नाथ की किंवदंती

• कहा जाता है कि भगवान जगन्नाथ, भगवान कृष्ण का ही रूप हैं। इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलराम और बहन सुभद्रा भी होते हैं। तीनों देवता पुरी के जगन्नाथ मंदिर में विराजमान हैं।

• पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार सुभद्रा ने नगर घूमने की इच्छा जताई। इसके बाद, भगवान जगन्नाथ और उनके बड़े भाई बलराम ने तीन विशाल रथ तैयार करवाए। फिर, इन रथों पर बैठकर तीनों देवता नगर भ्रमण पर गए। रास्ते में, वे अपनी मौसी के घर गुंडिचा भी गए और वहां ठहरकर पुरी वापस लौट आए। उसी समय से यह यात्रा हर साल नियमित रूप से जारी है।

जगन्नाथ रथ यात्रा का प्रारंभ और इतिहास

• जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत ओडिशा के पुरी में हुई थी। करीब 800 साल पहले, राजा चोडगंग देव ने पुरी में जगन्नाथ मंदिर की नींव रखी थी। इसका इतिहास 12वीं शताब्दी से जुड़ा है। माना जाता है कि पूर्वी गंगा राजवंश के राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव के शासनकाल के दौरान इस यात्रा की परंपरा शुरू हुई थी।

• राजा चोडगंग देव ने पुरी में जगन्नाथ मंदिर का निर्माण कराया और भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक रथ पर ले जाने का यह विशेष अनुष्ठान शुरू किया गया।

• यह यात्रा भगवान जगन्नाथ की अपनी मौसी के घर जाने के प्रतीक के रूप में निकाली है। हर साल, दुनिया भर से लाखों लोग और पर्यटक पुरी आते हैं और इस अद्भुत यात्रा का हिस्सा बनते हैं।


Major Festivals of Jagannath Rath Yatra : जगन्नाथ रथ यात्रा के मुख्य अनुष्ठान

1. देव स्नान पूर्णिमा (Dev Snana Yatra)

हर साल, भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की लकड़ी की मूर्तियां बनाई जाती हैं। ये मूर्तियां जगन्नाथ मंदिर से गुंडिचा मंदिर ले जाई जाती हैं। यात्रा से पहले, इन मूर्तियों को 109 बाल्टी पानी से स्नान कराया जाता है। इस दिन को देव स्नान पूर्णिमा कहा जाता है।

2. भगवान जगन्नाथ का रथ (Jagannath Rath Yatra)

भगवान जगन्नाथ का मुख्य रथ 45 फीट लंबा होता है। इसे नंदीघोष कहा जाता है। यह रथ बहुत खूबसूरती से सजाया जाता है। रथ में भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहन की मूर्तियां रखी जाती हैं। दीयों और मालाओं से सजें इस रथ की सुंदरता देखते ही बनती है।

3. सुना बेशा (Suna Besha)

सुना बेशा का मतलब होता है "सोने की पोशाक"। यह एक खास परंपरा है, जो भगवान जगन्नाथ से जुड़ी है। यात्रा के बाद, भगवान और उनके भाई-बहन को सोने के आभूषणों से सजाया जाता है। यह अनुष्ठान आषाढ़ शुक्ल एकादशी तिथि को संपन्न किया जाता है।

4. छेरा पहनरा (Chhera Pahanra)

छेरा पहनरा एक हर्षोल्लास से भरा अनुष्ठान है। इसमें, पुरी के राजा या उनका उत्तराधिकारी, सोने की झाड़ू से रथ की सफाई करता है। इस अनुष्ठान में, राजा एक दूत भेज कर देवताओं को रथ पर बैठने के लिए बुलाता है। फिर रथ पर मूर्तियों को विधिपूर्वक रखा जाता है।


5. हेरा पंचमी (Hera Panchami)

रथ यात्रा के पांचवे दिन मनाई जाने वाली हेरा पंचमी की परंपरा बहुत खास है। इस दिन, देवी महालक्ष्मी की मूर्ति को गुंडिचा मंदिर भेजा जाता है। यह अनुष्ठान एक पौराणिक कथा से जुड़ा है। कहा जाता है कि देवी लक्ष्मी ने भगवान जगन्नाथ से कहा था कि वह दो दिन में वापस लौटेंगे, लेकिन वह पांच दिन तक नहीं लौटे।

नाराज देवी लक्ष्मी खुद सजी-धजी पालकी में गुंडिचा मंदिर गई। इसी कारण से, भक्तगण इस दिन देवी लक्ष्मी की मूर्ति को पालकी में सजाकर मंदिर ले जाते हैं।


Jagannath Rath Yatra 2025 Schedule: जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 कार्यक्रम

तिथि (Date) मुख्य कार्यक्रम
12 जून 2025 देव स्नान पूर्णिमा – इस दिन देवताओं को स्नान कराया जाता है।
13-26 जून 2025 विश्राम अवधि – देवता मंदिर में विश्राम करते हैं।
26 जून 2025 गुंडिचा मार्जाना – भगवान जगन्नाथ की गुंडिचा मंदिर से श्रीमंदिर तक यात्रा।
27 जून 2025 रथ यात्रा – भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा प्रारंभ होगी।
1 जुलाई 2025 हेरा पंचमी – देवी लक्ष्मी भगवान जगन्नाथ से मिलने के लिए गुंडिचा मंदिर जाती हैं।
4 जुलाई 2025 बहुदा यात्रा – रथ यात्रा की वापसी।
5 जुलाई 2025 सुना बेशा – देवताओं को सोने के आभूषणों से सजाया जाता है।
5 जुलाई 2025 नीलाद्रि बिजय – भगवान का मुख्य मंदिर में वापसी।

जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 (Jagannath Rath Yatra 2025) एक ऐतिहासिक और भव्य यात्रा है। जो ओडिशा के पुरी शहर में आयोजित होती है। इस भव्य रथ यात्रा में आस्था और परंपरा का अद्भुत सामंजस्य देखने को मिलता है। हर साल देश और विदेश से लाखों श्रद्धालु इस पावन यात्रा में भाग लेने पुरी पहुंचते हैं। भगवान जगन्नाथ को समर्पित यह पर्व भारतीय संस्कृति की एक अनोखी झलक प्रस्तुत करता है।

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