हिंदू धर्म में पूर्णिमा को विशेष रूप से शुभ माना जाता है। हालांकि सभी में आषाढ़ महीने की पूर्णिमा का महत्व और भी खास है। इसे गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इसे व्यास पूर्णिमा और वेद पूर्णिमा भी कहा जाता है। भारत में गुरु-शिष्य की परंपरा बहुत पुरानी है। गुरु वह व्यक्ति है, जो हमें समाज में एक सभ्य इंसान बनने का मार्ग दिखाता है। शास्त्रों के अनुसार, यह दिन महान गुरु और महाभारत के रचनाकार श्री वेदव्यास के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है।
'गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।' यह लोकप्रिय मंत्र जीवन में गुरु के महत्व को दर्शाता है। सनातन धर्म में गुरु को भगवान के समान माना जाता है। इसलिए, गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima 2025) का पर्व समस्त गुरुओं और शिक्षकों के सम्मान में मनाया जाता है।
आइए जानते हैं, 2025 में गुरु पूर्णिमा कब है, इस दिन का शुभ मुहूर्त और गुरु पूर्णिमा मनाने का धार्मिक महत्व।
पंचांग के अनुसार, गुरु पूर्णिमा हर साल आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को मनाई जाती है। आमतौर पर यह पर्व जुलाई या अगस्त के बीच आता है। 2025 की बात करें तो गुरु पूर्णिमा 10 जुलाई, गुरुवार (Guru Purnima 2025 Date) को मनाई जाएगी।
गुरु पूर्णिमा के खास अवसर पर स्नान, दान और अन्य धार्मिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त (Guru Purnima 2025 Shubh Muhurat) इस प्रकार है-
स्नान-दान ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:10 से सुबह 04:50 तक
गुरु पूर्णिमा अभिजित मुहूर्त - सुबह 11:59 से दोपहर 12:54 बजे तक
गुरु पूर्णिमा विजय मुहूर्त - दोपहर 02:45 से दोपहर 03:40 बजे तक
गुरु पूर्णिमा गोधूलि मुहूर्त - रात 07:21 मिनट से 07:41 बजे तक
इसके अतिरिक्त, निशिता मुहूर्त रात 12:06 से 12:47 बजे तक रहेगा।
गुरु पूर्णिमा गुरु-शिष्य के रिश्ते को सम्मान देने का विशेष दिन है। इस दिन हम गुरुजनों के वेद, शास्त्र और ज्ञान के क्षेत्र में किए गए योगदान को याद करते हैं। इस दिन लोग अपने गुरु से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और उन्हें प्रणाम करते हैं। यह दिन गुरु मंत्र ग्रहण करने के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
गुरु पूर्णिमा का दिन वेदव्यास जी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। वेदव्यास एक महान ऋषि थे। उन्होंने वेदों को चार भागों में विभाजित किया और उनका संपादन किया। वह महान ग्रंथ महाभारत के रचयिता भी माने जाते हैं। कहा जाता है कि इस दिन की गई प्रार्थना सीधी महागुरु तक पहुंचती है। वेद व्यास जी के आशीर्वाद से शिष्य के जीवन से अज्ञान और अंधकार दूर होता है।
बौद्ध धर्म में गुरु पूर्णिमा का खास महत्व है। मान्यता है कि इसी दिन गौतम बुद्ध ने अपने पहले पांच शिष्यों को उपदेश सुनाया था। जैन धर्म में भी यह दिन खास माना जाता है। कहा जाता है कि इसी दिन भगवान महावीर ने गौतम स्वामी को अपना पहला शिष्य बनाया था। उसी क्षण वे गौतम स्वामी के 'गुरु' बने। इसलिए यह दिन भगवान महावीर की पूजा के लिए भी प्रसिद्ध है।
गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima 2025) हिंदू धर्म में गुरु-शिष्य के रिश्ते को सम्मान देने का एक विशेष और पवित्र दिन है। इस दिन गुरु के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए कई विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार अनुष्ठान करते हैं। आप सभी को धर्मसार कि ओर से गुरु पूर्णिमा कि हार्दिक शुभकामनाएं।