हाल ही में देशभर में होली के पर्व को बड़े धूम-धाम से मनाया गया। रंगो के इस त्यौहार के ठीक पांच दिन बाद रंग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन देवी-देवता धरती पर आकर होली खेलते हैं, इसलिए इस अवसर को देव होली भी कहा जाता है। रंग पंचमी के दिन भगवान कृष्ण के बाल रूप लड्डू गोपाल की पूजा का विशेष महत्व है। आज के इस लेख में हम आपको लड्डू गोपाल के शृंगार की पूरी विधि बताएंगे, जिसे अपनाने से आपको अद्भुत लाभ मिल सकते हैं।
होली को राधा-कृष्ण के सबसे लोकप्रिय दिनों में से एक माना जाता हैं। प्रत्येक वर्ष रंग पंचमी का यह त्यौहार चैत्र कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। कहा जाता है की जो भी भक्त इस दिन सच्चे मन और सम्पूर्ण विधि विधान से भगवान कृष्ण के बाल स्वरुप लड्डू गोपाल का पूजन करते है उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
रंग पंचमी के दिन खास तौर पर संतान प्राप्ति के लिए उपाय किए जाते है। ऐसे में जो भी दंपत्ति काफी समय से संतान से जुड़ी समस्याओं से परेशान है, तो उन्हें रंगपंचमी के दिन लड्डू गोपाल का विशेष श्रृंगार और पूजन करना चाहिए।
लड्डू गोपाल की इस विशेष पूजन (laddu gopal puja on rang panchami) विधि से आपको अद्भुत लाभ प्राप्त हो सकते है। तो चलिए जानते है-
रंग पंचमी पर सबके प्रिय लड्डू गोपाल श्रृंगार और पूजन के लिए हमें कुछ विशेष पूजन सामग्री (Laddu Gopal Shringar Saamgri) की आवश्यकता होगी। जैसे-
•चंदन
•गुलाल
•बांसुरी
•मुकुट
•कुंडल
•कंगन
•मोरपंख
•कमरबंद
•लाल फूल
•मोती माला
•फूलों की माला
•लड्डू गोपाल ड्रेस
•लड्डू गोपाल आभूषण
सबसे पहले लड्डू गोपाल को गंगाजल स्नान कराएं।
अब गंगाजल के बाद लड्डू गोपाल को पंचामृत से स्नान कराएं।
पंचामृत स्नान के बाद, प्रिय लड्डू गोपाल का शुद्ध जल से अभिषेक करें। इसके बाद उन्हें लाल रंग के कपड़े से पोंछ लें।
पंचामृत और जल स्नान के बाद रंग पंचमी के अवसर पर लड्डू गोपाल जी को लाल, पीले या सफेद रंग के वस्त्र पहनाएं।
आभूषण के रूप में आप लड्डू गोपाल को हार, कंगन, मुकुट आदि पहनाएं। आप चाहे तो उन्हें पुष्प आभूषण भी पहना सकते हैं।
अब मनमोहक छवि वाले लड्डू गोपाल जी को चंदन का टीका लगाएं।
इन सभी के बाद आप उन्हें फूलों की माला अर्पित करें।
लड्डू गोपाल को अब उनकी प्रिय बांसुरी और मोरपंख चढ़ाएं।
रंग पंचमी के पावन अवसर पर लड्डू गोपाल को गुलाल और अबीर लगाना बिल्कुल न भूलें।
(यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Dharmsaar इसकी पुष्टि नहीं करता है.)