भीषण गर्मी से मुक्ति दिलाने वाले सावन के महीने का धार्मिक महत्व बहुत अधिक बताया जाता हैं। सावन का महीना भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता हैं। बताया जाता है की जो भी व्यक्ति इस महीने में पुरे मन से भगवान शिव की पूजा अर्चना करता उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
भीषण गर्मी से मुक्ति दिलाने वाले सावन के महीने का धार्मिक महत्व बहुत अधिक बताया जाता हैं। सावन का महीना भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता हैं। बताया जाता है की जो भी व्यक्ति इस महीने में पुरे मन से भगवान शिव की पूजा अर्चना करता उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वैसे तो सावन के सोमवार को ही ज्यादातर महत्ता दी जाती हैं, लेकिन आपको बता दें, इस महीने एक और व्रत है जो बहुत ही फलदायक होता हैं। इस व्रत का नाम है- मंगला गौरी व्रत (mangla gauri vrat)।
मंगला गौरी व्रत, मां गौरी को प्रसन्न करने के लिए महिलाओं द्वारा किया जाता हैं। जैसे सावन का सोमवार भगवान शिव को समर्पित होता हैं, उसी प्रकार सावन का मंगलवार मां पार्वती को समर्पित होता हैं। सावन में पड़ने वाले सभी मंगलवार के दिन यह व्रत रखा जाता है। मां मंगला गौरी अखंड सौभाग्य और सुहाग का प्रतीक होती हैं, जिसके चलते विवाहित महिलाएं सुख- सौभाग्य और अपनी पति की लम्बी आयु के लिए यह व्रत करती हैं।
आज इस ब्लॉग के माध्यम से हम आपको इस व्रत के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं, तो आइए जानते हैं:
साल 2022 में श्रावण मास गुरूवार, 14 जुलाई से शुरू हो रहा हैं, जो की रक्षाबंधन के अगले दिन यानि 12 अगस्त तक रहेगा। जैसा की आपने इस ब्लॉग के शुरुआत में पढ़ा की, सावन के मंगलवार के दिन मंगला गौरी का व्रत रखा जाता हैं। इस अनुसार सावन मास में कुल 4 मंगला गौरी के व्रत पड़ रहे हैं। यहां दी गई तारिख के दिन मंगला गौरी व्रत रखा जाएगा-
सावन के इस पावन महीने में मंगला गौरी का व्रत बहुत ही शुभ फल प्रदान करने वाला होता हैं। विवाहित महिलाओं के द्वारा इस दिन सोलह शृंगार का सामान दान में देना बहुत प्रभावशाली माना जाता हैं। ऐसा माना जाता हैं की जो भी मंगलवार के दिन इन व्रतों को रखता है, उन्हें व्रत संपन्न होने के बाद उद्यापन करना चाहिए। इस उद्यापन में किसी पंडित विशेष से ही पूजा करवानी चाहिए हैं। इसके बाद मंगला गौरी व्रत कथा सुनकर, कुछ महिलाओं को भोजन करवाना चाहिए और उन्हें सुहाग की वस्तुएं दान करनी चाहिए।
माँ गौरी को प्रसन्न करने के लिए आप नीचे दिये गए इस मंत्र का उच्चारण कर सकते हैं:
कुंकुमागुरुलिप्तांगा सर्वाभरणभूषिताम् ।
नीलकण्ठप्रियां गौरीं वन्देहं मंगलाह्वयाम् ।।