सनातन धर्म में शुभ मुहूर्त देखे बिना कोई भी मंगलकार्य संभव नहीं है। चाहे विवाह हो, मुंडन संस्कार, या गृह प्रवेश। सभी कार्य सही मुहूर्त देखकर ही किए जाते हैं। कहा जाता है कि शुभ मुहूर्त में सभी नक्षत्र अनुकूल स्थिति में होते है। इस दौरान किए गए कार्यो के फल कई गुना बढ़ जाते हैं। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और सफलता की प्राप्ति होती है।
इस ब्लॉग में हम आपको नए साल 2026 (Shubh Muhurat for 2026) में आने वाले अबूझ मुहूर्त और शुभ तिथियों के बारे में बताएंगे-
साल का पहला अबूझ मुहूर्त बसंत पंचमी है। यह पर्व वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है। यह दिन विशेषतौर पर ज्ञान और बुद्धि की देवी, मां सरस्वती को समर्पित है। बसंत पंचमी पर कई शुभ कार्य किए जा सकते हैं। जैसे सगाई, शादी, गृह प्रवेश, मुंडन, जनेऊ या नए बिजनेस की शुरुआत। इस दिन बिना मुहूर्त देखे विवाह जैसे शुभ कार्य भी किए जा सकते हैं।
बसंत पंचमी तिथि - 23 जनवरी, 2026
अक्षय तृतीया को एक बहुत शुभ दिन माना जाता है। यह दिन फाइनेंशियल इनवेस्टमेंट, सोना खरीदने और नया बिजनेस शुरू करने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। 'अक्षय' का अर्थ है शाश्वत। मान्यता है कि इस दिन किए गए शुभ कार्य और इनवेस्टमेंट समय के साथ कई गुना फल देते हैं। अक्षय तृतीया विवाह, प्रॉपर्टी खरीदने और दान-पुण्य के लिए भी उत्तम है।
अक्षय तृतीया तिथि - 19 अप्रैल, 2026
गुड़ी पड़वा हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार नए साल की शुरुआत का प्रतीक है। महाराष्ट्र में इसे गुड़ी पड़वा कहा जाता है। कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में इस पर्व उगादी के नाम से मनाया जाता है। यह दिन शुभ कार्य के प्रारंभ के लिए बेहद शुभ माना जाता है। बिजनेस खोलने और नए कार्य शुरू करने के लिए यह तिथि अत्यंत शुभ मानी जाती है।
गुड़ी पड़वा तिथि- 19 मार्च, 2026
गुड़ी पड़वा के साथ फुलेरा दूज के दिन को 'अबूझ मुहूर्त' माना जाता है। यह तिथि फाल्गुन शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी ने फूलों से होली खेली थी। ऐसे में यह दिन विवाह, मुंडन और अन्य शुभ कार्यो के लिए यह तिथि बेहद मंगलकारी है। मान्यता है कि इस दिन बिना मुहूर्त देखे भी शुभ कार्य किए जा सकते हैं।
फुलेरा दूज तिथि- 19 फरवरी 2026
नवरात्रि का पर्व अत्यंत पावन माना जाता है। इस दौरान मां दुर्गा के आशीर्वाद से सभी मांगलिक कार्यों में सफलता मिलती है। यह नौ दिन नई शुरुआत और देवी कि ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। इस अवसर पर कई शुभ मुहूर्त बनते हैं। हालांकि, विवाह जैसे कुछ कार्य इस दिन वर्जित माने जाते हैं। लेकिन गृह प्रवेश, मुंडन और जनेऊ जैसे संस्कार के लिए यह समय श्रेष्ठ हैं।
चैत्र नवरात्रि- 19 मार्च से 27 मार्च 2026
शारदीय नवरात्रि- 11 अक्टूबर से 20 अक्टूबर 2026
दशहरा- 20 अक्टूबर 2026 (मंगलवार)
देवउठनी एकादशी का दिन चतुर्मास समाप्त होने का प्रतीक है। इस दौरान भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं। जिसके बाद सभी तरह से शुभ कार्य एक बार पुनः प्रारंभ हो जाते है। देवउठनी एकादशी को भी अबूझ मुहूर्त के रूप में जाना जाता है। इस दिन देवी तुलसी और शालिग्राम जी के विवाह करने का भी विधान है। ऐसे में यह दिन शादी, गृह प्रवेश और नए काम शुरू करने के लिए सबसे उचित माना जाता है।
देवउठनी एकादशी तिथि - 20 नवंबर, 2026
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