सावन का महीना शिव भक्तों के लिए बहुत खास होता है। यह एक ऐसा महीन होता है, जब भोले नाथ को सबसे अधिक प्रसन्न किया जा सकता है। हिन्दू पंचाग के अनुसार, साल 2023 में मंगलवार, 04 जुलाई 2023 से सावन की शुरुआत होने जा रही है। सावन का महीना भगवान शिव, हरियाली,बरसात, तीज-त्यौहार के साथ ही एक और कारण से लोक्रप्रिय हैं और वो है इस महीने में निकाले जाने वाली कांवड़ यात्रा।
सावन के इस पावन महीने में भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए लाखों की संख्या उनके भक्त हर साल यह कांवड़ यात्रा निकालते है। पिछले दो वर्षों से कोरोनावायरस महामारी के चलते यह कांवड़ यात्रा स्थगित की जा रही थी, लेकिन इस बार स्थिति सामान्य होने के चलते बड़ी धूमधाम से यह कावड़ यात्रा निकाली जा रही है। आज हम इस ब्लॉग के माध्यम आपको बताएंगे की श्रावण मास में कांवड़ यात्रा क्यों निकली जाती है, इसका महत्व क्या है और इस यात्रा के दौरान किन नियमों का पालन करना चाहिए, तो आइये जानते है-
भगवान परशुराम ने की थी शुरुआत
सावन के महीने में कांवड़ यात्रा का खास महत्व होता है। इस यात्रा में न जाने कितने ही श्रद्धालु अपने कंधो पर कांवड़ लिए गंगाजल भरने के लिए निकल पड़ते है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है की भगवान परशुराम ने श्रावण मास में ही इस कांवड़ यात्रा की शुरआत की थी। भगवान परशुराम भगवान भोलेनाथ के प्रिय भक्तों में से एक है। ऐसा बताया जाता है की परशुराम जी सबसे पहले कांवड़ लेकर उत्तर प्रदेश के एक जिले के पास स्थित 'पुरा महादेव' गए थे। इस मंदिर में उन्होंने 'गढ़मुक्तेश्वर' नामक स्थान से मां गंगा का पवित्र जल लेकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया था।
माना जाता है की जब भगवान परशुराम ने जब यह कांवड़ यात्रा निकाली तब सावन का ही महीना चल रहा था और तभी से कांवड़ यात्रा की यह परंपरा चली आ रही है और हर साल लाखों की तादाद में शिव भक्त श्रावण मास में कांवड़ यात्रा में शामिल होते है।
साल 2023 की बात की जाए तो इस बार सावन में निकाले जाने वाली यह कावड़ यात्रा मंगलवार, 04 जुलाई 2023 (Kanwar Yatra start date) से शुरू हो चुकी है, जो की रविवार, 16 जुलाई 2023 (Kanwar Yatra end date) तक चलेगी। कांवड़ यात्रा के दौरान शिव भक्तों में एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है। माना जाता ही जो भी भक्त पवित्र नदी गंगा जी से जल भरकर लाते हैं और भोलेनाथ को अर्पित करते है उनसे भगवन शिव बहुत अधिक प्रसन्न होते है।
कांवड़ यात्रा को बहुत ही पवित्र और कठिन यात्राओं में से एक माना जाता है। कांवड़ यात्रा के दौरान किये जाने वाले पाठ पूजा का बहुत अधिक महत्व बताया जाता है। इस यात्रा के दौरान वे पवित्र गंगा में डुबकी लगाते है और भगवान शिव के मंत्रो का जाप करते हैं। इस पवित्र कांवड़ यात्रा को पूरा करने से भक्तों की न सिर्फ सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है बल्कि उन पर भोलेनाथ की असीम अनुकंपा भी बनी रहती है।
कांवड़ यात्रा में शामिल होने से पहले या यात्रा के दौरान इन कुछ बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए-
श्रद्धालुओं के लिए यह सिर्फ एक यात्रा नहीं है बल्कि शिव के प्रति उनकी भक्ति का एक स्वरुप है। आपको बता दे, कांवड़ यात्रा में शामिल होने वाले कावड़ियों के लिए जगह जगह पर उनके आराम और खान-पान के लिए खास व्यवस्था की जाती है। कई सारे संगठन भोजन और आराम के लिए शिविर आयोजित करते है। इतना ही नहीं भक्तों के लिए समय-समय पर मेडिकल फैसिलिटीज भी उपलब्ध करवाई जाती है। माना जाता है की, विधि- विधान से इस यात्रा में शामिल होने वाले भक्त जनों को भगवान शिव शुभ फल प्रदान करते है।