देव दिवाली हर साल पवित्र शहर वाराणसी में मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध त्योहार है। देव दीपावली, जिसे देव दिवाली भी कहा जाता है, राक्षस त्रिपुरासुर पर भगवान शिव की जीत के अवसर पर मनाई जाती है। इसलिए, देव दिवाली के त्योहार को त्रिपुरोत्सव या त्रिपुरारी पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है, जो कार्तिक पूर्णिमा के शुभ दिन पर मनाया जाता है।
देव दिवाली(dev diwali 2023) के शुभ दिन पर, कई भक्त पवित्र गंगा में डुबकी लगाने के लिए आते हैं। शाम को, वे देवी गंगा से प्रार्थना करते हैं, फूल अर्पित करते है और मिट्टी के जलाते है। गंगा को जलता हुआ दीपक अर्पित करने की इस क्रिया को "दीपदान" कहा जाता है। जब सूर्य अस्त होता है तो वाराणसी के घाटों की सीढ़ियाँ हर कदम पर हजारों रोशनियों से जगमगा उठती है। यह दृश्य बहुत ही अलौकिक प्रतीत होता है। घाटों के अलावा विभिन्न मंदिरों को भी दीपों से सजाया गया है।
आइये जानते है, इस साल देव दिवाली की तिथि, समय, शुभ मुहूर्त, महत्व व अन्य महत्वपूर्ण अनुष्ठान-
देव दीपावली, दिवाली त्योहार के लगभग पंद्रह दिन बाद यानि कार्तिक पूर्णिमा को आती है। इस साल, यह पर्व रविवार 26 नवंबर 2023 (dev diwali date 2023) को मनाई जाएगी।
द्रिकपंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि का शुरुआत व समापन समय और प्रदोष काल मुहूर्त (Dev Diwali 2023 Muhurat) इस प्रकार से है-
• देव दिवाली बनारस या वाराणसी में मनाया जाता है, जो अपनी महानता और प्रसिद्धि के लिए जाना जाता है। इस धार्मिक अनुष्ठान में शामिल होने के लिए पवित्र शहर में हजारों लोग आते है।
• वाराणसी और गुजरात के कुछ हिस्सों में यह त्यौहार बड़े उत्साह से मनाया जाता है। इस दिन लोग घरों को रंगोली से सजाते है और दीपक जलाते है। कुछ घरों में अखंड रामायण का पाठ किया जाता है और प्रसाद वितरित किया जाता है।
• देव दीपावली (dev diwali 2023) उत्सव का मुख्य अनुष्ठान चंद्र दर्शन है। गंगा के दक्षिणी तट पर रवि घाट से लेकर राजघाट तक पूरे घाट की सीढ़ियाँ पर, गंगा मैया और देवी-देवताओं को श्रद्धांजलि देने के लिए दीये प्रज्वल्लित किये जाते है और खूबसूरती से सजाया जाता है।