सभी व्रतों में एकादशी व्रत को सबसे अधिक महत्व दिया जाता है। हर माह में आने वाली प्रत्येक एकादशी का अपना एक विशेष महत्व बताया जाता है। इसी प्रकार माघ शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है। हिंदू परंपरा के अनुसार, इन दिन विधि-विधान से व्रत रखने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। साथ ही, व्यक्ति को सभी प्रकार के पापों से भी मुक्ति मिलती है।
जया एकादशी (about jaya ekadashi 2025) को लोकप्रिय रूप से भीष्म एकादशी के रूप में जाना जाता है। इस शुभ दिन पर, भीष्म पितामह ने अपने नश्वर शरीर से विदा लेने के लिए जया एकादशी को चुना था। एक अन्य मान्यतानुसार, जया वैकुंठ धाम के रक्षक के रूप में प्रसिद्ध हैं। हिंदू धर्म के अनुसार, पूजा-अनुष्ठान और व्रत से हमें अपने भीतर के राक्षसों पर विजय प्राप्त होती है। इसे 'जया' कहा जाता है, जिसका अर्थ है – हमारे अंदर की बुराइयों पर सफलता प्राप्त करना।
तो आइये जानते है इस साल 2025 में जया एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा और इस तिथि का शुभ व चौघड़िया मुहूर्त इस प्रकार है-
दैनिक पंचांग के अनुसार, 2025 में जया एकादशी का व्रत 08 फरवरी 2025 (Jaya Ekadashi 2025 Date) को रखा जाएगा। माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की बात करें तो यह 07 फरवरी 2025 से प्रांरभ होगी और वही इस तिथि का समापन अगले दिन 08 फरवरी को रात 09 बजकर 26 मिनट पर होगा।
• जया एकादशी के दिन शुभ उत्तम मुहूर्त 08 फरवरी 2025 को प्रातः 08 बजकर 28 मिनट से शुरू होकर 09 बजकर 50 मिनट तक (jaya ekadashi 2025 shubh muhurat) रहेगी।
• वही चौघड़िया मुहूर्त (jaya ekadashi 2025 choghadiya muhurat) की बाते करें तो यह अमृत और सर्वोत्तम मुहूर्त दोपहर 01:58 बजे से 03:21 बजे तक रहेगा। वहीं, लाभ-उन्नति मुहूर्त शाम 06:06 बजे से 07:43 बजे तक रहेगा।
• इसके अलावा, जया एकादशी (jaya ekadashi 2025 vrat paran samay) के व्रत पारण का समय 09 फरवरी, 2025 07 बजकर 03 मिनट से लेकर 09 बजकर 17 मिनट तक रहेगा।
• जया एकादशी का व्रत करने से साधक को भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की विशेष आशीर्वाद प्राप्त होती है।
• जो भी व्यक्ति विधिपूर्वक इस व्रत का पालन करता है उसके परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है और पापों का अंत भी होता है।
• जया एकादशी व्रत भगवान विष्णु के आशीर्वाद प्रदान करता है, साथ ही भूत-प्रेत और पिशाच योनि की यातनाओं से मुक्ति दिलाता है।
• पद्म पुराण' और अन्य धार्मिक ग्रंथों में जया एकादशी के व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया की इस व्रत को श्रद्धापूर्वक रखने से ‘ब्रह्म हत्या’ जैसे पापों से मुक्ति मिल सकती है।
1.इस पवित्र दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर श्रद्धा भाव से एकादशी व्रत का संकल्प लें।
2.फिर, भगवान विष्णु को प्रणाम करें और गंगाजल मिलाकर पवित्र स्नान करें।
3.स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें और भगवान विष्णु की तस्वीर या प्रतिमा का पूजन स्थान पर रखें।
4.भगवान नारायण की इस प्रतिमा पर पीले पुष्प, फल, मिठाई, धूप-दीप और अगरबत्ती अर्पित करें।
5.पूजा संपन्न होने के बाद भगवान की आरती गाएं और प्रसाद सभी भक्तों में वितरित करें।