मोहिनी एकादशी को सबसे महत्वपूर्ण उपवास में से एक माना जाता है। जैसे के नाम से स्पष्ट है, मोहिनी एकादशी का दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु के मनमोहक अवतार मोहिनी को समर्पित होता है। मान्यता है की जो भी व्यक्ति अपने सभी पिछले गलत कर्मों से मुक्ति पाना चाहते है, उन्हें यह व्रत रखने के अनंत लाभ मिलते है। हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली इस एकादशी को वैशाख एकादशी (vaishakhi ekadashi) भी कहा जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी हर साल मई-जून के बीच मनाई जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन के दौरान असुरों से अमृत कलश को प्राप्त करने के लिए एक अत्यंत सुंदर और मोहक अप्सरा मोहिनी का रूप धारण किया था। यह एकादशी न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जाती है, बल्कि व्रत और पूजा के लिए भी इसका विशेष महत्व है।
तो आइए जानते है, मोहिनी एकादशी 2025 तिथि, समय, शुभ मुहूर्त व अन्य महत्वपूर्ण तथ्य-
पंचांग के अनुसार, वैशाख शुक्ल एकादशी तिथि की शुरुआत 7 मई 2025 को सुबह 10:19 बजे से हो रही है और इसका समापन 8 मई 2025 को दोपहर 12:29 बजे होगा। ऐसे में मोहिनी एकादशी का यह व्रत गुरुवार, 8 मई 2025 (mohini ekadashi 2025 tithi) के दिन रखा जाएगा।
बता दें कि एकादशी व्रत के अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर एकादशी का यह व्रत तोड़ा जाता है। 2025 में, मोहिनी एकादशी व्रत का पारण 9 मई को किया जाएगा। पंचांग के अनुसार, व्रत तोड़ने का शुभ समय सुबह 5:34 बजे से 8:16 (mohini ekadashi vrat paran samay) बजे तक रहेगा। इस अवधि में व्रत खोलना श्रेष्ठ और पुण्यदायक माना जाएगा।
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मोहिनी एकादशी शुभ मुहूर्त (Mohini Ekadashi 2025 Shubh Muhurat) इस प्रकार से है-
• प्रातः 04:10 मिनट से 04: 53 मिनट तक
• दोपहर 02:32 मिनट से 03: 26 मिनट तक
• शाम 06:59 मिनट से 07:21 मिनट तक
• रात्रि 11:56 मिनट से 12:39 मिनट तक
• पुराणों के अनुसार, एक बार ऋषि वशिष्ठ ने भगवान राम को मोहिनी एकादशी के व्रत के पुण्य और महत्व के बारे में बताया था। जिसके बाद प्रभु श्री राम ने भी यह एकादशी व्रत किया था।
• मान्यता है कि जो भक्त विधिपूर्वक मोहिनी एकादशी का व्रत करते हैं, उन्हें विष्णु लोक यानी परम धाम की प्राप्ति होती है। यही कारण है की इस व्रत को मोक्ष प्रदान करने वाला माना गया है।
• प्राचीन ग्रंथों में बताया गया कि भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को इस एकादशी की महिमा का उल्लेख किया। उन्होंने बताया की यह व्रत अश्वमेध यज्ञ, तीर्थ यात्रा या यहां तक कि श्री विष्णु दर्शन से भी श्रेष्ठ फल देने वाला है।
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इसके साथ ही मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi 2025) को व्रत तीर्थ यात्राओं और दान-पुण्य के समान फल प्रदान करने वाला माना गया है। इस व्रत को लेकर एक मान्यता यह भी बताई जाती है की यह 1000 गायों के दान के बराबर पुण्य फल देता है, जिससे व्यक्ति के पाप दूर होते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।