नरसिंह जयंती एक अत्यंत शुभ और पवित्र अवसर है। शास्त्रों के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार धारण कर पृथ्वी पर जन्म लिया था। यह दिन अच्छाई की बुराई पर विजय और धर्म की अधर्म पर जीत का प्रतीक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान नरसिंह ने अपने परम भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए दुष्ट हिरण्यकश्यप का वध किया था। तो आइए जानते है, इस विशेष दिन के महत्व और इस पर्व से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण अनुष्ठान-
भगवान नरसिंह, भगवान विष्णु के दस अवतारों में एक हैं, जिन्होंने आधे नर और आधे सिंह के रूप में अवतरण लिया था। भगवान नृसिंह के जन्म की कहानी एक प्रसिद्ध कथा प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप से जुड़ी है।
प्रह्लाद भगवान विष्णु का सच्चा भक्त था, जबकि उसका पिता हिरण्यकश्यप एक अहंकारी राक्षस था। उन्हें यह वरदान मिला था कि वह न किसी मानव, न पशु, न अस्त्र-शस्त्र से मारा जा सकता है। जब हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने की कोशिश की, तब भगवान विष्णु ने नरसिंह रूप धारण कर, उस अहंकारी और दुष्ट राजा का वध किया।
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, हर साल नरसिंह जयंती का पर्व वैसाख मास के शुक्ल चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह तिथि 10 मई को शाम 05 बजकर 29 मिनट से शुरू होगी, वही इस तिथि का समापन 11 मई 2025 को रात्रि 08 बजकर 01 मिनट होगा।
ऐसे में पंचांग के अनुसार, इस साल रविवार, 11 मई (Narasimha Jayanti Tithi) के दिन नरसिंह जयंती का पर्व मनाया जाएगा।
नरसिंह जयंती के पूजन का सही समय और शुभ मुहूर्त (Narasimha Jayanti Shubh Muhurat) इस प्रकार है-
सांय काल पूजा का समय -दोपहर 03:36 बजे से लेकर शाम 06:14 बजे तक
पूजन अवधि - 2 घंटे 39 मिनट
पारण (व्रत खोलने) का समय - 12 मई, प्रातः 05:01 बजे के बाद
नरसिंह जयंती का संकल्प लेने का शुभ समय (मध्याह्न) - सुबह 10:19 बजे से दोपहर 12:57 बजे तक
नरसिंह जयंती के दिन भगवान नरसिंह की पूजा करने से जीवन में साहस और विजय का आशीर्वाद मिलता है। उनके दिव्य आशीर्वाद से जीवन की सभी कष्ट एवं बाधाएं दूर होती है।
ऐसी मान्यता है की जो लोग बुरी शक्तियों, नकारात्मक ऊर्जा या बीमारियों से मुक्ति चाहते हैं, उन्हें इस दिन सच्चे मन से भगवान नरसिंह की आराधना करनी चाहिए।
हिंदू शास्त्रों में भगवान नरसिंह को धर्म की रक्षा और अधर्म के विनाश का प्रतीक माना गया है। भगवान नरसिंह की कथा प्रेरणा और आस्था का अद्भुत स्रोत है।
कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन पूरे मन से व्रत रखते हुए भगवान नरसिंह की पूजा करते हैं, वे अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करते हैं।