भगवान शनिदेव के जन्मोत्सव के पर्व को शनि जयंती (shani jayanti 2024) के रूप में मनाया जाता है। भगवान सूर्यनारायण और माता छाया के पुत्र, भगवान शनिदेव को ज्योतिषशास्त्र में प्रमुख ग्रह के रूप में जाना जाता है। कहा जाता है की यदि शनि की कुदृष्टि किसी व्यक्ति पर पड़ जाएं, तो उस व्यक्ति के बुरे दिन शुरू हो जाते है। सनातन धर्म में प्रभु शनिदेव(shanidev) एक न्यायवान देवता के रूप में पूजे जाते है, जो जातक को उसके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते है। आइये जानते है भगवान शनिदेव को समर्पित, शनि जयंती का यह पर्व इस साल कब मनाया जाएगा और आप इस दिन किन उपायों से शनिदेव को प्रसन्न कर सकते है-
हिन्दू धर्म में सप्ताह का हर शनिवार शनि देव को समर्पित है। भगवान शनिदेव के जन्मोत्सव के पर्व को शनि जयंती (shani jayanti 2024) के रूप में मनाया जाता है। भगवान सूर्यनारायण और माता छाया के पुत्र, भगवान शनिदेव जिन्हे ज्योतिषशास्त्र में प्रमुख ग्रह के रूप में जाना जाता है। कहा जाता है की यदि शनि की बुरी दृष्टि किसी व्यक्ति पर पड़ जाएं, तो उस व्यक्ति के बुरे दिन शुरू हो जाते है। बता दें ज्योतिष में शनि देव को न्याय का देवता कहा जाता है। वह व्यक्ति को कर्मों के आधार पर फल देते हैं। इसलिए उन्हें न्यायाधीश का स्थान प्राप्त है।
शनि देव पूजा करने से जातक के कष्टों में कमी आती है। साथ ही नौकरी में तरक्की के योग बनते हैं। हालांकि, शनि देव की विशेष कृपा पाने के लिए शनि जयंती का दिन बेहद शुभ है। वेद और ज्योतिष शास्त्र में शनि देव की लीला को विस्तार से बताया गया है। भगवान शनि देव को मनुष्य द्वारा किये कर्मो और न्याय का फल प्रदान करने वाला देवता माना गया है। हर साल वैशाख माह में शनि जयंती का पर्व मनाया जाता है। आइये जानते है भगवान शनिदेव को समर्पित, शनि जयंती का यह पर्व इस साल कब मनाया जाएगा और आप इस दिन किन- किन महत्वपूर्ण उपायों से शनिदेव को प्रसन्न कर सकते है-
हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह में अमावस्या की तिथि को शनि जयंती के रुप में मनाने की प्रथा है. जो इस साल 6 जून 2024, गुरुवार के दिन पड़ रही है. पौराणिक कथाओं के अनुसार ज्येष्ठ माह के अमावस्या के दिन शनि देव का जन्म हुआ था, इसीलिए इस दिवस को शनि जयंती (shani jayanti kab hai) के रुप में मनाया जाता है. इसी दिन वट सावित्री व्रत भी रखा जाता है.आइये अब जानते है शनि जयंती का समय, महत्व व शनि जयंती के उपाय-
ज्येष्ठ माह अमावस्या तिथि प्रांरभ | 5 जून, शाम 7.54 बजे |
ज्येष्ठ माह अमावस्या तिथि समाप्त | 6 जून, शाम 6:07 बजे तक |
• शनिवार के देवता शनिदेव हैं। आकाशीय गति के अनुसार शनि को सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह माना जाता है। इसलिए, ज्योतिषीय रूप से, किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में इस ग्रह की स्थिति का महत्वपूर्ण योग और साथ ही बहुत बड़ा महत्व भी है।
•अपने जीवनकाल में, प्रत्येक व्यक्ति शनि साढ़े साती चरण का अनुभव करता है, जिसके दौरान उन्हें अपने जीवन की सबसे कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। फिर भी, यदि आप अच्छे कर्म करते हैं, तो भगवान शनि (shani jayanti importance) इस दौरान आपको आशीर्वाद देंगे, समृद्धि में आपकी सहायता करेंगे और आपके कष्टों से मुक्ति दिलाएंगे।
• शनि देव कुंडली में मौजूद अच्छे- बुरे की स्थिति और मनुष्य को उसके कर्मों के आधार पर अच्छे और बुरे फल प्रदान करते हैं. जिन लोगों की कुंडली में शनि कमजोर अवस्था में विराजमान हैं उन्हे विशेष रूप से सावधानी बरतनी चाहिए।
• जो लोग गलत काम करते हैं, कमजोर वर्ग के लोगों को सताते हैं, दूसरों का धन हड़पने की फिराक में रहते हैं.और कठोर परिश्रम करने वालों का शोषण करते है शनि (Shani) उन्हें अवश्य ही कड़ा दंड देते हैं. शनि के क्रोध से कोई नहीं बच सकता है।
• हिंदू अक्सर शनिदेव को प्रसन्न करने और उनके नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए उनकी पूजा करते हैं। जिन लोगों पर साढ़ेसाती चल रही है उन्हें नियमित रूप से भगवान की प्रार्थना करनी चाहिए। इसके अलावा, शनि जयंती पर उपवास करने और उनके मंदिरों में जाने से भगवान शनि के भक्तों को भाग्य का आशीर्वाद मिलता है।
1. यदि आपकी कुंडली में शनि दोष है तो आपको शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए कुछ उपाय करने चाहिए। उपाय यह हो सकता है कि आप दशरथकृत शनि स्तोत्र का जाप करें। हमेशा लोगों और अपने माता-पिता का सम्मान करें, उनका अपमान न करें।
2. शनि जयंती के दिन खास तौर पर शनि चालीसा (shani chalisa) का पाठ करें व काले कुत्ते की सेवा करें, उसे भोजन जरुर कराएं।
3.इस दिन (shani jayanti) सूरज उगने के बाद पीपल की पूजा करें और जल अर्पित करते हुए सरसों के तेल का दीया प्रज्वल्लित करें।दीये में काले तिल जरुर डालें।
4.आवश्यकता के अनुसार काली उड़द, काले तिल या काले चने का दान करें। शनिवार का व्रत करें और शनि व्रत कथा का पाठ करें। सक्रिय रहें और दूसरों को चोट पहुँचाने से बचें।
5.यदि किसी व्यक्ति के जीवन किसी प्रकार का कष्ट चल रहा हो तो, उसे शनि जयंती के दिन सरसों के तेल, तिल और काले रंग के कपड़े का दान करना चाहिए। शनि जयंती के इस पवित्र दिन पर शनि यंत्र की पूजा (shani jayanti puja vidhi) बहुत अधिक फलदायक मानी जाती है।
हिंदू धर्म में शनिवार का दिन भगवान शनिदेव को समर्पित है। शनि देव को शनि का देवता माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि शनि मुख्य रूप से अपने ही निवासियों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। परिणामस्वरूप, हर कोई उन्हें प्रसन्न करने के लिए शनि जयंती 2024 पर भगवान शनिदेव की पूजा करता है। हर कोई अपनी कुंडली से शनि दोष को खत्म करने के लिए भगवान शनिदेव की पूजा और प्रार्थना करता है।