हिन्दू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया जाता है। यह तिथि विशेष तौर पर भगवान सत्यनारायण को समर्पित होती है। वैसे तो सभी पूर्णिमा महत्वपूर्ण मानी जाती है, लेकिन शास्त्रों में शरद पूर्णिमा को बहुत खास माना गया है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार शरद पूर्णिमा आश्विन माह में आती है। शरद पूर्णिमा को नवान्न पूर्णिमा, आश्विन पूर्णिमा, कुमार पूर्णिमा और कौमुदी पूर्णिमा भी कहते हैं।
दैनिक पंचांग में सबसे प्रसिद्ध पूर्णिमाओं में से एक है शरद पूर्णिमा। माना जाता है कि शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima 2023) वर्ष में एकमात्र दिन है जब चंद्रमा पूरी तरह से अपनी सोलह कलाओं के साथ प्रकट होता है। साथ ही,शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र देव की पूजा बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। तो, आइये जानते है, शरद पूर्णिमा 2023 कि तिथि, शुभ मुहूर्त, चौघड़िया मुहूर्त व इस पूर्णिमा का धार्मिक महत्व-
इस साल, शनिवार 28 अक्टूबर 2023 (Sharad Purnima 2023 Date) के दिन शरद पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा। हर साल यह व्रत आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन पड़ता है। आश्विन मास के शुक्ल पूर्णिमा की शुरुआत, समापन व चंद्रोदय का समय (Sharad Purnima 2023 Moonrise Time) इस प्रकार से है-
पूर्णिमा तिथि आरंभ: 27 अक्टूबर 2023 को शाम 04:47 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 28 अक्टूबर 2023 को दोपहर 02:23 बजे
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय: शाम 05:53 बजे
दिन का चौघड़िया
सूर्योदय प्रातः 06:37 बजे
काल - हानि मुहूर्त
प्रातः 06:37 बजे से प्रातः 08:03 बजे तक
शुभ मुहूर्त
प्रातः 08:03 बजे से प्रातः 09:30 बजे तक
राहु काल
प्रातः 09:30 बजे से प्रातः 10:56 बजे तक
लाभ मुहूर्त
दोपहर 01:48 PM बजे से दोपहर 03:15 बजे तक
अमृता- बेस्ट
03:15 PM से 04:41 PM तक
शरद पूर्णिमा पर चंद्र देव की पूजा बहुत महत्वपूर्ण है। विवाहित महिलाएं सही वर मिलने की उम्मीद में व्रत रखती हैं, जबकि नवविवाहित महिलाएं इस दिन पूर्णिमा का व्रत शुरू करती है। मान्यता के अनुसार सोलह विभिन्न कलाओं के मेल से एक आदर्श मानव व्यक्तित्व का निर्माण होता है।
बृज क्षेत्र में शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने दिव्य प्रेम का महारास नृत्य किया था। साथ ही कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी शरद पूर्णिमा भ्रमण पर आती है। आइए अब देखते हैं कि शरद पूर्णिमा के इस शुभ दिन पर क्या अनुष्ठान किए जाते है-
पूर्वी भारत के कई हिस्सों, जैसे बंगाल, असम, ओडिशा और पूर्वी बिहार, शरद पूर्णिमा या कोजागिरी पूर्णिमा पर देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। धन की देवी माने जाने वाली देवी लक्ष्मी इस दिन अपने भक्तों को विशेष आशीर्वाद प्रदान करती है। कहा जाता है कि देवी लक्ष्मी भ्रमण पर रहती है और रात में लोगों के घर जाती है और प्रसन्न होने पर उनके जीवन को सुख-समृद्धि से भर देती है।
शरद पूर्णिमा के दिन जरूरतमंद लोगों को भोजन और दैनिक आवश्यकताओं की मदद करना बहुत लाभदायक है। माना जाता है कि जो लोग इस दिन दूसरों की मदद करते है, उन्हें हमेशा भगवान का साथ मिलता है। इसके साथ ही इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने का भी विधान है। भक्त शरद पूर्णिमा के दिन गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। फिर वे देवी लक्ष्मी की आराधना करते है।
शरद पूर्णिमा कि रात को चांद की रोशनी बहुत महत्वपूर्ण है। माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चांद की रोशनी में कुछ तत्व मौजूद है, जो हमारे शरीर और मन को शुद्ध करते हैं और हमें एक पोजिटिव ऊर्जा देते हैं। वहीं आपको बता दें कि शरद पूर्णिमा की रात को दूध और चावल की खीर बनाकर चांद की रोशनी में रखने का विशेष महत्व बताया जाता है। इस खीर को सुबह भोग के रूप में खाने से स्वास्थ्य संबंधी कई रोग दूर होते है।
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