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Somnath Mandir, Gujrat History & How to Reach Somnath Temple | सोमनाथ मंदिर का इतिहास और वहां कैसे पहुंचे?

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सोमनाथ मंदिर भारत के सबसे प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरो में से एक है। भगवान शिव का यह मंदिर भारत के पश्चिमी तट पर गुजरात प्रदेश के सौराष्ट्र में प्रभास क्षेत्र में स्थित है। यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंग में से सबसे पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है, जिसके बारे में बहुत से महाग्रंथों में भी विस्तार से बताया गया है। गुजरात के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल में से एक सोमनाथ मंदिर की ख़ूबसूरती देखते ही बनती है। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर का इतिहास और इसकी अद्भुत कला ही देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी भारी पर्यटकों को अपने ओर आकर्षित करती है।

Somnath Mandir, Gujrat History & How to Reach Somnath Temple | सोमनाथ मंदिर का इतिहास और वहां कैसे पहुंचे?

आज इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको इस मंदिर के बारे में सारी जानकारी दे रहे है, तो इस पोस्ट को अंत तक ज़रूर पढ़े।


सोमनाथ मंदिर से जुड़ी रोचक कथा | Story of Somnath Temple In Hindi

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बताया जाता है की चंद्रदेव ने इस मंदिर में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। दरअसल, चंद्रदेव की शादी प्रजापति दक्ष की 27 पुत्रियों से हुई थी, लेकिन वे उन सब में से सबसे सुंदर रोहिणी से प्रेम करते थे। प्रजापति दक्ष से अपनी बाकी की बेटियों के साथ हो रहा यह अन्याय सहन नहीं हुआ, जिसके चलते उन्होंने चंद्रदेव को यह श्राप दे दिया की उनकी चमक प्रकाश धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगा।

इस श्राप का असर जैसे ही शुरू हुआ वैसे ही चंद्रदेव का प्रकाश कम होने लगा। राजा दक्ष के श्राप से मुक्ति पाने के लिए चंद्रदेव को भगवान शिव की आराधना करने के अलावा और कोई उपाय समझ नहीं आया, जिसके बाद उन्होंने भोलेनाथ की उपासना की। भगवान शिव उनकी आराधना से प्रसन्न हुए और उन्हें दक्ष के श्राप से मुक्त कर दिया। उसके बाद सोम चंद्रदेव ने उस स्थान पर भगवान शिव के इस मंदिर का निर्माण करवाया और ऐसे इस मंदिर का नाम सोमनाथ पड़ा।


सोमनाथ मंदिर का इतिहास | History of Somnath Temple

वेद पुराणों में साफ तौर से इस बात का उल्लेख किया गया है की सोमनाथ मंदिर का निर्माण स्वयं चंद्रदेव ने किया है। इतिहास की बात की जाए तो ऐसा बताया जाता है की अल बरूनी नामक एक अरब यात्री ने अपने यात्रा के वृतान्त के समय इस मंदिर का बखान किया था, जिसे सुनने मात्र से ही अफ़ग़ानिस्तान का शासक महमूद गजनवी इतना अधिक प्रभावित हो गया की उसने अपने 5000 सैनिकों के साथ मिलकर से 1024 में सोमनाथ मंदिर पर हमला कर दिया। महमूद गजनवी ने ना सिर्फ मंदिर को पुरे तरीके से नष्ट कर दिया बल्कि मंदिर की सारी संपत्ति भी लूट कर ले गए। ऐसा माना जाता है की उस समय मंदिर में हज़ारों के संख्या में लोग पूजा-अर्चना कर रहे थे और गजनवी ने एक एक कर सभी का क़त्ल करवा दिया और सारी संपत्ति लूटकर वहां से भाग गया।

मंदिर के नष्ट होने के बाद गुजरात के शाशक राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने मिलकर इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। इसके बाद साल 1297 ने दिल्ली सल्तनत ने गुजरात पर हमला बोल दिया जिसके बाद गुजरात उनके हिस्से में आ गया और तब सोमनाथ मंदिर को पांचवी बार गिराया गया। सन 1702 में मुग़लों के शासक औरंगजेब ने एक आदेश जारी किया जिसमें उन्होंने कहा की यदि कोई भी हिन्दू इस मंदिर में पूजा के लिए जाएगा तो इस मंदिर को पूरे तरीके से तुड़वा दिया जाएगा, और चार साल बाद यानी सन 1706 उसने यही किया और सोमनाथ मंदिर को पुनःगिरवा दिया।

आज जिस सोमनाथ मंदिर में हम भगवान शिव के दर्शन को जाते है, उसका निर्माण भारत के पूर्व गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने कराया था, जिसके चलते मंदिर के एक हिस्से में उनकी एक प्रतिमा भी स्थापित की गयी है। इसके बाद भारत के पूर्व राष्ट्रपति ने सन 1995 में इस सोमनाथ मंदिर को देश के नाम समर्पित कर दिया था।


सोमनाथ मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य | Interesting Facts About Somnath Temple

भारत के सबसे लोकप्रिय शिव मंदिर होने के कारण इस मंदिर की एक नहीं बहुत सारी विशेषताएं है, और यहीं वजह है की देश-विदेश से भी लोग इस मंदिर को देखने के लिए आते है। आइए एक नजर डालते है इस मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों पर:

  1. सोमनाथ मंदिर की चोटी की ऊंचाई 150 फ़ीट लम्बी है।
  2. सोमनाथ मंदिर में मौजूद शिवलिंग में रेडियोधर्मी गुण पाएं जाते है, जो जमीन की ऊपरी सतह पर संतुलन बनाएं रखने में मददगार है।
  3. सोमनाथ मंदिर के दक्षिणी भाग में स्थित समुद्र के किनारे के एक स्तंभ है, जिसे बाणस्तंभ के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है।
  4. मंदिर के किनारे पर हिरण, कपिला और सरस्वती नदियों का संगम होता है, जिसे त्रिवेणी के नाम से जाना जाता है। माना जाता है की जो भी इसमें स्नान करता है वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है।
  5. सोमनाथ मंदिर के क्षेत्र को पहले प्रभासक्षेत्र के नाम से जाना जाता था, साथ ही पौराणिक कथाओं के अनुसार माना तो यह भी जाता है की भगवान श्री कृष्ण ने इसी स्थान पर अपने शरीर का त्याग किया था।

मंदिर के सबसे ऊपरी भाग में लहराती हुई ध्वजा की अगर बात की जाए तो यह 27 फीट ऊंची है साथ ही यहां स्थित कलश का भार लगभग 10 टन है।
सोमनाथ मंदिर अपनी वास्तुकला के कारण भी बहुत प्रसिद्ध है, जिसके चलते लाखों की संख्या में पर्यटक यहां आते है। इसके साथ शाम को साढ़े सात बजे से लेकर रात साढ़े आठ बजे यहां एक विशेष लाइट एंड साउंड शो चलता है, जिसमे इस मंदिर के इतिहास के बारे में बताया जाता है।

श्रद्धालुओं के लिए सोमनाथ मंदिर के पट सुबह छह बजे से लेकर रात के नौ बजे तक खुले रहते है। इस मंदिर के आरती की भी बहुत लोकप्रियता बताई जाती है। आपको बता दे, सोमनाथ मंदिर में तीन बार आरती की जाती है।


ऐसे पहुंचें सोमनाथ मंदिर | How To Reach Somnath Temple?

सोमनाथ मंदिर एक बहुत बड़ा पर्यटन स्थल है हालंकि एक तथ्य यह भी है की यहां कोई रेलवे स्टेशन या एयरपोर्ट नहीं है। जिसके कारण आसपास के शहरों के रेलवे स्टेशन या हवाई अड्डों पर पहुंचकर निजी वाहन या अन्य ट्रांसपोर्ट के माध्यमों से ही यहाँ सोमनाथ मंदिर पहुंचा जा सकता है। यहां हम आपको रेल, सड़क और हवाई जहाज तीनो माध्यमों से यहां पहुंचने का रास्ता बताने जा रहे है-


सोमनाथ मंदिर बस से कैसे पहुंचे?

सोमनाथ मंदिर तक सीधे पहुंचने का बस एक सबसे अच्छा साधन हो सकती है। बस में आपको एसी,नॉन -एसी और लक्जरी एसी बसों जैसे बहुत सारे विकल्प मिल जाएंगे। इसके साथ ही गुजरात के मुख्य शहर जैसे अहमदाबाद, राजकोट, गांधीनगर,और पोरबंदर से बस के द्वारा सोमनाथ पहुंचा जा सकता है।


सोमनाथ मंदिर ट्रेन से कैसे पहुंचे?

वैसे तो गुजरात में बहुत सारे रेलवे स्टेशन है, लेकिन जो रेलवे स्टेशन सोमनाथ के सबसे नजदीक है वो वेरावल स्टेशन है। वेरवाल का यह रेलवे स्टेशन सोमनाथ मंदिर से मात्र 5 किमी दूर है। यह रेलमार्ग मुंबई, अहमदाबाद जैसी कई शहरों से जुड़े हुए है। वेरावल स्टेशन पर पहुंचकर ऑटो व अन्य बहुत से निजी वाहनों के माध्यम से सोमनाथ जाया जा सकता है।


सोमनाथ मंदिर हवाई जहाज से कैसे पहुंचे?

हवाई जहाज के जरिये यदि आप सोमनाथ पहुंचना चाहते है तो उसके लिए दीव एयरपोर्ट आपको सोमनाथ मंदिर से सबसे नजदीक पड़ेगा। दीव हवाई अड्डे से आपको बस के माध्यम से सोमनाथ की ओर रवाना होना होगा। वही अगर हम अन्य एयरपोर्ट से सोमनाथ मंदिर के दूरी की बात करें तो वह इस प्रकार है:

  • राजकोट हवाई हड्डा- 160 किमी
  • पोरबंदर हवाई अड्डा - 120 किमी

आप अपने शहर के एयरपोर्ट से इन हवाई अड्डों पर आसानी से पहुंच सकते है।


सोमनाथ मंदिर का रास्ता | Location of Somnath Temple

भगवान शिव को समर्पित श्रावण मास में ज्योतिर्लिंग के दर्शन का बहुत अधिक महत्व बताया गया है, ऐसे में आप भी इस मौसम में परिवार के साथ सोमनाथ मंदिर में दर्शन के लिए जा सकते है।

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