जगत जननी मां अन्नपूर्णा की महिमा बहुत अधिक मानी जाती है। माता पार्वती का यह स्वरूप सारे संसार का भरण-पोषण करती है। कहा जाता है कि जहां मां अन्नपूर्णा की कृपा होती है, वहां कभी भी अन्न की कमी नही आती है। यही कारण है घर के रसोई घर की देवी अन्नपूर्णा का निवास स्थान माना जाता है।
मां अन्नपूर्णा को समर्पित महाव्रत का प्रारंभ मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पंचमी से होता है और मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की षष्ठी को इसका समापन होता है। धर्म शास्त्रों में इस व्रत को बहुत अधिक फलदायक माना जाता है। व्रत का प्रांरभ 7 गांठों वाले धागे को धारण कर किया जाता है और 17 दिनों तक इस महाव्रत का पालन किया जाता है। आइये जानते है देवी अन्नपूर्णा को समर्पित इस व्रत की पूजा विधि क्या है, साथ ही इस को रखने के पीछे का महत्व क्या माना जाता है-
• देवी अन्नपूर्णा व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर, व्रत संकल्प लें।
• अब एक डोरा लें और उसका पूजन कर, अन्नपूर्णा की कथा का श्रवण करें।
• इस प्रकार अगले सोलह दिनों तक माता अन्नपूर्णा की व्रत कथा सुने और डोरे का पूजन करें।
• सोलह दिन पुरे होने के बाद 17 वें दिन व्रत रख रही महिलाएं सफेद या लाल रंग के वस्त्र धारण करें।
• इस दिन घर की, खास तौर पर रसोई एवं चूल्हे की अच्छे से साफ सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव करें।
• रसोई के चूल्हे को गंगाजल से शुद्ध कर हल्दी, रोली, चावल व पुष्प इत्यादि अर्पित करें।
• अब एक दीप प्रज्वलित करें और देवी पार्वती ओर भगवान शिव को स्मरण करें।
• विधि-विधान से पूजन सम्पन्न करने के बाद देवी अन्नपूर्णा से प्रार्थना करें की आपके घर में कभी अन्न की कमी न हो।
• इस दिन जरूरतमंदो को भोजन कराएं और अन्न का दान करें।
1. देवी अन्नपूर्णा को समर्पित इस व्रत को रखने से संतान की प्राप्ति होती है।
2. इस व्रत को विधि-विधान से रखने से घर में कभी अन्न का अभाव नहीं होता है।
3. माता अन्नपूर्णा का व्रत रखने से देवी महालक्ष्मी की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है।
4. इस व्रत को रख माता के चारों ओर परिक्रमा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
5. मां अन्नपूर्णा के इस व्रत को रखने से घर में अन्न से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या उत्पन्न नही होती है।
इस साल 2022 में देवी अन्नपूर्णा को समर्पित इस व्रत का आरंभ 29 नवंबर से होने जा रहा है। सत्रह दिनों तक चलने वाले इस व्रत समापन 08 दिसंबर 2022 को होगा।
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