चेटीचंड मूल रूप से एक सिंधी त्यौहार, जो अधिकतर सिंधी समुदाय के लोगों के द्वारा मनाया जाता है। हर साल चैत्र माह कि शुक्ल प्रतिप्रदा के दिन चेटीचंड और झूलेलाल जयंती का पर्व मनाया जाता है। सिंधी समाज के लिए इस दिन का विशेष महत्व माना जाता है। इसके साथ ही यह दिन सिंधी नव वर्ष के रूप में भी जाना जाता है।
हर साल मनाएं जाने वाले इस विशेष पर्व चेटीचंड को, झूलेलाल जयंती के तौर पर भी मनाया जाता है। चेटीचंड का दिन सिंधी समाज के लिए विशेष महत्व रखता है, इसके पीछे का एक कारण यह भी है की इस दिन से सिंधी हिंदुओं का नव वर्ष प्रांरभ हो जाता है। नव वर्ष मनाने के साथ ही चेटीचंड के दिन, सिंधी समुदाय के लोग मुख्य रूप से झूलेलाल भगवान की आराधना करते है और विधि-विधान से उनका पूजा करते है।
माना जाता है कि भगवान झूलेलाल, हिन्दू धर्म के एक प्रमुख देवता वरुण देव अंश अवतार है। आइए जानते है, इस साल 2023, में चेटीचंड या झूलेलाल जयंती (Cheti Chand 2023) कब मनाया जायेगा और इस पर्व को मनाने के पीछे का महत्व क्या है-
चेटीचंड सामान्य रूप से चैत्र शुक्ल पक्ष के पहले दिन आता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार इस दिन चैत्र (सिंधी महीने) की शुरुआत होती है। इस वर्ष 2023 में सिंधी नववर्ष, निम्न तिथि और मुहूर्त के अनुसार मनाया जाएगा-
चेटीचंड तिथि 2023 | बुधवार, 22 मार्च 2023 |
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ | 21 मार्च 2023, रात 10:52 बजे से |
पूर्णिमा तिथि समाप्त | 22 मार्च 2023, रात 10:10 बजे तक |
• सिंधियों ने झूलेलाल का जन्मदिन मनाने के लिए इस त्यौहार को मनाने का आगाज किया था। संत झूलेलाल को उदेरोलाल के नाम से भी जाना जाता है। सिंधियों के लिए चेटीचंड का अत्यधिक महत्व होने का कारण यह मान्यता है कि इस दिन वरुण देव झूलेलाल के रूप में जीवित हुए थे। सिंधी संस्कृति और हिंदू धर्म की रक्षा करने हेतु, उन्होंने धरती पर अवतार लिया था और अधर्मियों के पापों से लोगों को मुक्त कराया था। इस दिन को जल के देवता की पूजा और आभार प्रकट करने के लिए भी शुभ माना जाता है।
• चैत्र को एक महत्वपूर्ण महीना माना जाता है, जिसे सिंधी समुदाय द्वारा 'चेत' कहा जाता है। इसके साथ ही सिंधी पंचांग के अनुसार, हर एक नए माह की शुरुआत अमावस्या यानी 'चंद' से होती है। यही कारण है कि इस पर्व को चेटीचंड के नाम से जाना जाता है।
• चेटी चंद को अत्यधिक लाभकारी और किसी भी नए कार्य का शुभारंभ करने के लिए शुभ माना जाता है।
• भगवान झूलेलाल जयंती के विशेष पर्व पर जल की पूजा की जाती है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सिंधी समुदाय के लोग विभिन्न अनुष्ठान करते है और चालीस दिनों तक प्रार्थना करते है। जो भी व्यक्ति श्रद्धापूर्वक इन चालीस दिनों में संत झूलेलाल की पुजा-अर्चना करते है, उनके जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है और उनके सभी दुःख भी दूर हो जाते है।
• चेटीचंड को एक बहुत ही शुभ दिन माना जाता है और इस दिन सभी लोग एक दूसरे को बधाई देकर अपने से बड़े बुजुर्गो से आशीर्वाद लेते है और उनके नगर में स्थापित झूलेलाल मंदिरों में दर्शन के लिए जाते है।
• चेटीचंड के दिन विभिन्न स्थानों पर संत झुलेलाल की खास शोभा यात्रा निकाली जाती है। लगभग सभी सिंधी समुदाय के लोग इस शोभा यात्रा में शामिल होते है और संध्या के समय अपने घर में पांच दीपक जलाते है, और हर्षोल्लास के साथ इस पर्व को मनाते है।
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