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Dattatreya Jayanti 2023 | दत्तात्रेय जयंती 2023 | तिथि, समय, शुभ मुहूर्त व मुख्य अनुष्ठान

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भगवान दत्तात्रेय का जन्म भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान शिव के दिव्य रूपों से हुआ था। दत्तात्रेय जयंती पर भगवान दत्तात्रेय और इन त्रिमूर्ति की पूजा की जाती है। भगवान दत्तात्रेय में तीनों देवों के दर्शन समाहित होते है। भगवान दत्तात्रेय को भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक माना जाता है। मान्यता है कि उन्हें अपने परिवेश और वातावरण को देखकर ज्ञान प्राप्त हुआ था।

Dattatreya Jayanti 2023 | दत्तात्रेय जयंती 2023 | तिथि, समय, शुभ मुहूर्त व मुख्य अनुष्ठान

भगवान दत्तात्रेय(Dattatreya Jayanti 2023) को शास्त्रों में तीन सिर और छह भुजाओं के साथ दर्शाया जाता है। उनके तीन सिर ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर के स्वरूप का प्रतिनिधित्व करते है। उनके छह हाथों में ब्रह्मा का कमंडल और माला, विष्णु का शंख और चक्र तथा शिव का त्रिशूल और डमरू है। पूरे भारत में दत्तात्रेय को समर्पित मंदिरों में दत्तात्रेय जयंती बहुत धूमधाम से मनाई जाती है।

आइए जानते हैं इस वर्ष दत्तात्रेय जयंती 2023 तिथि, समय, शुभ मुहूर्त व भगवान दत्तात्रेय (Dattatreya Jayanti 2023) से जुड़ें महत्वपूर्ण अनुष्ठान -

Dattatreya Jayanti 2023 Date : दत्तात्रेय जयंती 2023 तिथि

प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को दत्तात्रेय जयंती का उत्सव मनाया जाता है। इस साल, मंगलवार, 26 दिसंबर 2023 (Dattatreya Jayanti 2023 Date) को दत्तात्रेय जयंती का यह उत्सव मनाया जाएगा।

भगवान दत्तात्रेय महर्षि अत्रि और माता अनुसूया के पुत्र थे। महर्षि अत्रि सप्तऋषियों में से एक है, वही माता अनुसूया को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।


Dattatreya Jayanti 2023 Shubh Muhurat : दत्तात्रेय जयंती 2023 शुभ मुहूर्त

पूर्णिमा तिथि आरंभ: 26 दिसंबर 2023, सुबह 05:46 बजे से

पूर्णिमा तिथि समाप्त: 27 दिसंबर 2023, सुबह 06:02 बजे तक

दिन का चौघड़िया - सूर्योदय प्रातः 07:09 AM

रात्रि का चौघड़िया - सूर्यास्त शाम 06:09 PM


Significance of Dattatreya Jayanti 2023 : दत्तात्रेय जयंती 2023 महत्व

• माना जाता है कि भगवान दत्तात्रेय त्रिमूर्ति की शक्तियां रखते हैं। भगवान दत्तात्रेय समृद्धि के रास्ते में आने वाली चुनौतियों से बचाते हैं और भक्तों को बाधाओं से राहत प्रदान करते है। त्रिमूर्ति की शक्तियों के आशीर्वाद से भक्तों को जीवन में सफलता मिलती है।

• दक्षिण भारत में कई मंदिर भगवान दत्तात्रेय को समर्पित हैं। उन्हें महाराष्ट्र राज्य का इष्टदेव माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय के तीन सिर और छह भुजाएं हैं। दत्तात्रेय जयंती के दिन उनके बाल स्वरूप की पूजा की जाती है। यह दिन कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में भगवान दत्तात्रेय के मंदिरों में बहुत खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है।

• भगवान दत्तात्रेय के छह हाथों में शंख, चक्र, गदा, त्रिशूल, कमंडल और डमरू है। शंख स्वर्गीय ध्वनि का प्रतिनिधित्व करता है; चक्र समय का प्रतिनिधित्व करता है; गदा गौरव का प्रतीक है; त्रिशूल तीन गुना ऊर्जाओं का प्रतिनिधित्व करता है; कमंडल में भगवान दत्तात्रेय को पृथ्वी पर जीवन के वाहक के रूप में दर्शाया गया है; डमरू व्यक्ति की गरिमा, नकारात्मकता, घमंड और बुरे विचारों का प्रतीक है।


Dattatreya Jayanti 2023 Rituals: दत्तात्रेय जयंती 2023 के मुख्य अनुष्ठान

1. भक्त, अन्य पूजाओं की तरह, जल्दी उठते हैं, पवित्र जल निकायों में स्नान करते हैं और दिन भर उपवास करते हैं।

2. भगवान की मूर्ति या तस्वीर को पूजा करते समय हल्दी, सिन्दूर और चंदन का लेप लगाना चाहिए।

3. भक्तों को पूजा शुरू होने पर भगवान दत्तात्रेय की मूर्ति के चारों ओर सात बार परिक्रमा लगानी चाहिए और पूजा के बाद सभी में प्रसाद वितरित करना चाहिए।

4. इस दिन मन और आत्मा की शुद्धता के लिए "श्री गुरु दत्तात्रेय नमः" या ओम श्री गुरुदेव दत्त जैसे मंत्रों का जाप काफी फायदेमंद है।

5. भगवान दत्तात्रेय जयंती से सात दिन पहले श्री गुरुचरित्र का पाठ करना भी एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जो इस उत्सव के प्रांरभ का भी प्रतीक है।


इस प्रकार दत्तात्रेय जयंती (Dattatreya Jayanti 2023) से जुड़ें यह कुछ महत्वपूर्ण तथ्य व अनुष्ठान है।

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