रोशनी व दीपों के महापर्व के बाद हर्षोल्लास के साथ देव दिवाली का पावन उत्सव पुरे देश में मनाया जाता है। देव दीपवाली के इस पावन अवसर को कई क्षेत्रों में त्रिपुरोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है की इस दिन भगवान भोलेनाथ ने 'त्रिपुरसुर' नामक एक राक्षस का संहार किया था। इस राक्षस के वध की खुशी में यह त्यौहार मनाया जाता है।
रोशनी व दीपों के महापर्व के बाद हर्षोल्लास के साथ देव दिवाली का पावन उत्सव पुरे देश में मनाया जाता है। देव दीपवाली के इस पावन अवसर को कई क्षेत्रों में त्रिपुरोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है की इस दिन भगवान भोलेनाथ ने 'त्रिपुरसुर' नामक एक राक्षस का संहार किया था। इस राक्षस के वध की खुशी में यह त्यौहार मनाया जाता है।
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर साल कार्तिक माह की शुक्ल पूर्णिमा तिथि के दिन देव दीपावली का पर्व मनाया जाता है। देव दीपवाली का यह पर्व खास तौर पर 'भगवान शिव की नगरी' कहे जाने वाले वाराणसी शहर में मनाया जाता है। इस दिवाली पर पवित्र गंगा नदी के किनारे खास पूजा अर्चना की जाती है, और दीपों का महादान किया जाता है। दीपों से जगमकता हुआ गंगा घाट, देव दीपवाली के इस अवसर पर बहुत ही आकर्षक प्रतीक होता है। कहा जाता है की इस देवतागण स्वयं वाराणसी में दीप जलाते है और भगवान शिव की आराधना करते है। आइए जानते है, इस साल किस दिन देवताओं की दिवाली का यह पावन पर्व मनाया जाएगा-
इस साल 2022 में कार्तिक कृष्ण पक्ष की पूर्णिमा की तिथि 7 नवंबर 2022 के दिन पड़ेगी, जिस कारण इस दिन देव दिवाली का यह पर्व मनाया जाएगा। देव दिवाली का प्रांरभ व समापन समय इस प्रकार है-
देव दिवाली तिथि 2022 | 7 नवंबर 2022 |
देव दिवाली का प्रांरभ समय | 7 नवंबर 2022 शाम 4 बजकर 15 मिनट से |
देव दिवाली का समापन समय | 8 नवंबर 2022 शाम 4 बजकर 31 मिनट तक |
धार्मिक ग्रंथो में देव दीपावली मनाने के पीछे के बहुत महत्व बताएं गए है। एक कथा के अनुसार बहुत समय पहले त्रिपुरासुर नामक एक राक्षस हुआ करता था। उस राक्षस का अत्याचार इतना अधिक बढ़ गया था की उसे कोई भी देवता परास्त नहीं कर पा रहा था। तब परेशान होकर सभी देवतागण भगवान शिव के पास जा पहुंचे। भगवान से सभी देवताओं की प्रार्थना सुनी और कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा के दिन त्रिपुरासुर का वध कर दिया। इसी खुशी में सभी देवी-देवताओं ने मिलकर काशी में उत्सव मनाया और दीप प्रज्वल्लित किये। तभी से हर साल काशी में देव दिवाली यह परंपरा चली आ रही है।
देव दिवाली के दिन दीप दान का विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है की इस दिन देवी-देवताओं ने भी दीप दान किया था, इसीलिए ऐसा करना शुभ बताया जाता है। इस दिन आप 11 दीपकों का दान कर सकते है।
देव दिवाली के इस अवसर पर गंगा स्नान को भी महत्वपूर्ण माना जाता है। कहा जाता है की इस दिन गंगा स्नान करने के बाद दीपदान करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।