देवउठनी एकादशी का पर्व चतुर्मास के अंत को दर्शाता है। इस एकादशी को भारत के कई हिस्सों में देवोत्थान एकादशी, प्रबोधिनी एकादशी या देवोत्थान के नाम भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं, जिसके बाद सभी शुभ कार्य जैसे शादी, विवाह समारोह, मुंडन आदि शुरू हो जाते हैं।
देवउत्थान एकादशी (Dev uthani Ekadashi 2023) का शुभ अवसर चार महीनों की उस अशुभ अवधि के अंत का प्रतीक है, जिसके दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता था। इस अवधि को चातुर्मास कहा जाता है। इस एकादशी से पहले के चार महीने भगवान विष्णु का शयन काल होता है।
देवशयनी और देवउठनी एकादशी के बीच की अवधि को विवाह समारोह और सगाई जैसे पवित्र या शुभ कार्यक्रमों के लिए अशुभ माना जाता है। इसीलिए लोग विवाह जैसे महत्वपूर्ण समारोह शुरू करने के लिए देवउत्थान एकादशी का इंतजार करते है। देवउठनी एकादशी के अवसर पर विवाह का समय शुरू होता है। आइये जानते है, देवउठनी एकादशी 2023 तिथि, शुभ लग्न मुहूर्त, महत्व व इस दिन किया जाने वाले अन्य महत्वपूर्ण अनुष्ठान-
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, देवउत्थान एकादशी शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन मनाई जाती है। यह पवित्र त्योहार कार्तिक माह में दिवाली के बाद मनाया जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, शुभ अवसर अक्टूबर या नवंबर में पड़ता है। इस वर्ष देवउठनी एकादशी का व्रत 23 नवंबर 2023 (Dev Uthani Ekadashi 2023 Date) दिन गुरुवार को रखा जाएगा।
• इस दिन जो भी व्यक्ति दान-पुण्य करता है उसे शुभ फल की प्राप्ति होगी।
• देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह का बहुत महत्व माना जाता है।
• इस एकादशी पर भगवान विष्णु सहित सभी देवताओं की पूजा की जाती है।
• देवउत्थान एकादशी से विवाह के अलावा गृह प्रवेश, मुंडन और अन्य शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं।
• देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु अपनी चार महीने की निद्रा से जागते हैं और सृष्टि का संचालन संभालते हैं।
• भक्त इस विशेष दिन पर घरों और मंदिरों में मिट्टी के दीपक जलाते हैं।
• तुलसी विवाह, देवउत्थान एकादशी के दिन किए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है।
• भक्त देवउत्थान एकादशी की पूर्व संध्या पर भगवान विष्णु का आह्वान करते हैं और उनकी पूजा करते हैं।
• एकादशी के दिन भक्त हर सुबह व्रत का संकल्प लेते है और श्रीकृष्ण और भगवान विष्णु के मंत्रो का जाप करते है।
• इस दिन भगवान विष्णु की एक मूर्ति या चित्र का पूजन किया जाता है और उन्हें गन्ना, सिंघाड़ा, बेर, मिठाई और फल इत्यादि अर्पित किए जाते है।