हिंदू धर्म में हर साल चैत्र नवरात्रि प्रतिपदा के दिन गुड़ी पड़वा का त्यौहार मनाया जाता है। यह दिन महाराष्ट्रीयन नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में, गुड़ी पड़वा के इस लोकप्रिय पर्व को उगादी के रूप में मनाया जाता है। आइए जानते है, गुड़ी पड़वा 2024 तिथि, शुभ मुहूर्त व अन्य महत्वपूर्ण तथ्य-
हिंदू धर्म में प्रतिपदा चैत्र नवरात्रि से नए साल की शुरुआत होती है। हर साल इसी दिन गुड़ी पड़वा (about Gudi Padwa 2024) का त्योहार भी मनाया जाता है। गुड़ी पड़वा महाराष्ट्र का एक प्रमुख त्योहार है। गुड़ी पड़वा में गुड़ी का शाब्दिक अर्थ है, विजय पताका। वही पड़वा का अर्थ प्रतिपदा तिथि को कहा जाता है। इन दिन को हिन्दू नव वर्ष की भव्य शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।
इस दिन मराठी समुदाय के लोग अपने घरों के सामने गुड़ी बांधते है। इसके बाद विधि-विधान से उसकी पूजा करते हैं। गुड़ी को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है और इसकी पूजा (about Gudi Padwa in hindi) इस कामना के साथ की जाती है कि नया साल सभी के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और समृद्धि लाए। आइए जानते हैं गुड़ी पड़वा या नया साल कब है, इसका शुभ मुहूर्त और महत्व क्या है।
भारत में गुड़ी पड़वा का यह त्योहार मंगलवार, 9 अप्रैल, 2024 (Gudi Padwa 2024 Date) को मनाया जाएगा। इस दिन गोवा और केरल में कोंकणी समुदाय के लोग इस त्योहार को संवत्सर पड़वु त्योहार के रूप में मनाते हैं। वही सिंधी समुदाय के लोग इसे चेट्टी चंद के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। गुड़ी पड़वा 2024 (Gudi Padwa 2024 Time) का समय इस प्रकार से है-
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - 08, अप्रैल 2024, रात 11:50 बजे से
प्रतिपदा तिथि समाप्त - 09, अप्रैल 2024, रात 08:30 बजे तक
ब्रह्ममुहूर्त
प्रातः 04:53 से 05:40 तक
अभिजीत मुहूर्त
दोपहर 12:15 से 13:05 तक
विजया मुहूर्त
दोपहर 14:45 से 15:35 तक
गोधूलि मुहूर्त
शाम 18:53 से 19:16 तक
गुड़ी पड़वा न केवल वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है, बल्कि रबी पौधों की कटाई का समय भी है। इसके अलावा, यह उस समय को भी प्रतिनिधित्व करता है, जब हिंदू भगवान ब्रह्मा ने ब्रह्मांड और दुनिया का निर्माण किया था।
महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में लोगों का मानना है कि यह पर्व भगवान शिव के नृत्य से जुड़ा है।इसलिए वे इस दिन गुड़ी कावड़ के अनुष्ठान के रूप में भगवान शिव के मंदिर तक जाते है। गुड़ी पड़वा का महाराष्ट्र और दक्षिण भारत दोनों में बहुत महत्व है।
इस दिन लोग अपने घरों को साफ करते हैं और उन्हें गाय के गोबर के उपलों से सजाते हैं। वही युवतियां अपने घर के दरवाजे को रंग-बिरंगी रंगोली से सजाती हैं। परंपरागत रूप से, इस दिन (Gudi Padwa Festival Significance) इस परिवार के लोग विभिन्न स्वादों वाले विशेष व्यंजन तैयार करते हैं।