काल भैरव जयंती 2023 भगवान शिव के क्रूर रूप कालभैरव की पूजा को समर्पित है। यह दिन हिंदू देवता काल भैरव की जयंती के रूप में मनाया जाता है। भगवान शिव के भक्तों के लिए इस त्योहार का खास महत्व बताया जाता है। हिंदू कैलेंडर में, यह त्योहार कार्तिक या मार्गशीर्ष में मनाया जाता है, वही ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार ये अक्टूबर या नवंबर माह में पड़ता है।
यह दिन मंगलवार या रविवार को अधिक शुभ माना जाता है क्योंकि ये दिन काल भैरव को समर्पित हैं। इस पर्व को काल भैरव अष्टमी या महा काल भैरव अष्टमी भी कहते हैं। इस दिन विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं और बहुत से लोग भगवान काल भैरव की दिव्य कृपा पाने के लिए काल भैरव मंदिर में विशेष अनुष्ठानों का भी आयोजन करते है।
हिंदू पंचाग के अनुसार, काल भैरव अष्टमी कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है। यह पूर्णिमा के बाद आने वाली अष्टमी तिथि को पड़ती है। इस साल काल भैरव जयंती का यह पर्व 5 दिसंबर 2023 (Kaal Bhairav Jayanti 2023) मंगलवार को मनाई जाएगी।
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 04 दिसंबर 2023 को रात्रि 09:59 बजे
अष्टमी तिथि समाप्त: 06 दिसंबर 2023 को प्रातः 12:37 बजे
कालभैरव महादेव का रौद्र रूप है। कई लोगों का मानना है कि कालभैरव की पूजा करने से सभी कष्ट, बीमारी और दुख दूर हो जाते हैं। कालभैरव की पूजा करने से मृत्यु का भय और दुःख से भी छुटकारा मिलता है।
काल भैरव का वास्तविक अर्थ है काल और भय से लोगों को बचाना। यदि किसी व्यक्ति के मन में डर का भाव रहता है तो उस व्यक्ति को कालभैरव का स्मरण करना अवश्य करना चाहिए। जो व्यक्ति अपनी परेशानियों में काल भैरव का स्मरण करता है, उसे भय पर विजय पाने की शक्ति मिलती है। काल भैरव की पूजा हिंदू धर्म में पुरातन काल से ही महत्वपूर्ण रही है। भगवान शंकर का यह रूप काल भैरव का ही माना जाता है।
• पर्यवेक्षक इस अवसर पर पवित्र नदियों में डुबकी लगाते हैं।
• काल भैरव को मंत्रों से संबोधित करते हुए कथाएं और श्लोक पढ़े जाते हैं।
• भगवान को फूल, फल और मदिरा (शराब या अल्कोहल) चढ़ाने से पूजा अनुष्ठान शुरू होता है।
• इस दिन भक्त पास के काल भैरव मंदिर में जाकर उनसे आशीर्वाद मांगने के लिए प्रार्थना करते है।
• इस दिन काले कुत्ते को भोजन देना भी शुभ है। आप दूध, प्रसाद और घर पर बनी हुई चीजें भी खिला सकते हैं।
• कालाष्टमी पूजा विधि को मंदिरों के पुजारी विभिन्न अनुष्ठान मंत्रों और प्रसाद के साथ संपन्न करते हैं। भगवान की कृपा करने के लिए लोग रात भर जागरण भी करते है।