जय श्री कृष्णा! भगवान श्री कृष्ण, हिन्दू धर्म के सर्वाधिक पूजनीय देवताओं में से एक है। ऐसे में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का दिन किसी बड़े उपलक्ष्य से कम नहीं है। श्री कृष्ण के भक्त एक भव्य उत्सव की तरह श्री कृष्ण जन्माष्टमी का यह पर्व मानते है। आपको बता दें, श्री कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार थे, जिन्होंने धर्म की पुनः स्थापना के लिए इस धरती पर अवतार लिया था।
भगवान कृष्ण का जन्म बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भगवान के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। प्रत्येक साल यह पर्व भाद्रपद माह की अष्ठमी के दिन मनाया जाता है, जिसे गोकुलाष्टमी भी कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता देवकी के भाई कंस का वध करने के लिए भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर कृष्ण का रूप धारण किया था।
धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि भगवान कृष्ण का जन्म मध्यरात्रि में हुआ था, इसलिए जन्माष्टमी के दिन रात 12 बजे ही उनकी पूजा की परंपरा है। आइए जानते हैं जन्माष्टमी को मनाने का क्या महत्व है और इस वर्ष पूजा करने के लिए क्या शुभ समय होंगे। यह सभी जानने से पहले आइये देखते है, श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2023 (shri krishna janmashtami 2023 date) तिथि क्या है-
'जन्म' का अर्थ है, अवतरित होना और 'अष्टमी' का अर्थ है आठवां दिन या तिथि। हर साल, भादपद्र महीने कि अष्ठमी तिथि को यह पर्व मनाया जाता है। इस साल 2023 में 7 सितंबर 2023 (Janmashtami 2023 Date) के दिन यह जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
यहां हम सर्वप्रथम आपको श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2023 का प्रांरभ व समापन समय बताने जा रहे है-
अष्टमी प्रारंभ तिथि- 06 सितंबर 2023, दोपहर 03 बजकर 37 मिनट से
अष्टमी समापन तिथि- 07 सितंबर 2023, शाम 04 बजकर 14 मिनट तक
श्री कृष्णा जन्माष्टमी का शुभ व पूजा मुहूर्त इस प्रकार से है-
निशिता काल पूजन समय | 06 सितंबर 2023, रात 11:57 मिनट से 12:42 मिनट के बीच |
रोहिणी नक्षत्र का समय | 06 सितंबर 2023, प्रातः 09:20 मिनट से- 7 सितंबर प्रातः10:25 मिनट तक |
जन्माष्टमी व्रत पारण का समय | 07 सितंबर 2023, सुबह 06:02 मिनट या शाम 04:14 मिनट तक |
हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार, श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि या भाद्रपद के कृष्ण पक्ष के आठवें दिन मथुरा में देवकी और वासुदेव के घर हुआ था। माता देवकी का भाई का नाम कंस था। कंस उस समय मथुरा का राक्षस राजाहुआ करता था। तब एक भविष्यवाणी में कहा गया था कि जब भी देवकी की आठवीं संतान का जन्म होगा, तो वह कंस को उसके पापों की सजा देगा। यही कारण था कि कंस ने अपनी ही बहन और उसके पति को जेल में डाल दिया।
उसने भविष्यवाणी को पूरा होने से बचाने के लिए देवकी के बच्चों को जन्म के तुरंत बाद मार डाला। जब देवकी ने अपने आठवें बच्चे को जन्म दिया, पूरा महल जादू से गहरी नींद में गया। रात को वासुदेव ने शिशु (shree krishna birth story) को वृन्दावन में यशोदा और नंद के घर ले जाकर कंस के क्रोध से बचाया। यह बच्चा भगवान विष्णु का रूप था, जिसे बाद में श्री कृष्ण नाम दिया गया। श्री कृष्ण ने अल्पायु में ही अपने मामा कंस को मार दिया और मथुरा निवासियों को कंस के पापों से मुक्त कर दिया।
इसके बाद श्री कृष्ण कुरुक्षेत्र में लड़े गए महाभारत के युद्ध में पांडु पुत्र अर्जुन के सारथी बने और धर्म की पृथ्वी पर पुनः स्थापना की।
कृष्ण जन्माष्टमी विश्व भर में बहुत उत्साहपूर्वक मनाई जाती है। उसी प्रकार देश के विभिन्न हिस्सों में भी यह त्योहार अलग-अलग तरीकों (krishna Janmashtami 2023 programmes) से मनाया जाता है। यहां हम आपको उसी के बारे में जानकारी देने जा रहे है-
North India | उत्तर भारत
जन्माष्टमी उत्तर भारत का सबसे बड़ा त्यौहार है। इस दिन लोग रास लीला करते हैं। जम्मू में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन पतंग उड़ाने का विशेष महत्व बताया जाता है।
Rajasthan & Gujarat | राजस्थान और गुजरात
राजस्थान और गुजरात में मुख्य रूप से श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाता है। इन दोनों राज्य में श्री कृष्ण के प्रति असीम भक्ति देखने को मिलती है। इस दिन कृष्ण मंदिरों को खास तौर पर सजाया जाता है। कुछ व्यक्ति लोक नृत्य करते हैं, भजन गाते हैं और भगवान कृष्ण के मंदिरों में जाते हैं। इसके अलावा गुजरात में इस पावन अवसर पर माखन हांडी अनुष्ठान, दही हांडी अनुष्ठान जैसे कार्यकर्मों का आयोजन किया जाता है।
West Bengal & Orissa | पश्चिम बंगाल और ओडिशा
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी ओडिशा में उत्सव का दूसरा नाम है। जन्माष्टमी के इस पावन पर्व पर लोग आधी रात तक व्रत रखते है और भगवान का पूजन करते है। इस दिन व्यक्ति कृष्ण के जीवन पर समर्पित भगवत पुराण का दसवां अध्याय पढ़ते है। कृष्ण के माता-पिता, नंद और यशोदा के सम्मान में मध्य रात्रि में 'नंद उत्सव' का भी उत्सव मनाया जाता है।
South India | दक्षिण भारत
दक्षिण भारत में गोकुला अष्टमी का उत्सव मनाया जाता है। तमिलनाडु में कोलम फर्श को सजाने के लिए प्रयोग किया जाता है और कृष्ण की प्रशंसा करते हुए भक्तिगीत गाए जाते हैं। घर में प्रवेश करते समय कृष्ण का प्रतिनिधित्व करने के लिए, वे प्रवेशद्वार से पूजा कक्ष तक कृष्ण के पदचिन्हों को दिखाते हैं। माना जाता है कि कृष्ण मक्खन, पान और फल खाते है।
Maharashtra | महाराष्ट्र
अगस्त या सितम्बर महीने में जन्माष्टमी, जिसे गोकुलाष्टमी भी कहते हैं, हर साल मनाया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन महाराष्ट्र में खास दही हांडी उत्सव होता है। इस दिन लोग दही का एक मिट्टी का बर्तन फोड़ते हैं, जिसे "दही हांडी" कहते है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, शिशु कृष्ण ने मक्खन और दही चुरा कर खाया करते थे।
कृष्ण ने अपने बचपन में इन ऊँचे-ऊँचे लटकते बर्तनों को गिराने के लिए कुछ रचनात्मक उपायों पर विचार किया, जैसे अपने दोस्तों के साथ मानव पिरामिड बनाना इत्यादि। इसी कारण से मुंबई व महाराष्ट्र के अन्य जिलों में दही हांडी के खास कार्यकर्मों का आयोजन किया जाता है।
गृहस्थों और वैष्णवों ने कृष्ण जन्माष्टमी को अलग-अलग दिन मनाते है। ऐसे में, गृहस्थ लोग 6 सितंबर 2023 को और वैष्णव संप्रदाय के लोग 7 सितंबर 2023 के दिन श्री कृष्ण का जन्मोत्सव (krishna janmashtami 2023) मना सकते है।