धार्मिक दृष्टिकोण से श्रावण मास बहुत खास है। इस महीने में कई तीज-त्यौहार मनाए जाते हैं। हरियाली तीज से लेकर श्री कृष्ण जन्माष्टमी तक, सावन में महत्वपूर्ण पर्व आते है। इन त्यौहारों में से एक है- रक्षाबंधन का पर्व। रक्षाबंधन भाई-बहन के अटूट रिश्ते को दर्शाता है। इस दिन, बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं। इसके बाद भाई अपनी बहन को हमेशा साथ देने और उसकी रक्षा करने का वचन देता है। राखी का यह पर्व भाई-बहन के बीच के प्यार और विश्वास का प्रतीक है।
रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2025) हर साल श्रावण महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत और शुभ बनाता है। इस दिन घरों में खास रौनक होती है। मिठाइयां, गिफ्ट्स और हंसी-खुशी से सारा माहौल जीवंत हो उठता है।
तो आइए जानते हैं, 2025 में रक्षाबंधन कब मनाया (Raksha Bandhan Date 2025) जाएगा? राखी बांधने का श्रेष्ठ मुहूर्त और रक्षाबंधन से जुड़े महत्वपूर्ण अनुष्ठान-
रक्षाबंधन का पर्व हर साल श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस साल, रक्षाबंधन का पर्व 9 अगस्त 2025 (raksha bandhan 2025 date) शनिवार को मनाया जाएगा। द्रिक पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि का समय इस प्रकार है-
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 8 अगस्त, 2025 को दोपहर 02:12 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 9 अगस्त, 2025 को दोपहर 01:24 बजे
ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार, इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का कोई प्रभाव नहीं होगा। इसका मतलब है कि बहनें बिना किसी दोष या बाधा के दिनभर राखी बांध सकती हैं। राखी बांधने का सबसे शुभ मुहूर्त (Rakhi Bandhane Ka Shubh Muhurat) सुबह 5:47 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक रहेगा।
यह समय राखी बांधने के लिए सबसे उत्तम है।
रक्षाबंधन के जैसे मांगलिक कार्यों में भद्रा काल का खास ध्यान रखा जाता है। इस साल, रक्षाबंधन के दिन भद्रा (Raksha Bandhan 2025 Bhadra Kaal) का कोई प्रभाव नहीं होगा।
पंचांग के अनुसार, इस बार भद्रा का प्रभाव 8 अगस्त को दोपहर 2:12 बजे से शुरू होगा। वही, 9 अगस्त को सुबह 1:52 बजे तक रहेगा। ऐसे में रक्षाबंधन के दौरान राखी बांधने में कोई बाधा नहीं होगी।
2025 का रक्षाबंधन बेहद शुभ रहेगा। इस साल कई शक्तिशाली राजयोग बन रहे हैं, जैसे नवपंचम, सौभाग्य, सर्वार्थ सिद्धि, प्रतियुति, मालव्य और बुधादित्य। इन शुभ योग के चलते कई राशियों को लाभ मिल सकता है।
बता दें कि 297 वर्षों में ऐसा शुभ योग पहली बार बन रहा है, जब भद्राकाल का कोई प्रभाव नहीं रहेगा। इसके अलावा, ग्रह-नक्षत्र भी अनुकूल स्थिति में रहेंगे।
रक्षाबंधन का इतिहास देवी-देवताओं के युग से जुड़ा हुआ है। एक लोकप्रिय किंवदंती के अनुसार, द्रौपदी ने भगवान कृष्ण की उंगली में चोट लगने पर उनकी कलाई पर कपड़े का टुकड़ा बांधा। इसके बदले में भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा का वादा किया।
जब गुजरात के बहादुर शाह ने मेवाड़ पर हमला किया, तो रानी कर्णावती ने सम्राट हुमायूँ को राखी भेजी और मदद की गुहार लगाई। रानी के इस कदम से प्रभावित होकर हुमायूँ ने अपना सैन्य अभियान छोड़ दिया। उन्होंने बिना किसी देरी के रानी की मदद के लिए अपनी सेना भेज दी।
1905 में जब बंगाल का विभाजन हुआ, तो रवींद्रनाथ टैगोर ने एक खास कदम उठाया। उन्होंने बंगाल के हिंदुओं और मुसलमानों के बीच भाईचारे और एकता को बढ़ावा देने के लिए राखी महोत्सव की शुरुआत की।
Buy Rudraksha Rakhi Braceletरक्षाबंधन केवल एक त्यौहार नहीं, बल्कि यह सीमाओं से परे परिवारों को एकजुट करता है। यह दिन भाई-बहन के रिश्ते को और भी मजबूत बनाता है। भारत में, रक्षाबंधन एक पवित्र बंधन का प्रतीक है। यह विशेष पर्व भाई-बहनों के बीच गहरे प्रेम, स्नेह और सुरक्षा को दर्शाता है। धर्मसार की ओर से, आप सभी को रक्षाबंधन 2025 (2025 Raksha Bandhan) की ढेर सारी शुभकामनाएं!