सनातन धर्म में अनेक प्रकार के व्रत-त्यौहारों को मनाने का विधान माना जाता है। इन सभी व्रत-त्यौहारों का अपना एक अलग महत्व और लाभ होता है। इन सभी व्रतों में से एकादशी को एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत के रूप में ही जाना जाता है। हर साल 24 बार एकादशी का व्रत रखा जाता है। हिन्दू धर्म में एकादशी की तिथि एक शुभ अवसर होता है, साथ ही बहुत महत्वपूर्ण भी कहलाया जाता है।
हिन्दू पंचाग के अनुसार, हर माह में 2 एकादशी व्रत आने का विधान है। हर साल अधिकमास या पुरूषोत्तम मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पद्मिनी एकादशी (Padmini Ekadashi 2023) कहा जाता है। शास्त्रों में इस एकादशी अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है, इसलिए इसे पुरूषोत्तम एकादशी के नाम से भी संबोधित किया जाता है। पद्मिनी एकादशी का दिन पूरे भारत में पूरे उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है।
ऐसा कहा जाता है,जो भी व्यक्ति सच्चे मन से पद्मिनी एकादशी का व्रत रखते है, उन्हें अपने सभी पिछले पापों से मिलती है। तो आइये जानते है, पद्मिनी एकादशी 2023 (Padmini Ekadashi 2023) की तिथि,महत्व, पूजन विधि और उपवास के लाभ।
हर साल अधिकमास की शुक्ल एकादशी के दिन पद्मिनी एकादशी का पर्व मनाया जाता है। इस साल पद्मिनी एकादशी का यह व्रत, शनिवार के दिन, 29 जुलाई 2023 (Padmini Ekadashi 2023 Date) के दिन रखा जाएगा। पद्मिनी एकादशी 2023 का शुभ समय इस प्रकार से है-
एकादशी तिथि आरंभ समय | 28 जुलाई 2023, दोपहर 02:51 बजे से |
एकादशी तिथि समापन समय | 9 जुलाई 2023, दोपहर 01:05 बजे तक |
एकादशी की पारण समय/तिथि | 30 जुलाई 2023, प्रातः 05:41 से 08:24 बजे तक |
• जो भी व्यक्ति सच्चे मन से पद्मिनी एकादशी का यह व्रत रखते है, उन्हे मृत्यु के बाद वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।
• पद्मिनी एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि का संचार होता है। इसके साथ ही स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी दूर होती है।
• जो भी दंपत्ति संतान से जुड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे है, उन्हें निश्चित रूप से पद्मिनी एकादशी का यह व्रत करना चाहिए।
• पद्मिनी एकादशी के दिन व्यक्ति को सभी पापों और दुष्कर्मों से मुक्ति मिलती है। यही कारण है की इस एकादशी को विशुद्ध एकादशी के नाम से जाना जाता है।
• पद्मिनी एकादशी को भगवान विष्णु के प्रिय एकादशी में से एक मानी जाती है। यही कारण है की हिन्दू धर्म में पद्मिनी एकादशी सबसे महत्वपूर्ण एकादशियों में से माना जाता है। पद्मिनी एकादशी का यह पर्व हर तीन साल में एक बार आता है और यह मुख्यतः अधिक मास या मल मास में आता है।
एकादशी का व्रत भगवान विष्णु और कृष्ण के भक्तों को समर्पित होता है। ऐसे में एकादशी तिथि के भगवान विष्णु और उनके अवतार का पूजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन संपन्न की जाने वाली पूजन विधि इस प्रकार से है-
1. पद्मिनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. स्न्नान आदि से निवृत्त होने के बाद भगवान विष्णु- देवी लक्ष्मी की मूर्ति को चौकी पर रखें और एक घी का दीप प्रज्वल्लित करें।
3. दीप, धुप एवं अगरबत्ती जलाने के बाद, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को पंचामृत, पुष्प, फल एवं प्रसाद अर्पित करें और सभी चीज़ों में तुलसी पत्र अवश्य डालें।
4. पूजन विधि संपन्न करने के बाद 'श्री नारायण स्तोत्र', भगवान विष्णु के मंत्र और नारायण स्तोत्र' का पाठ करें।
5. एकादशी के अगले दिन व्रत पारण के समय, सात्विक भोजन कर अपना व्रत खोलें।
पद्मिनी एकादशी (Padmini Ekadashi 2023 Date) के दिन सच्चे मन से किया हुआ व्रत एवं पाठ-पूजन जातक के बहुत ही कल्याणकारक सिद्ध होता है।
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