आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पापांकुशा एकादशी के नाम से जाना जाता है। सामान्य कैलेंडर के अनुसार, यह एकादशी तिथि सितंबर और अक्टूबर के बीच आती है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु के पद्मनाभ रूप की पूजा करते हैं। माना जाता है कि भगवान पद्मनाभ की कृपा से हर संकट दूर हो सकते है। सभी पापों का नाश करने वाली यह एकादशी, विष्णु भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती है।
शास्त्रों में पापांकुशा एकादशी व्रत के कई लाभ बताए गए हैं। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस एकादशी की खास बात यह है कि इसका पुण्य उस व्यक्ति को ही नहीं बल्कि उसकी दस पीढ़ियों तक को भी मिलता है। माना तो यह भी जाता है कि पापांकुशा एकादशी का पुण्य 100 सूर्य यज्ञ या 1000 अश्वमेध यज्ञ के बराबर होता है।
आइए जानते हैं पापांकुशा एकादशी 2025 की तिथि, शुभ मुहूर्त और इसका धार्मिक महत्व।
सनातन धर्म में पापांकुशा एकादशी को बेहद खास माना गया है। यह एकादशी हर साल आश्विन शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आती है। साल 2025 में पापांकुशा एकादशी का व्रत शुक्रवार, 3 अक्टूबर 2025 (Papankusha Ekadashi tithi) को रखा जाएगा।
पापांकुशा एकादशी तिथि (Papankusha Ekadashi time) की शुरुआत 2 अक्टूबर 2025, गुरुवार को शाम 07:10 बजे होगी। वही इस तिथि का समापन 3 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को शाम 06:32 बजे होगा।
एकादशी व्रत पारण समय - 4 अक्टूबर, सुबह 06:23 मिनट से 08:44 मिनट तक
पापांकुशा एकादशी का शुभ व चौघड़िया मुहूर्त (papankusha ekadashi shubh muhurat) इस प्रकार है-
दिन का चौघड़िया | सुबह 06:15 बजे |
लाभ उन्नति मुहूर्त | 07:44 AM से 09:12 AM |
अमृत चौघड़िया मुहूर्त | 09:12 AM से 10:41 AM |
सामान्य चौघड़िया मुहूर्त | 06:15 AM से 07:44 AM |
• हिन्दू धर्म में पापांकुशा एकादशी का व्रत बेहद पवित्र माना जाता है।
• भक्त इस दिन उपवास रखते हैं। व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान किया जाता हैं।
• एकादशी व्रत के दिन खासतौर पर भगवान विष्णु की स्तुति की जाती हैं। इस दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी विशेष शुभ माना जाता है।
• पापांकुशा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की गरुड़ पर विराजित मूर्ति की भक्ति से पूजा की जाती है। इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
• पापांकुशा व्रत दशमी तिथि से शुरू होता है। इस दिन सूर्यास्त से पहले सात्विक भोजन किया जाता है। वही द्वादशी के साथ व्रत पारण किया जाता है।
• कुछ लोग इस दिन ब्राह्मण भोज भी आयोजित करते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो पापांकुशा एकादशी पर दान करने पर मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती हैं।
पापांकुशा एकादशी (papankusha ekadashi significance in Hindi) की महिमा का उल्लेख ब्रह्म वैवर्त पुराण में मिलता है। यह एकादशी साल की सबसे पुण्यकारी एकादशियों में मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को जीवन में किए गए पापों से छुटकारा मिलता है। साथ ही, सुख, समृद्धि और अच्छा स्वास्थ्य भी प्राप्त होता है। इस व्रत का फल 1000 अश्वमेध यज्ञ और 100 सूर्य यज्ञ के बराबर माना गया है। खासकर भगवान विष्णु के भक्तों के लिए यह एकादशी विशेष महत्व रखती है। मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से प्रार्थना करता है, भगवान उसे अपने आशीर्वाद से सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करते हैं।