पोंगल को दक्षिण भारत के एक प्रमुख और सांस्कृतिक त्यौहार के रूप में जाना जाता है। खासतौर पर यह पर्व तमिलनाडु में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। पोंगल के शुभ पर्व के साथ ही मकर संक्रांति और उत्तरायण जैसे प्रमुख हिन्दू त्यौहार भी मनाएं जाते है। आज के इस लेख में हम पोंगल के महत्व और इसके रोचक तथ्यों के बारे में जानेंगे।
पोंगल (pongal festival 2025) दक्षिण भारत के सबसे बड़े त्यौहारों में से एक माना जाता है। दक्षिण भारत के प्रमुख राज्यों जैसे तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल में यह पर्व फसल की खुशी के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। आपको बता दें कि पोंगल का यह भव्य त्योहार एक नहीं बल्कि चार दिनों तक बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। आइए, जानते हैं पोंगल कैसे मनाया जाता है और इसके पीछे की परंपराएं क्यों महत्वपूर्ण हैं-
पोंगल 2025 का उत्सव 14 जनवरी से आरंभ होकर 17 जनवरी 2025 (pongal festival 2025 dates) तक मनाया जाएगा। यह पर्व तमिल सौर कैलेंडर के अनुसार ताई मास की शुरुआत के समय मनाया जाता है और आमतौर पर 14 जनवरी को ही पड़ता है। पोंगल चार दिनों तक बड़े श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है, जिसमें विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठान संपन्न किए जाते हैं।
पोंगल तमिलनाडु का एक प्रमुख फसल उत्सव है, जो फसल के मौसम के समापन का प्रतीक है। दक्षिण भारत में इसे बहुत धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पावन दिन (why do we celebrate pongal festival) पर किसान सूर्य देवता को अच्छी फसल के लिए धन्यवाद देते हैं और आने वाले साल में भी समृद्धि की कामना करते हैं। इस पर्व पर घरों में रंगोली बनाई जाती है और खेतों से ताज़ी उगाई गई फसल को सूर्य देव को अर्पित किया जाता है।
पोंगल त्यौहार चार दिनों तक चलता है, और हर दिन का अपना खास महत्व होता है। इस दौरान घरों को कोलम (चावल के आटे से बने डिज़ाइन) से सजाया जाता है, पारंपरिक पोंगल व्यंजन तैयार किए जाते हैं। इतना ही नहीं अन्य राज्यों में इस दिन पतंग उड़ाने का भी विधान माना जाता हैं।
पोंगल के उत्सव (pongal festival 4 days ritual in hindi) के दौरान कई महत्वपूर्ण अनुष्ठान किए जाते हैं, आइए जानते है पोंगल के ये 4 दिवसीय विशेष अनुष्ठान-
भोगी पोंगल (14 जनवरी 2025)
भोगी पोंगल में अलाव जलाकर नकारात्मकता को दूर किया जाता है और नई शुरुआत का स्वागत किया जाता है। इस दिन घरों की सफाई की जाती है और उन्हें फूलों, दीपों और कोलम से सजाया जाता है।
सूर्य पोंगल (15 जनवरी 2025)
पोंगल उत्सव के दूसरे दिन सूर्य देव की पूजा सूर्योदय के समय होती है, जिसमें सूर्य के आशीर्वाद के लिए आभार व्यक्त कर पोंगल का प्रसाद चढ़ाया जाता है। इसके अलावा, इस पावन दिन पर तमिल हिंदू अपने घरों के दरवाजों को केले और आम के पत्तों से सजाते हैं। यह पत्ते शुभता का प्रतीक माने जाते है।
मट्टू पोंगल (16 जनवरी 2025)
मट्टू पोंगल में मवेशियों की पूजा की जाती है, गायों को खूबसूरत घंटियों, मोतियों और रंग-बिरंगे फूलों से सजाया जाता है, और उन्हें खासतौर पर तैयार किए गए स्वादिष्ट प्रसाद अर्पित किए जाते हैं। इतना ही नहीं, इस दिन किसानों की कड़ी मेहनत और समर्पण को भी सम्मानित किया जाता है। पोंगल के दौरान विभिन्न सामुदायिक खेलों का आयोजन होता है, जिसमें जल्लीकट्टू और गाय दौड़ जैसे प्रमुख पर्व शामिल हैं।
कनुम पोंगल (17 जनवरी 2025)
पोंगल के चौथे दिन यानि कनुम पोंगल के दिन यह पर्व समाप्ति की ओर बढ़ता है। इस दिन गांव के परिवार एक साथ मिलकर अपने घर के बुजुर्गों से आशीर्वाद लेते हैं और संबंधों को मजबूत करने के लिए एक-दूसरे से मिलते हैं। यह दिन परिवार और समुदाय के बीच प्रेम और एकता को बढ़ावा देने का अवसर होता है।