शरद पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्यौहार है। देश के हिस्सों में इसे रास पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो सभी पूर्णिमा महत्वपूर्ण मानी जाती है। हालांकि शास्त्रों में आश्विन मास में आने वाली पूर्णिमा का विशेष महत्व है। माना जाता है कि शरद पूर्णिमा साल की एकमात्र ऐसी रात होती है, जब चंद्रमा अपनी सभी 16 कलाओं के साथ प्रकट होता है। आइए जानते है - शरद पूर्णिमा 2025 डेट, चंद्रोदय समय और पर्व से जुड़ी खास बातें।
सामान्य कैलेंडर के अनुसार, शरद पूर्णिमा हर साल अक्टूबर या नवंबर महीने में मनाई जाती है। 2025 में, यह पर्व सोमवार, 6 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन व्रत रखने के साथ ही चन्द्रमा के पूजन का विशेष महत्व होता है। शरद पूर्णिमा तिथि का शुरुआत, समापन व चंद्रोदय का समय (Sharad Purnima Timing) इस प्रकार से है-
शरद पूर्णिमा 2025 तिथि - 06 अक्टूबर 2025, सोमवार
शरद पूर्णिमा आरंभ समय - 06 अक्टूबर 2025, शाम 6:49 से
शरद पूर्णिमा समापन समय - 07 अक्टूबर 2025, दोपहर 4:39 बजे तक
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय का समय (Sharad Purnima Moonrise Time)
06 अक्टूबर 2025, शाम 05 बजकर 53 मिनट
सूर्योदय प्रातः 06:17 बजे
प्रातः 09:13 बजे से प्रातः 10:41 बजे तक
दोपहर 03:05 PM बजे से दोपहर 04:33 बजे तक
04:33 PM से 06:01 PM तक
शरद पूर्णिमा के दिन व्रत रखने और लक्ष्मी पूजन के साथ ही खीर तैयार करने की भी परंपरा बताई जाती है। शरद पूर्णिमा के दिन भगवान को खीर का भोग लगाया जाता है। जिसके बाद रात के समय खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखने का विधान माना जाता है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा कि रात चंद्रमा की किरणों में औषधीय गुण होते हैं। चन्द्रमा की रोशनी में रखी गई खीर में ये औषधीय गुण समा जाते हैं। माना जाता है इस खीर को खाने से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां दूर होती है।
हालांकि यह अनुष्ठान केवल स्वास्थ्य से संबंधित नहीं है। इसका संबंध धन, शांति और आध्यात्मिक लाभों से भी है। माना जाता है कि इस उपाय से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। साथ ही, कुंडली में चंद्रमा की स्थिति भी मजबूत होती है। खीर को आमतौर पर चांदी के बर्तन में, चंद्रमा की रोशनी के नीचे रखा जाता है।
शरद पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी के पूजन का विशेष महत्व बताया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं। वह रात के समय अपने सभी भक्तों के घर जाती है और उन्हें धन एवं सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
शरद पूर्णिमा के दिन गरीब और जरूरतमंदों को भोजन कराना बहुत पुण्यदायक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन ज़रूरतमंदो की मदद करने वाले व्यक्तियों से भगवान प्रसन्न होते हैं। साथ ही, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने की भी परंपरा है। पुर्णिमा के दिन भक्त गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान कर देवी महालक्ष्मी की पूजा करते हैं।
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की रोशनी को बहुत खास माना जाता है। मान्यता है कि इस रात चंद्रमा की किरणों में औषधीय गुण होते हैं, जो शरीर और मन को शुद्ध करते हैं। इसी वजह से शरद पूर्णिमा की रात दूध और चावल की खीर बनाकर चांदनी में रखी जाती है। फिर अगले दिन इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। कहा जाता है कि इससे न केवल मन शुद्ध होता है बल्कि कई हेल्थ रिलेटेड समस्याएं भी दूर होती हैं।