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Diwali 2025 Date and Time: इस निशिता काल में करें दिवाली पूजा, मां लक्ष्मी भरेंगी धन की तिजोरी! जानें सही डेट और लक्ष्मी पुजा मुहूर्त!

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दीपावली के इस शुभ पर्व पर सभी को मिले खुशियां बेशुमार, मां लक्ष्मी आपके घर लाएं अपार धन और वैभव की बहार। दीपावली का यह पावन पर्व अंधेरे को दूर कर, मन में नई रोशनी और ऊर्जा का संचार करता है।भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में बड़े धूमधाम से यह पर्व मनाया जाता है। हर साल कार्तिक माह की अमावस्या तिथि के दिन दिवाली मनाई जाती है। हालांकि, इस साल लोग थोड़े कंफ्यूज हैं कि दिवाली कब मनाई जाए?

Diwali 2025 Date and Time: इस निशिता काल में करें दिवाली पूजा, मां लक्ष्मी भरेंगी धन की तिजोरी! जानें सही डेट और लक्ष्मी पुजा मुहूर्त!

दरअसल अमावस्या 20 अक्टूबर से शुरू हो रही है और दो दिन तक चलेगी। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस साल दिवाली (Diwali 2025)मनाने की सही तिथि और दिवाली लक्ष्मी पूजन मुहूर्त-

Diwali 2025 Date : 2025 में कब है दिवाली?

अंधेरे पर प्रकाश और अज्ञान पर ज्ञान की जीत के प्रतीक के रूप में दीपावली (Diwali 2025 Puja) मनाई जाती है। इस दिन, लोग अपने घरों और ऑफिस में मां लक्ष्मी का पूजन करते हैं। उनकी कृपा से सुख, समृद्धि, शांति और धन की कामना की जाती है। भारत के अधिकांश हिस्सों में यह पर्व लगभग पांच दिनों तक मनाया जाता है।

द्रिक पंचांग के अनुसार, 2025 में कार्तिक अमावस्या तिथि का आरंभ 20 अक्टूबर को दोपहर 3:45 बजे होगा। वही इस तिथि का समापन 21 अक्टूबर को शाम 5:55 बजे होगा। दिवाली के दिन निशिता काल में पूजा का विशेष महत्व है। ऐसे में इस साल दिवाली का यह त्योहार सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 (diwali date 2025) को मनाया जाएगा।


Diwali 2025 Lakshmi Puja Muhurat : दिवाली 2025 लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त

दिवाली के दिन विधि-विधान से पूजन का महत्व हम सभी जानते हैं। लेकिन लक्ष्मी-गणेश का पूजन तभी सफल और फलदायक होता है, जब इसे शुभ मुहूर्त में किया जाए। आइए जानते हैं दिवाली पूजन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त-

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त

20 अक्टूबर 2025, शाम 07:08 मिनट से 08:18 मिनट तक

अवधि

1 घंटा 8 मिनट


Diwali 2025 Pradosh Kaal Muhurat : दिवाली 2025 प्रदोष काल मुहूर्त

दीपों के त्योहार के दिन लक्ष्मी पूजन के शुभ मुहूर्त के अलावा प्रदोष (diwali pradosh kaal muhurat)और निशिता काल के मुहूर्त निम्नलिखित हैं-

प्रदोष काल मुहूर्त शाम 05:33 मिनट से रात 08:08 मिनट तक
वृषभ काल मुहूर्त शाम 06:56 मिनट से 08:53 मिनट तक
निशिता काल मुहूर्त रात 11:41 से 21 अक्टूबर सुबह 12:31 तक
कुंभ लग्न मुहूर्त दोपहर 03:44 से 03:52 तक
वृषभ लग्न मुहूर्त (संध्या काल) सांय काल 06:56 से रात 08:53 तक
सिंह लग्न मुहूर्त (मध्यरात्रि काल) 21 अक्टूबर, रात 01:38 से 03:56 तक
अवधि 02 घण्टे 15 मिनट

Diwali Puja Important Tips: लक्ष्मी पूजन में ध्यान रखें ये खास बातें

• दिवाली शुभ मुहूर्त में देवी महालक्ष्मी की पूजा से घर में धन-धान्य और समृद्धि की वर्षा होती है।

• इस समय मां लक्ष्मी के पूजन करते समय सिद्ध मंत्रों का जाप करना बहुत लाभदायक होता है।

• इसके अलावा, पूजा में श्री महालक्ष्मी पूजन यंत्र और लक्ष्मी मां के पदचिन्हों का भी पूजन करें।

• माना जाता है कि दिवाली के दिन घर या ऑफिस में महालक्ष्मी यंत्र स्थापित करना अत्यंत शुभ होता है।

• कहा तो यह भी जाता है कि दीपावली कि रात पूजन के समय मां लक्ष्मी साक्षात कृपा बरसाने के लिए आती हैं।

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History and Myths of Diwali: क्यों मनाया जाता है दिवाली का पर्व?

यह हम सभी जानते हैं कि सनातन धर्म में दिवाली एक बहुत खास और महत्वपूर्ण त्योहार है। लेकिन इसे मनाने के पीछे कुछ पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। यहां हम इन्हीं लोकप्रिय कथाओं के बारे में बता रहे हैं-

1. भगवान राम की वापसी

दिवाली से जुड़ी लोकप्रिय पौराणिक कथा भगवान राम की अयोध्या वापसी से जुड़ी है। रामायण में विशेष रूप से इस कथा का उल्लेख मिलता है। इस दिन, राजा राम ने राक्षस रावण को हराकर अयोध्या वापसी की थी। जिसके बाद अयोध्यावासियों ने भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण भैया के स्वागत के लिए लाखों दीप जलाए थे।


2. समुद्र मंथन की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवता और दानवों ने अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया था। इस मंथन से भगवान विष्णु के अवतार - धन्वंतरि, अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे। यह प्रसंग भी दिवाली से जुड़ी एक महत्वपूर्ण कथा का हिस्सा है।


3. देवी लक्ष्मी की अवतरण कथा

माना जाता है कि कार्तिक माह की अमावस्या के दिन देवी लक्ष्मी अवतरित हुई थी । पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान देवता और असुर दोनों प्रकट हुए थे। इसी कारण दिवाली पर लक्ष्मी पूजन की विशेष परंपरा है। इस दिन लोग सह परिवार देवी लक्ष्मी की पूजा करते है और धन एवं सुख-समृद्धि की कामना करते है।


4. पांडवों की वनवास से वापसी

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाभारत में पांडवों ने 12 साल का वनवास पूरा किया। जिसके बाद वह कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन हस्तिनापुर लौटे। उनकी वापसी की ख़ुशी में प्रजा ने दीप जलाए। भगवान राम की अयोध्या वापसी के बाद यह परंपरा दिवाली के त्योहार का हिस्सा बन गई।


5. भगवान कृष्ण की नरकासुर पर विजय

दक्षिण भारत में दिवाली का विशेष महत्व भगवान कृष्ण की नरकासुर पर विजय की से जुड़ा हुआ है। नरकासुर को ब्रह्मा से यह वरदान मिला था कि वह केवल अपनी माँ के हाथों ही हार सकता है। ऐसे में कृष्ण की पत्नी सत्यभामा ने उस राक्षस को पराजित किया।

अपने आखिरी समय में, नरकासुर ने लोगों से कहा कि उसकी मृत्यु पर शोक न करें। बल्कि इस दिन को उत्सव की तरह मनाएं। यही कारण है कि दिवाली का दिन बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।


धर्मसार की ओर से आप और आपके पुरे परिवार को दीपावली 2025 (Diwali 2025) के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।

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