समझनी है जिंदगी तो पीछे देखो, जीनी है जिंदगी तो आगे देखो…।
festival inner pages top

त्यौहार

Dev Uthani Ekadashi 2025: देवउठनी एकादशी 2025 तिथि, शुभ समय, महत्व व तुलसी विवाह पौराणिक कथा!

Download PDF

देवउठनी एकादशी चतुर्मास के समापन का पर्व है। इसे देवोत्थान एकादशी, प्रबोधिनी या देवथान एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन से सभी मांगलिक कार्य, जैसे शादी-ब्याह और मुंडन, पुनः शुरू होते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं और ब्रह्माण्ड के संचालन में अपना पुनः योगदान देते हैं।

Dev Uthani Ekadashi 2025:  देवउठनी एकादशी 2025 तिथि, शुभ समय, महत्व व तुलसी विवाह पौराणिक कथा!

देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi) हर साल कार्तिक शुक्ल एकादशी को मनाई जाती है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। देवउठनी एकादशी का दिन 'अबूझ मुहूर्त" भी माना जाता है। इस दिन बिना शुभ मुहूर्त देखे भी कोई भी मांगलिक कार्य किया जा सकता है।

आइए जानते हैं कि 2025 में यह देवउठनी एकादशी कब पड़ेगी (Devuthani Ekadashi 2025 date) और इस एकादशी से जुड़ें कुछ महत्वपूर्ण अनुष्ठान।

Dev Uthani Ekadashi 2025 Date: कब है देवउठनी एकादशी 2025?

हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में कुल चौबीस एकादशी आती हैं। लेकिन इनमें से देवउठनी एकादशी सबसे महत्वपूर्ण और लोकप्रिय माना जाता है। इस साल देवउठनी एकादशी का व्रत शनिवार, 1 नवंबर 2025 (Devuthani Ekadashi 2025 tithi) को रखा जाएगा।


Dev Uthani Ekadashi 2025 Timings: देवउठनी एकादशी 2025 समय

पंचाग के अनुसार, देवउठनी एकादशी 2025 (Devuthani Ekadashi 2025 time) का समय इस प्रकार है-

एकादशी तिथि प्रारंभ 01 नवंबर 2025, सुबह 09:11 बजे से
एकादशी तिथि समाप्त 02 नवंबर 2025, सुबह 07:31 बजे तक
व्रत पारण समय 02 नवंबर 2025, दोपहर 12:55 से 02:47 बजे तक
हरि वासर समाप्ति क्षण दोपहर 12:55 बजे

Significance of Dev Uthani Ekadashi 2025 : देवउठनी एकादशी का महत्व

1. देवउठनी एकादशी पर कई हिन्दू घरों में तुलसी विवाह का खास आयोजन किया जाता है।

2. शास्त्रों के अनुसार, क्षीर सागर में चार महीने के विश्राम के बाद देवउठनी एकादशी को जागते हैं।

3. इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। खासतौर पर गरीब, ज़रूरतमंदों और ब्राह्मणों को दान करें।

4. देवउठनी एकादशी वह दिन है, भगवान विष्णु चार महीने के बाद एक बार पुनः सृष्टि का संचालन करते हैं।

5. देवउठनी एकादशी अत्याधिक शुभ होता है। इस दिन से विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन और अन्य मांगलिक कार्यों का शुभारंभ हो जाता है।


Dev Uthani Ekadashi Katha: तुलसी-शालिग्राम विवाह से जुड़ी पौराणिक कथा

• ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार, तुलसी (वृंदा) एक असुर शंखचूड की पत्नी थीं। शंखचूड ने अधार्मिक काम किए थे। लेकिन अपनी तुलसी माता की पवित्रता के चलते देवतागण भी उसे परास्त नहीं कर पाएं।

• ऐसे में भगवान विष्णु ने शंखचूड का रूप धारण कर तुलसी माता को स्पर्श किया। जिससे उनकी पवित्रता भंग हो गई और शंखचूड की शक्ति स्वयं ही नष्ट। जिसके बाद पापों से मुक्त करने के लिए भगवान शिव ने शंखचूड का वध किया।

• इस बाद तुलसी अत्यंत क्रोधित हो उठी। गुस्से में आकर उन्होंने भगवान विष्णु को शाप दिया और उन्हें शालिग्राम पत्थर बना दिया। भगवान विष्णु ने इस श्राप को स्वीकार किया और तुलसी से वादा किया कि वे हमेशा उनके साथ पृथ्वीलोक पर ही वास करेंगी।

• तब से कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन तुलसी और शालिग्राम का विवाह संपन्न करने का विधान शुरू हुआ। मान्यता है कि जो भी इस विवाह का आयोजन करते है उनका शादीशुदा जीवन खुशहाल रहता है और आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं।

डाउनलोड ऐप