श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेवा।। एकादशी का यह पर्व, भगवान कृष्ण के सर्वाधिक पूजनीय अवतार, भगवान कृष्ण को समर्पित है। हर महीने दोनों पक्षों कृष्ण और शुक्ल पक्ष की दो एकादशी मनाई जाती है। हाल ही में साल 2023 की पहली एकादशी के रूप में पुत्रदा एकादशी का विधि-विधान से व्रत रखा गया। वही षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi 2023) का यह व्रत माघ माह में रखा जाएगा।
हिन्दू धर्म में एकादशी की तिथि को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन सनातन धर्म का पालन करने वाले लोग विधि-विधान से भगवान नारायण और श्री कृष्ण का पूजन करते है। कहा जाता है की श्रद्धापूर्वक इस व्रत को रखने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। आइये जानते है साल 2023 में षटतिला एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा और इस व्रत को रखने के पीछे का महत्व क्या है-
प्रत्येक वर्ष के माघ महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन षटतिला एकादशी का पर्व मनाया जाता है। इस साल बुधवार के दिन, 18 जनवरी 2023 को यह एकादशी व्रत रखा जाएगा। इस एकादशी को तिल्दा या सत्तिला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। षटतिला एकादशी 2023 का शुभ समय व मुहूर्त इस प्रकार है-
षटतिला एकादशी मुहूर्त शुरुआत समय | 17 जनवरी 2023, शाम 06:05 मिनट |
षटतिला एकादशी मुहूर्त समापन समय | 18 जनवरी 2023, शाम 04:03 मिनट |
षटतिला एकादशी व्रत पारण शुरुआत समय | 19 जनवरी 2023, सुबह 07:15 से |
षटतिला एकादशी व्रत पारण समापन समय | 19 जनवरी 2023, सुबह 09: 29 मिनट तक |
षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तिल या उससे बने व्यंजनों का भोग लगाना चाहिए। इस एकादशी के दिन तिल का विशेष महत्व बताया जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इस दिन तिल का दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि जो व्यक्ति जितनी मात्रा में तिल का दान करता है, वह उतने हज़ार वर्षों तक स्वर्ग में निवास करता है। इसके अलावा जो भी भक्त सच्चे मन और विधि-विधान से इस व्रत को रखते है, उसके सभी कार्य सिद्ध होते है। इस दिन पर खासतौर पर तिल के उपाय को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
• षटतिला एकादशी को प्रातः जल्दी उठे और स्नान करें।
• अब भगवान श्री कृष्ण का स्मरण करें और व्रत संकल्प लें।
• पूजा घर में भगवान की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें।
• अब गंगाजल ले और उसमें थोड़े तिल मिलकार प्रतिमा पर छीटें दें।
• गंगाजल अर्पित करने के बाद भगवान को धूप, पुष्प और अन्य पूजन सामग्री अर्पित करें।
• अब भगवान विष्णु के मंत्रो का जाप कर, विष्णु सहस्नाम का उच्चारण करें।
• पाठ करने के बाद परिवार सहित आरती गाएं और तिल से निर्मित वस्तुओं का भोग लगाएं।
• अब हाथ जोड़कर भगवान विष्णु से प्रार्थना करें।