भगवान विष्णु ने धरती से पापों का नाश करने के लिए अनेकों अवतार लिए है। उन्हीं में से एक वामन अवतार भी है। वामन जयंती भगवान विष्णु के पांचवें अवतार के जन्मोत्सव का पर्व है। यह तिथि हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को आती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने ऋषि कश्यप और अदिति के पुत्र रूप में जन्म लिया। शास्त्रों के अनुसार, वामन अवतार की पूजा करने से व्यक्ति को सभी पाप एवं कष्टों से मुक्ति मिलती है।
बता दें कि वामन अवतार भगवान विष्णु का पांचवा रूप माना जाता है। इस रूप में वे छोटे कद के ब्राह्मण बालक और ब्रह्मचारी के रूप में प्रकट हुए। उन्हें वामन या त्रिविक्रम अवतार कहा जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु ने यह अवतार दैत्यराज बलि को हराने के लिए लिया था। दरअसल बलि अमृत प्राप्त कर चुके थे और सात चिरंजीवियों में से एक माने जाते हैं।
जिसके बाद उन्होंने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करना शुरू कर दिया। ऐसे में संसार की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने वामन का रूप धारण किया।
पंचांग के अनुसार, वामन जयंती हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है। 2025 में यह पर्व 4 सितंबर 2025, गुरुवार (Vamana Jayanti 2025 Date) को मनाया जाएगा।
वही द्वादशी तिथि की शुरुआत 4 सितंबर को सुबह 4:20 बजे होगी। वही इस तिथि का समापन 5 सितंबर को सुबह 4 बजकर 10 मिनट पर होगा।
1. शुभ चौघड़िया मुहूर्त (Shubh Chaughadiya Muhurta)
प्रातः 06 बजकर 10 मिनट से 07 बजकर 44 मिनट तक
2. लाभ चौघड़िया मुहूर्त (Labh Chaughadiya Muhurta)
दोपहर 12 बजकर 24 मिनट से 01 बजकर 58 मिनट तक
3. शुभ वार वेला मुहूर्त (Shubh Vela Muhurat)
शाम 05 बजकर 05 मिनट से 06 बजकर 39 मिनट तक
1. हर साल सम्पूर्ण भक्ति-भाव के साथ वामन जयंती का त्यौहार मनाया जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतिनिधित्व करता है। साथ ही, अहंकार पर भक्ति की विजय का संदेश देता है।
2. सनातन धर्म में वामन जयंती का विशेष महत्व है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं। कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पशुओं को अन्न और दही खिलाना शुभ होता है।
3. शास्त्रों में उल्लेख है की इस दिन भगवान वामन की पूजा फलदायक होती है। कहा जाता है कि वामन जयंती के दिन विधि-विधान से पूजा करने पर भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही, भगवान विष्णु अपने भक्तों को सुख, समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
• वामन जयंती के दिन सुबह जल्दी उठे और स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहने।
• इसके बाद भगवान वामन की पूजा कर और व्रत संकल्प लें।
• पूजन से पहले घर और पूजा स्थल को साफ करें और घर के सभी कोनों में गंगाजल का छिड़काव करें।
• इस दिन श्रवण नक्षत्र का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि भगवान वामन का जन्म इसी नक्षत्र में हुआ था।
• पूजन के दौरान भगवान वामन को मिठाई, फल, फूल और नैवेद्य अर्पित करें।
• फिर धूप और घी का दीपक जलाएं और पूजा के बाद विष्णु मंत्रों का जाप करें।
वामन जयंती (Vaman Jayanti Vrat 2025) के दिन उपवास रखना बेहद शुभ माना जाता है। संध्या पूजा के बाद भक्त प्रसाद ग्रहण करते हैं और व्रत पूर्ण होता है।
भगवान विष्णु के मंत्र जाप के लिए तुलसी माला (tulsi mala) के साथ वैजयंती माला (Vaijayanti Mala) का भी उपयोग किया जा सकता है। दोनों ही मालाएं मंत्र जाप के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती हैं।