शिव खोरी जम्मू-कश्मीर के संगर गांव में स्थित एक अद्भुत गुफा है, जो भगवान शिव को समर्पित है। शिव भक्तों के साथ ही यह धार्मिक स्थल बहुत से टूरिस्ट को भी आकर्षित करता आया है। कहा जाता है कि शिव खोरी की यह गुफा अमरनाथ तक जाती है, हालांकि अब इसे 130 मीटर बाद बंद कर दिया गया है। यदि आप भी शिव खोरी गुफा की यात्रा पर जाने का सोच रहे हैं, तो आज का यह ब्लॉग आपके लिए मददगार साबित हो सकता है।
आइए जानते है, शिव खोरी मंदिर का इतिहास, दर्शन का समय, रोचक कथा और शिव खोरी धाम से जुड़ें कुछ रोचक तथ्य-
• इतिहास के अनुसार, यह मंदिर हजारों साल पुराना है और भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना जाता है। यह प्राचीन काल की बात है जब भगवान शिव ने भस्मासुर नामक राक्षस को प्रसन्न होकर वरदान दिया था। इस वरदान के बाद से भस्मासुर (history of shiv khori in hindi) अजेय हो गया था। इतना ही नहीं, उसे यह भी वरदान प्राप्त था की वह किसी के भी सिर पर हाथ रखकर उसे भस्म कर सकता था। कुछ ही समय बाद भस्मासुर को अपनी शक्तियों पर घमंड हो गया और उसने भगवान शिव को मारने का निश्चय कर लिया!
• अपने इस इरादे के साथ वह कैलाश पर्वत पर पहुंच गया। ऐसे में भगवान शिव माता पार्वती और गणेशजी के साथ कैलाश छोड़ कर चले गए। जिसके बाद भोलेबाबा दक्षिण दिशा की ओर बढ़े और विश्राम के लिए शिवखोरी के पास एक स्थान पर रुके। हालांकि भस्मासुर वहां भी पहुंच गया और भगवान शिव के साथ युद्ध शुरू कर दिया। भयंकर युद्ध के बाद भी भगवान शिव ने भस्मासुर को न मारने का फैसला किया।
• युद्ध से लौटते हुए भगवान शिव ने अपना त्रिशूल फेंका और उस त्रिशूल से शिवखोरी की प्रसिद्ध गुफा का निर्माण किया। गुफा का प्रवेश द्वार ऐसा था कि केवल भगवान शिव, माता पार्वती और नंदी ही इसमें प्रवेश कर सकते थे। भस्मासुर यहां प्रवेश नहीं कर सकता था।
• यह सब देखकर भगवान विष्णु मोहिनी रूप में भस्मासुर के सामने प्रकट हुए और उसे उसके ही हाथों से भस्म करवा दिया। इसके बाद, भगवान विष्णु अन्य देवताओं के साथ इस पवित्र गुफा में प्रवेश कर गए।
• पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस गुफा में 33 करोड़ देवी-देवताओं की पिंडियां प्रकट हुई हैं। गुफा के अंदर हिंदू देवी-देवताओं की प्राकृतिक छाप और आकृतियां एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करती हैं।
एक लोकप्रिय किवंदिति के अनुसार शिव खोरी गुफा की खोज 20वीं शताब्दी में बूटा मलिक नामक एक चरवाहे (how shiv khori gufa discovered in kalyu ने की थी। जब यह चरवाहा वहां पहुंचा तो गुफा के अंदर कई संतों को देखकर बहुत चौंक गया, जो भगवान शिव की दिव्य शक्ति से प्रभावित थे।
माना जाता है कि खोरी गुफा में महान संतों ने कई सालों तक तपस्या की थी। यह गुफा लगभग 150 मीटर लंबी है और इसमें एक प्राकृतिक रूप से निर्मित शिवलिंग है, जो भगवान शिव के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। गुफा का माहौल अत्यंत शांतिपूर्ण है, जो मन को गहरी शांति और सुकून का अनुभव कराता है।
शिव खोरी का ऐतिहासिक महत्व और उसकी प्राकृतिक सुंदरता इसे एक अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बनाते हैं। यह स्थान विशेष रूप से उन भक्तों के लिए है जो आध्यात्मिक ज्ञान की तलाश में हैं।
शिव खोरी मंदिर के दर्शन और आरती का समय इस प्रकार है-
मंदिर खुलने का समय - सुबह 5:00 बजे
मंदिर बंद होने का समय - शाम 8:00 बजे
आरती का समय (प्रातः) - 7 बजे से 8 बजे तक
आरती का समय (शाम) - 7 बजे से 8 बजे तक
भक्त पुरे साल किसी भी समय शिव खोरी मंदिर में दर्शन के लिए जा सकता है। हालांकि महाशिवरात्रि के त्यौहार पर शिव खोरी मंदिर की रौनक देखते ही बनती है। इसके अतिरिक्त आप फरवरी-अप्रैल और सितंबर-नवंबर के बीच दर्शन के लिए यहां आ सकते हैं। इस दौरान शिव खोरी का मौसम सुहावना रहता है।
शिव खोरी का निकटतम हवाई अड्डा जम्मू है, जो यहां से लगभग 120 KM दूर स्थित है।
शिव खोरी का निकटतम रेलवे स्टेशन जम्मू तवी है, जो रनसू से लगभग 110 KM दूर है।
कटरा से शिव खोरी की दूरी रनसू से लगभग 75 KM है।
शिव खोरी मंदिर (Shiv Khori Temple) न केवल भगवान शिव के प्रति भक्ति का प्रतीक है, बल्कि एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक स्थल भी है जो भक्तों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यदि आप भी जम्मू कश्मीर या माता वैष्णों देवी धाम यात्रा करने की योजना बना रहे है, तो एक बार भोलबाबा के शिव खोरी धाम मंदिर में दर्शन के लिए अवश्य आए।