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पूजन विधि

Ram Navami Puja Vidhi | राम नवमी 2023 पूजा विधि, अनुष्ठान व समारोह

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Ram Navami Puja Vidhi | राम नवमी 2023 पूजा विधि, अनुष्ठान व समारोह

राम नवमी भारत में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाने वाला एक लोकप्रिय त्योहार है। लोग इस दिन भगवान राम का आशीर्वाद पाने के लिए उनकी पूजा करते हैं। अयोध्या में भगवान राम का जन्म हुआ था इसलिए इस अवसर पर पूरे अयोध्या को सजाया जाता है।

भगवान राम की जयंती को चिह्नित करने के लिए भक्त कई कार्यक्रम आयोजित करते हैं। भगवान राम भगवान विष्णु के अवतार हैं और इसलिए भक्त पूजा और मीठे व्यंजन चढ़ाकर उनकी पूजा करते हैं। हम चैत्र महीने में भगवान राम के जन्मदिन को देखते हैं, जिसे राम नवमी के नाम से जाना जाता है।


राम नवमी 2023 दिनांक और समय | Date & Time of Ram navami 2023

  • राम नवमी - 30 मार्च 2023
  • राम नवमी मध्याह्न मुहूर्त - सुबह 11:17 - दोपहर 01:46
  • अवधि - 02 घंटे 28 मिनट
  • नवमी तिथि 29 मार्च, 2023 को - 01:23 पूर्वाह्न से प्रारंभ होगी
  • नवमी तिथि 30 मार्च, 2023 को रात 11:30 तक रहगी

राम नवमी 2023 समारोह | Celebration on Ram Navami 2023

राम नवमी भगवान राम की जयंती मनाता है; त्योहार न केवल राम के जन्म का प्रतीक है बल्कि बुरी ताकतों पर जीत का भी संकेत देता है। पूरे दिन पवित्र गीत और राम कथा का प्रदर्शन होता है और भक्त इस दिन उपवास भी रखते हैं। शोभा यात्रा में कई श्रद्धालु भी शामिल होते हैं।


रामनवमी 2023 अनुष्ठान | Rituals of Ram Navami

भक्त इस दिन एक दिन का उपवास रखते हैं, लोग महाकाव्य रामायण को सुनकर और उसकी नकल करके भगवान राम की पूजा करते हैं, भगवान राम और देवी सीता के प्रतीकात्मक विवाह के साथ-साथ विष्णु पूजा भी करते हैं। कई भक्त लगातार नौ दिनों तक धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।


राम नवमी 2023 पूजा विधि | Ram Navami Puja Vidhi

  • पूजन में शुद्धता वसात्विकता का विशेष महत्व है, इस दिन प्रात: काल स्नान-ध्यान से निवृत हो भगवान का स्मरण करते हुए भक्त व्रत एवं उपवास का पालन करते हुए भगवान का भजन व पूजन करते हैं।

  • नित्य कर्म से निवृत्त होने के बाद अपने ईष्ट देव या जिसका भी पूजन कर रहे हं् उन देव या भगवान की मूर्ति या चित्र को लाल या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें। मूर्ति कोस्नान कराएं और यदि चित्र है तो उसे अच्छे से साफ करें।

  • पूजन में देवताओं के सामने धूप, दीप अवश्य जलाना चाहिए। देवताओं के लिए जलाए गए दीपक को स्वयं कभी नहीं बुझाना चाहिए।

  • फिर देवताओं के मस्तक पर हलदी, कुमकुम, चंदन और चावल लगाएं। फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं। फिर उनकी आरती उतारें। पूजन में अनामिका अंगुली (छोटी उंगली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) सेगंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी) लगाना चाहिए।

  • पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं।ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है। प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है।

  • अंत में आरती करें। जिस भी देवी या देवता के तीज त्योहार पर या नित्य उनकी पूजा की जा रही है तो अंत में उनकी आरती करके नैवेद्य चढ़ाकर पूजा का समापन किया जाता है। श्री राम के सबसे प्रिय पदार्थ खीर और फल-मूल को प्रसाद के रूप में तैयार करके पहले से ही रख लें।

  • घर में या मंदिर में जब भी कोई विशेष पूजा करें तो अपने इष्ट देव के साथ ही स्वस्तिक, कलश, नवग्रह देवता, पंच लोकपाल, षोडश मातृका, सप्त मातृका का पूजन भी किया जाता। लेकिन विस्तृत पूजा तो पंडित ही करता है अत: आप ऑनलाइन भी किसी पंडित की मदद से विशेष पूजा कर सकते हैं। विशेष पूजन पंडित की मदद से ही करवाने चाहिए, ताकि पूजा विधिवत हो सके।

  • पूजा के बाद घर की सबसे छोटी महिला अथवा लड़की को घर में सभी जनों के माथे पर तिलक लगाना चाहिए।

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