किसी भी कार्य में सर्वप्रथम पूजे जानें वाले श्री गणेश सुख-समृद्धि ,ज्ञान और वैभव के प्रतीक माने जाते है। सच्चे मन से गणपति जी के पूजा करने से न सिर्फ बुद्धि और विवेक में वृद्धि होती है, बल्कि संकटों से भी मुक्ति मिलती है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार कुछ ऐसी चीज़े निर्धारित की गई है जो घर में रखना बहुत ही शुभ और कल्याणकारक माना जाता है, और उन्ही एक चीज़ में से जिसको सबसे अधिक महत्व दिया जाता है वो है- गणेश जी की मूर्ति। माना जाता है की यदि घर में गणपति जी की कृपा हो जाए तो जीवन से दुख-दर्द आदि समाप्त हो जाते है, इसीलिए अगर आपने ने भी अबतक घर में गणपतिजी की मूर्ति स्थापित नहीं की तो आप अब कर सकते है।
लेकिन घर में यह मूर्ति स्थापित करने से पहले आपको नीचे दिए गई कुछ वास्तु सम्बंधित कुछ नियमों का पालन करना बेहद आवश्यक है।
घर में गणपति- मूर्ति स्थापित करने से पहले यह सुनिश्चित करना बेहद आवश्यक है की उसकी दिशा क्या होगी। वास्तु के अनुसार उत्तर या पूर्व दिशा के कोने में यह मूर्ति स्थापित करना शुभ बताया गया है। आप अपने घर में धातु या हल्दी के गणेश जी की मूर्ति भी स्थापित कर सकते है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार किसी भी पवित्र वस्तू या देवी- देवताओं के मूर्तियों की स्थापना दक्षिण दिशा में भूलकर भी नहीं करनी चाहिए। चाहे हम हिन्दू तौर तरीकों की बात करें या वास्तु की, दक्षिण दिशा को किसी भी लिहाज़ से शुभ नहीं माना जाता है। इसीलिए आप घर में जब भी गणपति की मूर्ति स्थापित करें तो यह विशेष तौर पर ध्यान रखें उसकी दिशा दक्षिण न रहे।
माना जाता है भगवान गणेश मंगलमुखी होते है। ऐसा इसलिए भी माना जाता है क्योंकि जहां भी गणेश जी का मुख होता है वहां सुख- समृदि का वास होता है, वहीं उनके पिछले भाग को दुःख और गरीबी का प्रतिक माना जाता है, इसलिए गणपति जी की मूर्ति स्थापित करते समय ये हमेशा ध्यान रखें की उसका मुख किसी भी दरवाजे की तरफ ना हो, इसके साथ ही यह भी देखें उनकी मूर्ति के पिछले हिस्से की तरफ दीवार अवश्य होनी चाहिए।
इनके साथ ही कुछ बातें और है जिनका गणपत्ति मूर्ति के स्थापना के समय ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले जहां मूर्ति स्थापित करें, वहां आसपास गन्दगी ना रहें। दूसरी बात जो ध्यान रखने योग्य है वो ये है की घर में गणेश जी की बांयी सूंड वाली मूर्तिरखें। यह मूर्तियां न सिर्फ मंगलकारी होती है अपितु इनकी पूजा बहुत जल्दी फल भी प्रदान करती है, वहीं दूसरी और दांयीं ओर सूंड वाले गणपति जी देर से प्रसन्न होते है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Dharmsaar इसकी पुष्टि नहीं करता है।)