गणेश चतुर्थी, जिसे 'विनायक चतुर्थी' के नाम से भी जाना जाता है, भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भारत के सबसे महत्वपूर्ण और भव्य रूप से मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है। हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को यह पर्व पूरे देश में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गणेश चतुर्थी 2024 (History of Ganesh Chaturthi 2024) का इतिहास कितना पुराना है और इसके पीछे क्या पौराणिक कथाएं छिपी हैं? आइए, गणेश चतुर्थी के इस दिव्य त्योहार के इतिहास और इससे जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में जानते हैं।
गणेश चतुर्थी के पर्व का पौराणिक आधार महाभारत काल तक जाता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, भगवान गणेश का जन्म माता पार्वती और भगवान शिव के पुत्र के रूप में हुआ था। एक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने गणेशजी (Ganesh Chaturthi 2024) को अपने शरीर के उबटन से बनाया और उन्हें द्वारपाल के रूप में खड़ा कर दिया। जब भगवान शिव आए और अंदर प्रवेश करना चाहा, तो गणेशजी ने उन्हें रोक दिया। इससे क्रोधित होकर शिवजी ने गणेशजी का सिर काट दिया। बाद में, पार्वती के कहने पर भगवान शिव ने गणेशजी को हाथी का सिर देकर पुनर्जीवित किया। तब से, भगवान गणेश को "विघ्नहर्ता" और "बुद्धि के देवता" के रूप में पूजा जाता है।
गणेश चतुर्थी का उल्लेख ऐतिहासिक ग्रंथों में भी मिलता है। पेशवाओं के समय, गणेश चतुर्थी महाराष्ट्र के समाज में एक प्रमुख पर्व के रूप में स्थापित हो गया। 19वीं शताब्दी में, समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इसे एक सार्वजनिक उत्सव के रूप में पुनर्जीवित किया। उस समय, भारत में ब्रिटिश शासन था, और तिलक जी ने इस पर्व को लोगों में एकता और देशभक्ति की भावना जागृत करने के लिए एक माध्यम के रूप में इस्तेमाल किया। उन्होंने गणेश चतुर्थी (Beginning of Ganesh Chaturthi) को सार्वजनिक रूप से मनाने की परंपरा शुरू की, जिससे यह उत्सव धार्मिक और सामाजिक दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हो गया।
गणेश चतुर्थी केवल धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकता, प्रेम और भाईचारे का प्रतीक भी है। इस त्योहार के दौरान, लोग अपने घरों में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करते हैं और 10 दिनों तक उनकी पूजा करते हैं। इस दौरान भक्तगण न केवल पूजा-अर्चना करते हैं, बल्कि विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों, गीतों, नृत्यों, और रास-लीलाओं का आयोजन भी करते हैं। इस पर्व के माध्यम से समाज में सौहार्द्र और समरसता का संदेश फैलता है।
गणेश चतुर्थी का सांस्कृतिक महत्व भी कम नहीं है। इस पर्व के दौरान, लोग अपने घरों को सजाते हैं, नए कपड़े पहनते हैं और स्वादिष्ट भोजन तैयार करते हैं। महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, और तमिलनाडु में यह पर्व विशेष धूमधाम से मनाया जाता है। गणेश विसर्जन के दौरान, लोग नाचते-गाते हुए गणेश प्रतिमा को पानी में विसर्जित करते हैं, जिससे यह संदेश मिलता है कि भगवान गणेश हमेशा हमारे साथ हैं और हमें जीवन की कठिनाइयों से उबारते हैं।
डाउनलोड ऐप