समझनी है जिंदगी तो पीछे देखो, जीनी है जिंदगी तो आगे देखो…।
blog inner pages top

ब्लॉग

Holashtak 2025 Date and Time | होलाष्टक 2025 डेट, समय व पौराणिक कथा!

Download PDF

देशभर में बड़े हर्षोल्लास के साथ होली का त्यौहार मनाया जाता है। होली से कुछ दिन पहले पड़ने वाली होलाष्टक की अवधि बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दौरान किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य जैसे गृहप्रवेश, विवाह, मुंडन सहित कई शुभ कार्य नहीं किये जाते है। कहा जाता है की होलाष्टक के इन 8 दिनों का प्रत्येक ग्रह से भी एक संबंध होता है। तो चलिए, जानते हैं कि इस साल होलाष्टक कब से शुरू हो रहा है?

 Holashtak 2025 Date and Time | होलाष्टक 2025 डेट, समय व पौराणिक कथा!

होलाष्टक, होली के पर्व से पहले आने वाले आठ दिनों के अंतराल को कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि इस दौरान किसी भी शुभ कार्य में सफलता नहीं मिलती है। इतना ही नहीं, सभी प्रकार के आशीर्वाद भी व्यर्थ हो जाते है। प्रत्येक वर्ष होलाष्टक की शुरुआत फाल्गुन माह के शुक्ल अष्टमी तिथि से होती है। वहीं, इसका समापन होली के पर्व यानि फाल्गुन शुक्ल पुर्णिमा पर होता है।

Holashtak 2025 Date and Time | होलाष्टक 2025 डेट और समय

पंचांग के मुताबिक, इस साल होलाष्टक 7 मार्च, 2025 (holashtak 2025 start date) से शुरू हो रहा है। वही यह 13 मार्च 2025 (holashtak 2025 end date) को होलिका दहन के साथ समाप्त होगा।

होलाष्टक के दौरान शुभ कार्य न करने के पीछे का कारण

• हिंदू परंपरा के अनुसार, होलाष्टक के दौरान किसी भी प्रकार के शुभ कार्य या सोलह संस्कार नहीं किए जाते। माना जाता है कि यदि इस समय किसी व्यक्ति का अंतिम संस्कार भी होना हो, तो उसे शांति पूजा करवाने के बाद ही संपन्न किया जा सकता है।

• शास्त्रों में उल्लेख है कि होलाष्टक (holashtak 8 days) के दौरान सभी ग्रह उग्र स्थिति में होते हैं। अष्टमी में चंद्रमा, नवमी में सूर्य, दशमी में शनि, एकादशी में शुक्र, द्वादशी में बृहस्पति, त्रयोदशी में बुध, चतुर्दशी में मंगल और पूर्णिमा में राहु का प्रभाव होता है।

• इसके अतिरिक्त, पौराणिक कथाओं के दौरान इन 8 दिनों में भक्त प्रह्लाद को उनके पिता हिरण्यकश्यप ने अनेकों यातनाएं दी थी। यही कारण है की इस अवधि को इतना अशुभ माना जाता है।

Holashtak Katha in Hindi | होलाष्टक 2025 पौराणिक कथा

होलाष्टक से सम्बंधित कुछ लोकप्रिय कथाएं इस प्रकार से है-

1. हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, राजा हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे प्रहलाद को भगवान विष्णु की भक्ति से दूर करने के लिए होलाष्टक के आठ दिनों में बहुत कष्ट एवं यातनाएं दी थी। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान था कि वह अग्नि में नहीं जल सकती और होलिका दहन के दिन भक्त प्रहलाद को गोद में लेकर अग्नि के ढेर में बैठ गई और भस्म हो गई।

तब भगवान विष्णु की कृपा से भक्त प्रहलाद का अग्नि कुछ न बिगाड़ सकी और वह बच गया। यही कारण है की इन 8 दिनों (holashtak 8 days) में कोई भी शुभ कार्य संपन्न नहीं किए जाते है।

2. वही एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, इस दौरान कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या भंग कर दी थी। जिससे क्रोधित होकर भगवान शिव ने फाल्गुन की अष्टमी तिथि को कामदेव को अपनी तीसरी आंख से भस्म कर दिया था।

जिसके बाद कामदेव की पत्नी रति ने 8 दिनों तक भोलेबाबा की पूजा-अर्चना की और कामदेव को जीवन दान देने की प्रार्थना की। जिसके बाद भगवान शिव ने उनके प्रार्थना को स्वीकार कर लिया। इस परंपरा के कारण, इन 8 दिनों को किसी भी पवित्र कार्य के लिए अशुभ माना जाता है।

डाउनलोड ऐप