दुनियाभर में लोकप्रिय भगवान श्री जगन्नाथ रथ यात्रा हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर से निकाली जाती है।
दुनियाभर में लोकप्रिय भगवान श्री जगन्नाथ रथ यात्रा हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर से निकाली जाती है। साल 2022, में यह यात्रा 1 जुलाई यानी शुक्रवार को निकाली जा रही हैं। आपको बता दें, इस रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ गुंडिचा मंदिर की ओर रवानगी लेते है।
आपको बता दें, इस रथ यात्रा में देश-विदेश से लोग बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने पहुंचते है। पिछले 2 साल से वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते लोग लाइव दर्शन के माध्यम से ही इस रथ यात्रा में शामिल हो रहे थे, लेकिन इस वर्ष स्थिति सामान्य होने के कारण सभी लोग इस यात्रा में शामिल हो सकते है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार सुभद्रा जी ने भगवान जगन्नाथ से नगर देखने की इच्छा जताई, जिसके बाद जगन्नाथ जी अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलराम को रथ पर बैठाकर पूरे नगर की सैर करवाने निकल पड़े। बताया जाता है की, जब वे नगर की सैर कर रहे थे तो इस दौरान वे मौसी गुंडिचा के घर भी गए थे और वहां वे तीनो साथ दिनों तक रुके भी थे। ऐसा माना जाता है की यहां तभी से रथयात्रा निकालने का रिवाज है, इतना ही नहीं यह रथ यात्रा यहां किसी त्यौहार से कम नहीं है।
भगवान जगन्नाथ की इस रथ यात्रा में तीन रथों का प्रयोग होता है, एक रथ को श्री जगन्नाथ, दूसरे को श्री बलराम और तीसरे रथ को उनकी बहन देवी सुभद्रा का स्वरुप माना जाता है। बता दें की, इन तीनों रथों का बहुत ही खास महत्व होता है। बताया जाता है की इस रथ में इस्तेमाल की जाने वाली लकड़ियों का चयन रथों के रंग के अनुसार ही किया जाता है। इसमें मुख्यतः गहरे रंग की नीम की लकड़ी का प्रगोग जगन्नाथ के रथ के लिए किया जाता है, वहीं हल्के रंग की नीम की लकड़ी का प्रयोग उनके भाई-बहन के लिए किया जाता है।
वर्ष 2022 में आषाढ़ शुक्लपक्ष की द्वितीया 1 जुलाई को है और इसी दिन भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली गयी है। यह भव्य यात्रा 12 दिनों तक चलती है, ऐसे में यह 1 जुलाई से शुरू होकर 12 जुलाई को संपन्न होगी। ऐसा माना जाता है की जो भी व्यक्ति इस रथ यात्रा में शामिल होते है उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ओडिशा के पुरी में आयोजित इस भव्य रथ यात्रा के प्रारम्भ होने से पहले तीनो रथों की खास पूजा-अर्चना की जाती है, इतना ही नहीं इस रथ यात्रा के बारे में एक खास बात यह भी बताई जाती है की जैसे जैसे यात्रा के दौरान यह रथ आगे बढ़ते है, वैसे वैसे ही मार्ग को सोने की झाड़ू से साफ़ किया जाता है। इसके साथ ही जो भी व्यक्ति इस रथ यात्रा में शामिल होता है उनसे दुख स्वयं भगवान जगन्नाथ हर लेते है।
भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए जीवन में एक बार सभी को पुरी मे आयोजित इस मनोहर रथ यात्रा में जरूर शामिल होना चाहिए।
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