हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले सर्वप्रथम जिस देवता को याद किया जाता है वो गणपति जी ही है। गणेश जी का नाम लिए बिना कोई भी मांगलिक कार्य पूर्ण नहीं होता है। भगवान गणेश को देवों में प्रथम पूज्य देवता की उपाधि दी गयी है। वैसे तो हर महीने की चतुर्थी भगवान गणेश को ही समर्पित हैं, लेकिन आषाद माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2022) को खास माना जाता है।
आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। संकष्टी चतुर्थी का यह व्रत सफलता प्रदान करने वाला है, साथ ही इस योग में गणपती जी की पूजा करने से वे आपसे प्रसन्न होंगे। इस व्रत को रखने से न सिर्फ आपके बिगड़ते हुए कार्य पूर्ण होंगे बल्कि सुख-समृद्धि में भी वृद्धि होगी। लेकिन इस व्रत को रखने से पहले आइए हम आपको बताते है की यह व्रत क्यों रखा जाता है और इसका महत्व क्या है।
पौराणिक कथाओं में संकष्टी चतुर्थी मनाने के पीछे जो कथा बताई जाती है वो यह है कि, एक दिन भगवान भोलेनाथ और देवी पार्वती नदी के तट पर बैठे थे। माता पार्वती का अचानक चौपड़ खेलने का मन हुआ, लेकिन वहां खेल में हार-जीत का निर्णय लेने वाला कोई तीसरा व्यक्ति मौजूद नहीं था। ऐसे में भगवान शिव और माता पार्वती ने मिट्टी की एक मूर्ति बनाई और उसमें जान फूंक दी। जिसके बाद उसे हार- जीत फैसला लेने के लिए कहा गया। खेल शुरू हुआ और उसमें माता पार्वती की जीत हुई। यह खेल लगभग 3-4 बार चला और हर बार देवी पार्वती की ही जीत हुई।
खेल समाप्त होने के बाद एक बार उस बालक ने गलती से मां पार्वती की जगह शिव जी को विजयी बता दिया।इस बात से माता पार्वती रुष्ट हो गई और उन्होंने उस बालक को लंगड़ा होने का श्राप दे दिया। बालक ने अपनी इस गलती की माता पार्वती से कई बार क्षमामांगी, लेकिन माता पार्वती ने कहा की अब वे यह श्राप वापस नहीं ले सकती लेकिन एक उपाय अवश्य बता सकती है। उन्होंने उस बालक से कहा की एक उपाय जो तुम्हें इस श्राप से मुक्ति दिला सकता है वो यह है कि इस जगह संकष्टी के दिन कुछ बालिकाएं पूजा के लिए आती हैं, तुम उन कन्याओं से व्रत के बारे में पूछना और विधिपूर्वक उस व्रत को रखना। बालक ने मां पार्वती के कहने के अनुसार ही सब किया जिसके बाद बालक की पूजा से प्रसन्न होकर भगवान गणेश ने उसकी मनोकामना पूर्ण की।
इस दिन के बाद से ही संकष्टी चतुर्थी व्रत को रखा जाता है।
भगवान गणपति हिंदू धर्म में सबसे लोकप्रिय देवता हैं और भगवान शिव और देवी पार्वती के प्यारे पुत्र हैं। विघ्नहर्ता गणेश बहुत दयालु हैं जो मन से की गई भक्ति और प्रार्थना से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्त की हर परेशानी को दूर कर देते हैं। यदि आप भी गणपति जी को प्रसन्न करना चाहते है तो यह व्रत अवशय रखें।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Dharmsaar इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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