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Gaya Ji me Pind Daan: गया में पिंडदान करने का क्या कारण है? जानें गया जी का रहस्य!

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सनातन धर्म में श्राद्ध एवं पिंड दान का विशेष महत्व बताया जाता है। जातक के द्वारा यह श्राद्ध एवं पिंड दान अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है। बिहार का गया जिला, जिसे लोग बहुत सम्मान से

Gaya Ji me Pind Daan: गया में पिंडदान करने का क्या कारण है? जानें गया जी का रहस्य!

गयाजी एक ऐसा धार्मिक स्थल है, जो पिंडदान (pind daan gaya ji gaya bihar) के बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। गया में पिंडदान करने का कारण यह है कि माता-पिता सहित परिवार की सात पीढ़ियों को मोक्ष मिलता है। साथ ही दाता को भी परम गति मिलती है। देश में श्राद्ध करने के लिए 55 स्थान चाहिए, जिनमें बिहार के गया का स्थान सबसे महत्वपूर्ण है। गयाजी धर्म के अनुसार पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है। देश ही नहीं संसार के अन्य देशों से भी लोग यहां आकर अपने पूर्वजों की मोक्ष की कामना करते है।

What is Gaya Dham? गया धाम क्या है?

गया, भारत के बिहार राज्य (gaya ji pind daan location) में स्थित एक शहर है। यह भारत के सबसे पुराने और सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। इसे "पृथ्वी के आध्यात्मिक केंद्रों में से एक" के रूप में जाना जाता है और अपने लंबे इतिहास में यह कई हिन्दू मंदिरों का स्थल रहा है। गया को विष्णु की नगरी माना जाता है। इसे "मुक्ति की भूमि" कहा जाता है। विष्णु पुराण एवं वायु पुराण जैसे महाग्रथों में भी इस बात का वर्णन किया गया है।

विष्णु पुराण की मान्यतानुसार, गया में पिंडदान करने से केवल पितरों को मोक्ष मिलता है, बल्कि उन्हें वैकुण्ठ धाम की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि विष्णु स्वयं यहां पितृ देवता के रूप में मौजूद है, इसलिए इसे "पितृ तीर्थ" भी कहा जाता है। आइये जानते है, गयाजी को ही मुख्य रूप से पिंडदान के लिए सबसे उपयुक्त क्यों माना जाता है-


Why to do Pind Daan in Gaya? गया में पिंडदान क्यों करें?

हिन्दू धर्म के अनुसार, ऐसे बहुत से महत्वपूर्ण कारण है जिससे पिंडदान (pind daan in gaya ji) के लिए गयाजी को ही चुना जाता है। इन्हीं तथ्यों में से कुछ तथ्य इस प्रकार से है-

1. भगवान बुद्ध ने कि थी तपस्या

बोधगया, जो गया से लगभग 10 किमी दूर है, हिंदुओं के लिए पिंडदान (gaya ji me pind daan) करने के लिए एक और महत्वपूर्ण स्थान है। बौद्ध सिद्धांत के अनुसार, गया को "ज्ञान की भूमि" के रूप में जाना जाता था। बोधगया वह स्थान जहां, पवित्र पीपल के नीचे, गौतम बुद्ध (राजकुमार सिद्धार्थ) ने ज्ञान प्राप्त किया और बुद्ध के रूप अपने जीवन की शुरुआत की। इसके साथ ही भगवान बुद्ध ने बोधगया में बरगद के पेड़ के नीचे अपना अमूल्य उपदेश भी दिया था।


2. श्री राम ने किया था पिंडदान

गया जी का इतिहास बहुत ही प्राचीन माना जाता है। यह स्थान विशेषकर हिंदुओं के लिए मोक्ष का क्षेत्र है। प्राचीन हिन्दू ग्रंथों के अनुसार, भगवान राम ने लगभग 12 लाख साल पहले यहां पिंड दान( gaya ji me pind daan) संपन्न किया था। वह त्रेता युग का समय था, जब भगवान श्री रामचंद्र जी ने अपने पिता दशरथ को मोक्ष प्रदान करवाने हेतु गया जी की यात्रा की थी। गया जी का यह पवित्र स्थल, दुनिया का एकमात्र तीर्थ है जहां पिंडदान और श्राद्ध कर्म करने के लिए पूरे शहर में 54 वेदियां मौजूद है।


3. महर्षि वेदव्यास द्वारा भगवद गीता की रचना

गया अपने विष्णुपद मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, जहां ज्यादातर लोग पिंडदान करने जाते है। गया नगरी का यह नाम, गयासुर नाम के एक राक्षस पर रखा गया था। गयासुर को भगवान विष्णु का विशेष आशीर्वाद प्राप्त था। देवताओं की तरह प्रकृति ने भी इस शहर को बहुत आशीर्वाद दिया है। यह वह स्थान है जहां महर्षि वेदव्यास ने भगवद गीता और पुराण दोनों लिखे थे। हर साल लगभग लाखों की संख्या में तीर्थयात्री यहां आध्यात्म और तीर्थ क्षेत्र से जुड़ने के लिए इस पवित्र स्थल पर आते है।


गया में मानसून (सितंबर से अक्टूबर) के दौरान हर साल 18 दिनों के लिए पितृ पक्ष मेला होता है। हजारों श्रद्धालु दुनिया भर से पितृ पक्ष मेले के महीनों में पिंडदान (gaya ji me pind daan) करने के लिए गयाजी आते है। इस वर्ष गयाजी में 28 सितंबर 2023 से विश्वप्रसिद्ध पितृपक्ष मेले की शुरुआत होने जा रही है, जो 14 अक्टूबर 2023 तक चलेगी। ऐसे में आप भी इस पावन धाम में समिल्लित हो सकते है और अपने पूर्वजों को मोक्ष प्रदान करवा सकते है।

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